पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३२९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

इरना धुटाई। धुइरना-क्र० स० [हि० घूरना]. सं० 'घूरना' । विशेप-इस मुहावरे का प्रयोग प्रायः माता पिता बच्चों के घुइस संवा मी० [देश॰] दे० 'घूस'। लिये करते हैं। घुमा, घुकुवा--संशा पुं० [हिं० घूमा] दे० 'घूका' । घुटना-कि० अ० [हिं० घटना या धोरटना] १. सात का भीतर घुग्धी-संमा श्री० [दवा०] १. तिकोना लपेटा हया कंबल आदि जिसे ही दब जाना, बाहर न निकलना । हकना । फंसना । जैसे,- किसान या गड़ेरिए धूप, पानी और शीत से बचने के लिये सिर वहां तो इतना माँ है कि दम घुटता है। · पर डालते हैं। घोंघी । खड़या । २. कपोत जाति की एक मुहा०-घुट घुटकर मरना दम तोड़ते हुए सांसत से मरना। . चिड़िया जिसका रंग खूब पकी ईंट की तरह का होता है। उ० घुट घुट के मर जाऊँ यह मरजी मेरे संवाद की है।- इसकी बोली कबूतर से भिन्न होती है । टुटरू । पेंड़की । फिसाना०, भा० ३, पृ० १०६। - पंडुक । फास्ता। २. उलझकर कड़ा पड़ जाना । फैसना। उ०ह न होती - घुन्धू-संज्ञा पुं॰ [ म० चूक ] १. उल्लू नाम की चिड़िया । उलूक । कर सक, वहि पावस ऋतु पाइ। ग्रान गांठ धुटि जाय त्वों २. मिट्टी का एक खिलौना जो फूकने ते बजता है। मान गाँठ शुटि जाय । -विहारी (शब्द०)। घुया-संज्ञा पुं० [हिं० धुग्यू +श्रा (प्रत्य०) ] दे० 'घुग्बू । घुटना-कि० अ० [हिं० घोटना] १. घोटा जाना । पीसा जाना ।

घुचुअाना-० अ० [हिं० घुग्घू] १. उल्लू पक्षी का बोलना। २. जैसे,--वहाँ रोज भांग घटा करती है।

बिल्ली का गुर्राना ३. उल्लू की तरह बोलना। ४. बिल्ली मुहा०- घुटा हुया छंटा हुप्रा । चालाकी में मजा हुया । .... की तरह गुर्राना । .. भारीचालाक। - युवुनी- खो० [देश॰] दे० 'पनी' । उ०-बांट बुधनी बना २. रगड़ खाकर चिकना होना । रगड़ से चिकना और चमकीला . मिठाई जब नह.प्रावै।-प्रेमघन॰, भा० १, पृ० २६ । होना । जैसे.--तुम्हारी पट्टी घुट गई कि अभी नहीं । ३. घुघुगरे--वि० [हिं०] २. 'धु घराले' । उ०-फिर घुघुरारे बार फिर घनिष्ठता होना। मेलजोल होना। जैसे,--दोनों में . वह बड़ी आँखें, फिर मीठो मुसकिराहट । ठेठ०, पृ. २६ । आजकल खूब घुटती है । ४. मिल जुलकर बात होना। घुचुरो-मंशा श्री० [हिं०] १. १० 'धुप' । २. दे० 'घुघनो' । ५. किसी काय का इसलिये बार बार होना जिसमें उसका घुसुवानाः क्रि० अ० [हिं० घू) 'घुघुयाना'। खूब अभ्यास हो जाय । ६. ( सर के ) बालों का पूरी तौर शुधवार -वि० [हिं०] दे० 'घु घराले' । उ०-बियुरै सुथरे चौंकने से मूडा जाना। .., घने घने धुपवार । रसिफन को जंजीर से बाला तेरे वार ।- घुटना -क्रि० स० [अनु०, तुल० ५० घुटना] जोर से पकड़ना या ___अकबरी०, पृ० ५१ 1 कसना । उ०--फिरहिं दुनो मन फेर घुट के । तातहु फेर पुप्यू- महा पं० [हिं०] उल्लू । घुध्धू । उ०-चीख उठा घुब्यू डालों गाँठि सो एक 1-जायसी (शब्द॰) । ... में लोगों ने पट दिए द्वार पर ।-ग्राम्या, पृ० ६७ । । घुटनी--संज्ञा बी० [हिं० घुटना] दे० 'घुटना"। घुटम्ना-क्रि० स० [हिं० धूट करना] १. घुट घट करके पी घुटन्ना-संज्ञा पुं० [हिं० घुटना] १. घुटनों तक का पायजामा। २. . जाना । पी जाना। पान करना । उ०-नुपसिधुर सिंधु पतली मोहरी का पायजामा (पंजाबी)। ... रसै घटक। गोपाल(जन्द०)। २. निगल जाना। घुटरघुटर-संश पुं० [अनु॰] धरं घरं ! हंधे हुए गले की पावाज । . घुटको-संवा स्त्री० [हिं० घटकता| गले की वह नली जिसके द्वारा उ०-घुटर घुटर जब करने लागा । चेतनता मा तन का - साना पानी आदि पेट में जाते हैं। घुटकने की नली। भागा। सहजो०, पृ० ३२। घुटन--संशा कौ० [हिं० घुटना] १. दम घुटने की सी स्थिति या घुटरनि -क्रि० वि० [हिं० घुटना] घुटनों के बल । उ०-केचित - भाव । २. मन में घबराहट होने की स्थिति। __ अन्न गक मुख खाहीं । घुटरनि परहि अकल कछ नाहीं ।- घुटना --संवा पुं० [सं० घुएटक] पांव के मध्य का भाग या जोड़ा जाँघ सुदर ग्रं०, भा० १, पृ० ६१ । के नीचे और टांग के ऊपर का जोड़। टांग और जाँघ के बीच घुटल-संवा पुं० [ सं० घुट-+हिं० ] पाँव के मध्य भाग का की गाँठ । जैसे,—मा घटना फटे यांच। -(कहावत)। जोड़ । घटना। मुहा०-घुटना टेकना=(१) घुटनों के बल बैठना । (२) परा- घुटवाना-कि० स० [हिं० घोटना का प्रे० रूप] १. घोटने का जित होना । पराजय होने से लज्जित होना । घुटनों चलना% , काम कराना। २. वाल मुंडाना। वैयाँ बैयां चलना। घुटनों के बल चलना= दे० 'घुटनों धुटा--वि० [हिं० घुटना] १. मुडित । जैसे-घटा सिर । २. चतर चलना । घुटनों में सिर देना=(१) सिर नीचा किए चालाक । जैसे,—उटा प्रादमी। चिंतित या उदास होना। (२) लज्जित होना । सिर नीचा धुटाई-संवा स्त्री० [हिं० घुटना] १. घोटने या रगड़ने का भाव या करना । घुटनों से लगकर बैठना-हर घड़ी पास रहना। किया । २. रगड़कर चिकना और चमकीला बनाने का भाव घुटनों से लगा कर बैठाना पास बैठाए रखना । दूर न या किया। जैसे,--इस कपड़े पर यूब पटाई हुई है। ३. - जाने देना। रगड़ कर चिकना और चमकीला करने की मजदुरी।