पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३३८

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घेटा घेड़ोंची विशेष—यह रोग गोरखपुर, बस्ती प्रादि जिलों के निवासियों के सब और के बाहरी किनारे। लंबाई चौड़ाई आदि का को बहुधा हुमा करता है। सारा विस्तार या फैलाव । परिधि । जैसे—(क) वह घेडौंची-संञ्चा लो० [देश॰] दे॰ 'घनौंची'। बगीचा दो मील के घेरे में है। (ख) उस घेरे के अंदर मत घेतल- संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का भद्दा जूता जिसका पंजा जाओ। (ग) इस अंगरखे का घेरा बहुत कम है। २. चारों चपटा और मुड़ा हुआ होता है। इसे महाराष्ट्र या दक्षिणी ओर की सीमा की माप का जोड़ । परिधि का मान । जैसे- अधिक पहनते हैं। इस वगीचे का घेरा दो मील है। ३. वह वस्तु जो किसी घेतला-संज्ञा पुं० [देश॰] दे० 'घेतल'। • स्थान के चारों ओर हो (जैसे दीवार आदि) वह जो, घेमोची-संधा बी० [हिं॰] दे० 'घनौंची' । किसी जगह को चारों ओर से घेरे हो। ४. घिरा हुआ। धेपना-क्रि० स० [हिं० घोपना] १.हाथ पैर से रौंदकर मिलाना। । स्थान । हाता। मंडल । जैसे,—उस घेरे के अंदर मत जाना। एक में लथपथ करना। २. खुरचना। छीलना। ३. स्त्री. ५. किसी लंबे और घन पदार्थ की चौड़ाई और मोटाई का प्रसंग करना।-(बाजारू)। विस्तार । पेटा । जैसे,--इस धरन का घेरा ५० इंच है। घेर--- संना पुं० [हिं० घेरना] १. चारों ओर का फैलाव । घेरा। ६. सेना का किसी दुर्ग या गढ़ को चारों ओर से छेकने का परिधि । २. घेरने की क्रिया या भाव । काम । चारों ओर से आक्रमण । मुहासरा। ' यौ०---घेरघार घेरवार। कि.प्र.-डालना ।--पड़ना। घेरधार-संञ्चा स्त्री० [हिं० घेरना] १. चारों ओर से घेरने या छा घेराई-संज्ञा स्त्री० [हिं०/घेर+पाई (प्रत्य॰)] दे० 'बिराई।। जाने की क्रिया । जैसे, बादलों की घेरधार देखने से जान घेराबंदी-संवा स्त्री० [हिं० घेरा+फा बंदी ] किसी के चारों ओर पड़ता है कि पानी बरसेगा । उ०----सब ओर सन्नाटा इस घेरा डालने की स्थिति या भाव। पर बादलों की घेरधार, पसारने पर हाथ भी नहीं सूझता। घेराव-संज्ञा पुं० [हिं० घेर+याव (प्रत्य०) दे० 'घिराव' । ठेठ, १०३२। २. चारों प्रोर का फैलाव। विस्तार ग्राt--संवा ० [हिं० घेरना वह छोटा गडढा जो नाला प्राद। ३. किसी कार्य के लिये किसी के पास बार बार उपस्थित में पानी रोकने के लिये बनाया जाता है । झिरी । .. होने का कार्य । किसी के पास जाकर बार बार अनुरोध घेरेदार- वि० [हिं०] चारो ओर से घिरा हुया घरेदार । उ-. या विनय करने का कार्य खुशामद । विनती । जैसे,—विना इनके समाज में पत्थर के घेरेदार कुछ मकान भी संभवतः धेरधार किए आजकल जगह नहीं मिलती। बनाए जाते थे।-प्रा० भा०प०, पृ०६६। घेरदार-वि० [हिं०घेर+फा० दार बड़े घेरेवाला। बड़े घरे का। घेल प्रा:-संवा पु० [हिं० घाम दे० 'घेलौना'। चौड़ा । जैसे,-घेरदार पायजामा। घेलौना --संञ्चा पुं० [हिं० घाल ] थोड़े मूल्य की वस्तुओं की बिक्री । घेरना--क्रि० स० [सं० ग्रहण] १. चारो ओर से हो जाना। चारों में उतनी वस्तु जितनी सौदे के ऊपर दी जाती है । वह . पोर से सेंकना । सब ओर से प्राबद्ध करके मंडल या सीमा के अधिक वस्तु जो ग्राहक को उचित तौल के अतिरिक्त. दी अंदर लाना । बांधना । जैसे,—(क) इस स्थान को टट्टियों जाय । धाल । पलुआ। से घेर दो। (ख) दुर्ग को खाई चारो ओर से घेरे है । (ग) घेवर-संक्षा पुं० [सं० धूतपूर, या घृतवर, प्रा० घयबर या । इतना अंश लकीर से घेर दो। २. चारो ओर से रोकना। घी+पूर] एक प्रकार की मिठाई जो पतले घुले हुए मैदे, घी : अाक्रांत करना। छेकना । असना। उ.-(क) धरम सनेह और चीनी से बनाई जाती है और बड़ी टिकिया या खजले के उभय मति घरी । भइ गति साँप छुछुदरि केरी। मानस; आकार की और सूराखदार होती है। उ०--(क) सु ते बर: . २०५५ । (ख) गैयन घेरि सखा सबै जाए |--सूर (शब्द०)। घेवर पैसल लागि। लख चख फेरि गई उर. प्रागि-: (ग) वाल बिहाल वियोग की घेरी।-पद्माकर (शब्द०)। पृ० रा०, ६३।७४ । (ख) घेवर अति घिरत चोरे । लै :: ३. गाय आदि चौपायों की चराई करना । चराने का काम खांड़ सरस वोरे।-सर०, १११८३। । ... ...: अपने ऊपर लेना। चराना। ४. किसी स्थान को अपने घेवरना -क्रि० स० [सं० घृतवर] लगाना । पोतना । लेप करना अधिकार में रखना। स्थान सेंकना या फँसाए रखना । ५. .. उ० (क) सेंदुर सीस चढ़ाएं चंदन घेवर देह ।-जायस. " सेना का शत्रु के किसी नगर या दुर्ग के चारों ओर आक्रमण . (गुप्त), पृ० ४६४ । (ख) हिना देखि सो चंदन धवरा माल के लिये स्थित होना । चारों ओर से अधिकार करने के लिये क लिखा बिछोव 1.-- जायसी ग्रं० (गुप्त), पृ० २५५ । छेकना । ६. किसी कार्य के लिये किसी के पास बार वार घेसी--संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार का देवदार जी.हिमालयन जाकर अनुरोध या विनय करना । खुशामद करना । जैसे,- होता है। इसकी लकड़ी भूरे रंग की होती है । वरपर।..... हमको क्यों घेरते हो; हम इस मामले में कुछ भी नहीं घेचना:-क्रि० स०.[ सं० कर्षण, प्रा० खंचण] दे॰ 'घाचना: कर सकते। उ०-उन के धैच - मारि जम दाना।-३० सागर, यो..-घेरना धारना। पृ०४७। घेरा--संगापुं० [हिं० घेरता] १. चारों मोर की सीमा। किसी तल घेटा--संका पुं० [देश॰] हे 'घंटुला'। . ..