पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३२८

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घुटिक १४०५ घुटिक-संज्ञा पुं० [सं० धुण्टिक] [को० घुटिका कंडा (को०] । कनीची। काकचिची । कांची । सौम्पा। शिखंडी । अरुणा घटित-वि० [हिं० घोंटना घोंटा हुमा । चिकना । 30-पट्टिय . कांबोजी। काकशिवी। चटकी। . .... . घटित मेन तिमिर कज्जल छवि छींनिय । भु जुग गोस घुघनी-संञ्चा श्री० [धनु०] भिगोकर घी या तेल में तला हुआ चना,.. घनुष्प वदन राका रुचि भोनिय । -पृ० रा०, १४।७४ । व मटर या और कोई अन्न । धुधरी। . .. .. घुड--संशा पुं० [सं० घुण्ड] भ्रमर । भौंरा (को०। मुहा०-घुघनिया या घुबनी मुंह में रखकर बैठना--चुपचाप घु'डी-संद्या स्त्री मं० ग्रन्यि] १. कपड़े की सिली हुई मटर के प्राकार ___ वैठना । मौन होकर रहना। ... .. मोदीगोली जिसे अंगरखे या कुरते प्रादि का पल्ला वद घघर---संवा ०.[हिं०] दे० 'घ'घर' उ0---ताही घुघर मत गतः । करने के लिये टाँकते हैं। कपड़े का गोल बटन । गोपक। . भ्रमर भ्रमरत ऐसो। बनी है छवि विसाल प्रेम जाल गोलक : मुहा०-घुडी लगाना = (१) घुडी टाँकना । (२) घुडी में जैसो। नंद ग्रं॰, पृ०३६६ । । तुकमे से अंगरखे ग्रादि का पल्ला अटकना । जी की 'डी घुघरारे -वि० [हिं० घुमरना+वारे घुधराले । घरवाले। खोलना हृदय की गाँठ खोलना । चित्त से दुर्भाव या द्वप । उ०-मृगमद मलय अलक घुघरारे। उन मोहन, मन हरे निकालना । दिल की घुडी खोलना= दे० 'जी की घुडी हमारे । —सूर (शब्द०)। . . . . . . खोलना'। उ०---प्रान पपीही दे पानंद घन दिल की घुडी। घुघराले-वि० [हिं० धुमरना+वाले ] [ वि० सी० घुघराली ] खोल 1-धनानंद पृ०४२१ । घूमे हुए ( वाल)। टेढ़ और वल खाए हुए (वाल.)। . २. हाथ या पैर में पहनने के कड़े के दोनों छोरों पर की गाँठ - छल्लेदार । धू'घरवाले । कुचित जो कई ग्राकार की बनाई जाती है। ३. बाज, जोशन, मादि घुघरू-संशा पुं० [अनु० धुन् घुन्+स० रव या रू] १..किसी धातु .. गहनों में लगी हुई धातु की गोल गाँठ जिसे सूत के घर में की बनी हुई गोल और पोली गुरिया किसके. मंदर 'धन धन' . डालकर गहनों को कसते हैं। यह 'डी प्रायः लटकती रहती बजने के लिये कंकड़ भर देते हैं। चौरासी। मंजीर। है। ४. एक प्रकार की घास । ५. धान का अंकुर जो खेत कटने पर जड़ से फूटकर निकलता है। दोहला। ' • मुहा०-घुघरू सा लदनाशरीर में बहुत अधिक फुतियाँ चेचक या छाले आदि निकलना। घु'डीदार-वि० [हिं० घुडी+फा० दार जिसमें धुडी लगी हो। २. ऐसी गुरियों का बना हुमा पर का गहना जो बच्चे या नाचने- ... घंडीदार-संशा पुं० एक प्रकार की सिलाई जिसमें एक टांके के बाद वाले पहनते हैं। दुसरा टांका फंदा डाल कर लगाते जाते