पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३३०

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मो . धुटाना १४०७ - घुड़िया. धुटाना-क्रि० स० [हिं० घोटना का प्रे० रूप ] घोटने का काम एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाती है। निकृष्ट श्रेणी की . कराना। गानेवाली वेश्या । ३. एक प्रकार की छोटी तोप जो घोड़े : धुटाला--! पुं० [देश॰] २. 'घोटाला'। । पर रखकर चलाई जाती है । ४. दे० 'घोड़ाचोली'!... घुटो--संज्ञा ली । देश०] दे० 'घुट्टी'। घुड़दौड़'-संक्षा नी० [हिं० घोडा-+दौड़] १. घोड़ों की दौड़। २. .. घुटुस्या - संज्ञा पुं० [हिं० धुटरू] घुटनों के बल चलने की क्रिया। एक प्रकार का जुए का खेल्न. जिममें कई एक मनुष्य, एक .. घटान-कि० वि० [हिं०] घटनों के बल । उ०---घुटु रुनि चलत स्थान से अपने अपने घोड़े दौड़ाते हैं। जिसका घोड़ा सवते - अतिर मह विहरत. मुख मंडित नवनीत । सूर० १९७1 आगे निकलकर निश्चित स्थान पर पहले पहुँच जाय, उसकी घुदg+-संज्ञा पुं॰ [देश॰] दे० 'घुटना"। जीत समझी जाती है । ३. घोड़े दौड़ाने का स्थान या सड़क ! घुटुवा- संज्ञा पुं० [हिं०] दे० घुटना"। ४. एक प्रकार की नाब जिसका अगला भाग घोड़े के मुहै। घुटे घुटाए वि० [हिं० घुटना] ३ 'घुटा' | Ro-पांच छः यादमी के यांकार का बना होता है। इसके बीच में बैठने के लिये " एक चबूतरे पर शतरंज खेलते नजर आए मगर वह सब भी बंगला रहता है। ५. अश्वारोही सेना की परेड या कवायद घुटे घुटाए तव तो फकीर को ताज्जुब हुा ।फिसाना, घुड़दौड़ --कि० वि० [हिं० घोड़ा+दौड़ ] बड़ी तेजी से । अति... भा० ३, पृ० १४५। जीनता से। जैसे--(क) ग्राज घुड़दौड़ कहाँ चले जा रहे ... घट्टमधुट्ट-वि० [हिं० घुटना] घुटा हुमा । मुडित । जिसके सिर के हो? (ख) घुड़दौड़ मत चलो; नहीं तो ठोकर लगेगी। .. वाल मूड़ लिए गए हों। उ०--ब्रह्मचारी हो क्योंकि बट हो। घुड़दौर" -संचा बी० [हिं०] दे० 'घुड़दौड़"। गृहस्थ हो चूना रूप से संन्यासी हो क्योंकि घमघट हो। घुड़दार -क्रि० वि० [हिं०] दे० 'घुड़दौड़'२! भारतेंदु ग्रं, भा० ३, पृ० ८५३ । घुड़ना@---कि० अ० [हिं० घुड़+ना] भिड़ना । डटना । उ० - . घुट्टा--संज्ञा पुं॰ [देश॰] दे॰ 'घोटा'। ___ जुड़े पड़े लड़े मुद्दे घुड़े अनेक जंग में |-- ० रू०, पृ० ६।। घुट्टी--संज्ञा स्त्री॰ [हिं० धूट] वह दवा जो छोटे बच्चों को पाचन के घड़नाल-संग्रा श्री० [हिं० घोडा+नाल] एक प्रकार की तैप जो लिये पिलाई जाती है। घोड़ों पर चलती है। क्रि० प्र०-देना |--पिलाना । घुड़बहल--संशा स्त्री० [हिं० घोड़ा-+ बहल] [स्त्री० घुड़वहली| वह . महा०---घुट्टी में पड़ना-स्वभाव के अंतर्गत होना। जैसे.