पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३३४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

घुलावर्ट ३. मुह में रखकर धीरे धीरे गलाना। चुभलाना । ४. भावत ना छिन भौन को वैठियो घट कीन को लाज कहाँ पकाकर पिलपिला करनो । गरमी या दाब पहुचाकर नरम . की।-ठाकुर०. पृ०६। करना। ५. (सुरमा या काजल) लगाना। सारना। ६. क्रि० प्र०-. खोलना -घालना ।-डालना। (समय) विताना । व्यतीत करना । गुजारना । जैसे,-इस मुहा० -- घूघट उठाना=(१) घूघट को ऊपर की ओर खसकाना सुनार को मत दो, यह बरसों घला देगा।७. दाब पहुँचाकर जिससे गुह. खुल जाय । (२) परदा दूर करना । (३) या रगड़ के द्वारा एकदिल करना । जैसे,—पान घूलाना। नई पाई हुई वधू का सबके सामने मुह खोलना । घु घट घुलावट --संवा बी० [हिं० घुलना] 'घुलने का भाव या क्रिया। . उलटना-दे० 'घूघट उठाना' । घूघट करना=(१) घू घट घुवा-संथा पुं॰ [ हिं०] दे० 'घुमा'। उ०--ज्यों सेमर सूवा साखि डालना । (२) लज्जा करना। शर्म करना। (३) घोड़े का . भुनाना । टोंट देत पुनि घुवा उड़ाना ।--घट०, पृ० ३०२ । पीछे की ओर गरदन मोड़ना । (सवार)। पूघट काढ़ना= घुषित-वि० [सं०] जिसकी घोपणा की गई हो। घोपित । ध्वनित। घूघट डालना। मूहको घूघट से ढकना । घूघट खाना- कथित [को०] लड़ाई के मैदान से मुह मोड़ना। सेना का युद्धस्थल से घुष्ट-वि० [सं०] दे० 'धुपित' ।। पीछे की ओर भागना । लड़ाई में सेना का पीठ दिखाना। घुष्ट्र-मंगा पुं० [सं०] गाड़ी। शकट [को०] । घूघट निकालना= दे० 'घु घट काढना' घट मारना = दे० घुसड़ना -क्रि० अ० [हिं०] दे० 'घुसना' । "घुपट काढ़ना। घुसना--क्रि० स० [सं० कुश (=प्रालिंगन करना, घेरना) अथवा २. परदे की वह दीवार जो बाहरी दरवाजे के सामने इसलिये घर्षण अथवा अयुकरणमूलक देश०] १. कुछ वेगपूर्वक प्रयवा रहती है, जिसमें चौक या आँगन वाहर से दिखाई न पड़े। दूसरे की इच्छा का विरोध करते हए अंदर जाना। अंदर गुलामगदिश । नोट । ३. घोड़े को प्रांखों पर की पट्टी। . पैठना । प्रवेश करना। अँधेरी। संयो॰ क्रि०-पाना |--जाना।-पड़ना।--बैठना ।- घर-संक्षा पुं० [हिं० घुमरना] बालों में पड़े हुए छल्ले या मरोड़। यौ०-घुसपैठ । घुसपैठिया। उ.---कुडल मंडित गंड सुदेस। मनिमय मुकट सु पर केस०।-नंद ग्रं॰, पृ०२६७। महा--धुसकर बैठना-(१) छिप रहना । सामने न आना। । - यौ०--धू घरवाले । (२) पास पास बैठना । सटकर बैठना। पंधरवारे-~-वि० [हिं०] ३८ 'घू घरवाले' । उ०---मविगन कठला २. धंसना । चुभना । गड़ना। ३. किसी काम में दखल देना। कंठ मद्धि केहरि नख सोहत । घूघरवारे चिहुर रुचिर वानी अनधिकार. चर्चा या कार्य करना। जैसे-तम क्यों हर एक काम में घुस पड़ते हो। ४, मनोनिवेश करना । किसी विषय मन मोहत !-पृ० रा०, ११७१७ 1 . की ओर खुब ध्यान लगाना। ५. दूर हो जाना जाता रहना। धूघरवाले-वि० [हिं० घु घर टेढ़े छल्लेदार या कुंचित किश)। जैसे--एक थप्पड़ लगावेंगे; सारीबदमाशो धूस जायगा। झबरीले (बाल)। धुसपैठ---संवा त्री० [हिं० बुसना+ना] १. पहुंच । गति । प्रवेश घूघरा-संज्ञा पुं० [देश॰] एक प्रकार का वाजा। रसाई २. दखल । हस्तक्षेत्र । घूघरो संशा जी० [अनु० घुन+घुर नूपुर । नेउर । घुपरू। धुसपैठिया -- संधाला [हिं० घुसपैठ+इया - (प्रत्य॰)] वह व्यक्ति उ.--(क) पद पद्म की शुभ घ घरी, मरिण नील हाटक सौ . जो बिना नागरिकता प्राप्त किए शत्रु राष्ट्र में चोरी छिपे जरी।-केशव (शब्द०)। (ख) बिछिया अनौट बाँके घूघरी, रहता हो और वहां की खबर अपको देताको जराय जरी, हरि छवीली क्षद्र घंटिका की जालिका -- भेदिया । (१० ईन्ट्रय डर): .. केशव (शब्द०)। ... घू घरू-संसा पुं० [हिं०] दे० 'घु धरू'। उ०----गोविंददास घूघरू ' धुसवाना-क्रि० स० [हिं०घुसना का रूप] घुसाने का काम कराना। बांधि के श्री नवनीत प्रिय जी . आगे नृत्य करें। दो सौ घुसाना-क्रि० स० [हिं० घुसना) १. भीतर घुसेड़ना । अदर पैठाना । बावन०, भा०१, पृ. २०६। . २. चुभाना । धताना। घूघुट@---संज्ञा पुं० [हिं०]. दे० 'घूघट' १। उ--पेखि परोसी को संयो० क्रि०—देना । पिया धूघट मैं मुसिक्याइ।-मति० नं०, पृ० ४४४ . . घुसरण -- संज्ञा पुं० [सं०] कुकुम । केशर । जाफरान को। .. घूचा-संवा पुं० [हिं०] ३. 'घुसा। घुसेड़ना--क्रि० स० [हिं० घुस-+एड (स्वा० प्रत्य०)] १. घुसानां। घूट'-- संशा ० [अनु० घुट घुट---गले के नीचे पानी आदि उतरने पैठाना। २. फँसाना । चुभाना । का शब्द] १. पानी या और किसी द्रव पदार्थ का रतना अंश संयो० क्रि०-देना। जितना एक बार में गले के नीचे उतारा जाय । चुसकी। चूंगची -संज्ञा बी०सं० गुञ्चा] दे० 'धु घची'। जैसे,-ऊपर से दो घूट पानी पी लो। घूघट- संज्ञा पुं० [मं० गुण्ठ] १.. स्त्रियों की साड़ी या चादर के मुहा०--घूट फेकना=किसी पीने की वस्तु का बहुत थोड़ा सा .

किनारे का वह भाग जिसे ये लज्जावश या परदे के लिये

अंशा पीने के पहले पृथ्वी पर गिराना, जिसमें नजर न लगे सिर पर से नीचे बढ़ाकर मुह पर डाले रहती है। वस्त्र * या किसी देवी देवता का अंश निकल जाय । घट लेना-घूट का यह 'भाग जिससे कुलवधू का मुह . रहता है। उ-- . घट करके पीना। बहुत पोड़ा थोड़ा कर पीना । जैसे, ...