हैं। मुहा०-घुघरू बाँधना=(१) नाचने में चेला करना । (२) घुसा-संधा पुं० [देश॰] वह लकड़ी जिसके सहारे से जाठ उठाकर . नाचने के लिये तैयार होना। .. कोल्हू में डालते हैं। ३. गले का वह घुर धुर शब्द जो मरते समय कफ छेकने के कारण घुईया-संवा स्त्री॰ [देश॰] अरुई नाम की तरकारी। . निकलता है । घटका । घटका। ... .... .. घुगची-संशा श्री० [देश॰] दे० 'धुघची' । मुहा०-घघरू बोलना=घरी लगना । घटका लगना-1 मरते . घु घची-संज्ञा सी० [सं० गुजा, प्रा० गुंचा ] १. एक प्रकार की. समय कफ सेंकना। मोटी चेल जो प्रायः जंगलों में बड़ी बड़ी झाड़ियों के ऊपर फैली ४. वह कोषा जिसके अंदर चने का दाना रहता है। बूट के ऊपर हुई पाई जाती है। की खोल । ५. सनई का फल जिसके अंदर वीज रहते हैं। . . विशेष- इसकी पत्तियाँ इमली की पत्तियों की सी और खाने में बानमः । विशेष-सूखने पर ये सनई के फल बजते हैं जिसके कारण लड़के कुछ मीठी होती हैं और फूल सेम के फूलों के समान होते हैं। ...इन्हें खेल के लिये पाँव में वाँधते हैं। संस्कृत एवं प्राकृतिक .. फूलों के झड़ जाने पर मटर की तरह की फलियाँ गुच्छों में . गाथानों में भी इसके प्रयोग मिलते हैं; यवा-शारुल बन्न लगती है जो जाड़े में सुखकर फट जाती हैं और जिनके अंदर : पयसा' -पृ० रा०,१: के लाल लाल वीज दिखाई पड़ते हैं। ये ही बीज धुचची या घघरूदार-विहिवरू+फादार जिसमें घु घरू लो हो।। गुजा के नाम से प्रसिद्ध हैं । इनका सारा अंग लाल होता है घुघरूबंद- संज्ञा श्री० [हि० घुघरू+सं० बन्ध, फा० बंद ] वह .. केवल मुखपर छोटा सा काला छींटा रहता है जो बहुत. सुदर वेश्या. जो नाचने गाने का काम करती हो। ... .. .. लगता है । सफेद रंग की घुघची भी होती है, जिसके मुह पर घुघरू मोतिया - मंचा पुं० [हिं० घुघल + मोतिया] एक प्रकार का : काला दाग नहीं होता । मुलेठी या जेठी मधु इसी धू घची की मोतिया बेला । जड़ है । वैद्यक में धुपची कडुई, बलकारक, केश और त्वचा धुवारे--वि० [हिं०] [fR० मी. ध घुवारी] ३० 'घुघराले । । को हितकारी तथा व्रण, कुष्ठ, गंज इत्यादि को दूर करनेवाली उ०- घु घुवारी लट लटक मुख ऊपर ।--तुलसी (शब्द०)। • मानी जाती है । जड़ और पत्ते विपनाशक कहे जाते हैं। सफेद घुट-संशा पुं० देश॰] एक जंगली पेड़ जिसे घोंट भी कहते हैं। इसकी । घुघची वशीकरण की सामग्री मानी जाती है। ..छाल और फलियों से चमड़ा सिझाया जाता है। ... २. इस लता का बीज । उकंचन घुधची पानि तुला एक मैं घुटना--क्रि० प्र० [हिं०] दे० 'घुटना'।. .: तोले -पलटू, पृ०७१। . .... घुप्रा-संशा पुं० [देश॰] दे. 'धूआ'। . .... पर्या-~-रक्तिका । गुजिका । कृष्णला । काकिनी । कक्षा । घइया-संवा स्त्री॰ [देश॰] दे० 'धुइयाँ' । ..... ।