- रथ जिसमें घोड़े जुतते हों। ' झूठ बोलना तो इनकी घुट्टी में पड़ा है। उ०-वेवफाई तो घड़मक्खी-संधा स्त्री० [हिं० घोड़ा+मक्खी] एक प्रकार की भूरे रंग .. तुम लोगों की घुट्टी में पड़ी है। -सर०, पृ० ४४। की मक्खी जा घोड़ा का काटता है। घुड़---संज्ञा पुं० [हिं० घोड़ा] घोड़ा का लघु रूप जो यौगिक शब्दों घुड़मुहीं:-संज्ञा पुं० [हिं० घोड़ा+मुह] १. एक कल्पित मनुष्य ।। के प्रारंभ में प्रयुक्त होता है । जैसे, घुड़चढ़ा, घुड़साल मादि । जाति जिसका सारा धड़ मनुष्य का सा और मुंह घोका . घुड़कना--क्रि० स० [सं० घुर ] किसी पर कुद्ध होकर उसे डराने सा माना जाता है। २. वह मनुष्य जिसका मुह लंबा पीरः । के लिये जोर से कोई बात कहना । कड़ककर बोलना । वेढंगा हो। लंवे मुहवाला मनुष्य। .. . | डाँटना । जैसे,-जो लड़के घड़कने से नहीं मानते, वे मार घुड़महा-वि० जिसका मुह घोड़े की तरह लंबा हो। । को भी कुछ नहीं समझते। . घुड़रोजा, घुड़रोझा--संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'घोड़रोज'। ... । धुड़की-संज्ञा स्त्री० [हिं० घुड़कना] १. वह बात जो क्रोध में आकर घुडला-संज्ञा पुं० [हिं० घोड़ा+ला (प्रत्य॰)] १. मिट्टी या कियो । राने के लिये जोर से कही जाय । डाँट । डपट । फटकार । धातु या मिठाई का बना हुपा घोड़े के बांकार का खिलौना। . ! २. धुदकने की क्रिया। -- २. छोटा घोडा। ३. कोई छोटी रस्सी या पतली जंजीर. । यौ-बंदरघुड़की-झूठ मूठ डर दिखाना। जिससे जहाजवाले अनेक काम लेते हैं. और जिसे अंगरेजी में । घड़चढ़ाव संशा पुं० [हिं० घोडा+चढ़ना] १. सवार । अश्वारोही। लैन यार्ड कहते हैं। २. एक प्रकार का स्वाँग जिसमें एक मनुष्य अपने पेट के घड़सवार-संचा'[हिं० घोड़ा+सबार] प्रश्वारोही । घोडसवार। । सामने घोड़े के मुंह का और पीछे दुम प्रादि का आकार घुड़सार-संधा स्त्री० [हिं०] 'घड़साल'। उ० - सो ये दोऊ । - बनाकर जोड़ता है, जिससे वह देखने में घोड़े पर, सवार . जने अपनी स्त्री लरिका ले के वा घुड़सार में प्राइ रहे |- | जान पड़ता हैं । गाजी मियाँ की सवारी की नकल दिखाकर . . दो सौ वावन०, पृ० २४०। । भीख मांगने के लिये प्रायः डफाली ऐशा स्वांग बनाते हैं। घुइसाल-संक्षा ली० [हिं० घोड़ा+शाला] घोगों के वाँधने का। इम लिल्ली घोड़ी भी कहते हैं। स्थान ! अस्तबल । पैथा। उ० घोड़ा घुड़साल बप बैला।। धुड़चढ़ी-- संज्ञा श्री. [हिं० घोड़ा+चढ़ना] १. विवाह की एक रीति छटे रथ वाज सब खेला।--संत तुरती०, पृ०५७। .. जिसमें दुल्हा घोड़े पर चढ़कर दुलहिन के घर जाता है। घड़िया--संक्षा श्री० [सं० घोटिका, हि० घोड़ी का अल्पा०] १. छाटा । २. देहाती रंडी या तवायफ जो प्रायः घोड़ों पर चढ़कर घोड़ी। २. दे० 'पोडिया' 1