पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३३९

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- धौंसला : साहरा-संवा स्त्री॰ [देश॰] फौज । सेना । लशकर ।-(डि०)। घोंघा--वि० १. जिसमें कुछ सार नहो । सारहीन। २. मूखं । जड़।। या -संवा पुं० [हिं० घी या सं० घात अथवा देश०] १.गाय के बनते वेवकूफ । गावदी। निकली हुई दूध को धार जो मुंह लगाकर पी जाय । उ०- योo-घोंघा बसंत=महामूर्ख ! गावदी। प्राई छाक अवार भई हैं नै सुक घेया पिएउ सवरे। -सूर० घोंघो-संज्ञा श्री० [देश॰] दे० 'घोंघा' । उ-हंस चुगै ना घोंघी, . १४६३ । २.. ताजे और बिना मये हुए दूध के ऊपर सिंह चर न घास । - पलटू०, पृ० १७७।१२ दे 'घुग्य' । - 'उतराते हुए मक्खन को काछकर इकट्ठा करने की क्रिया। घाचवा-संवा पुं० [देश या हिं० घोंचा+वा (स्वा० प्रत्य॰)] एक उ०-(क) कजरी घौरी सेंदुरी धुमरी मेरी गया । दुहि ल्याऊँ .. प्रकार का बैल । घोघा । प्रका मैं तुरत ही तू करि दे घेया।-सर० १०१७२५ ।२. किसी घोंचा-संत्रा सं० [हिं० गुच्छा] १. गौद । गुच्छा । घौद । स्तवक । .. पेड़ या लकड़ी आदि को काटने अथवा उसमें से रस प्रादि २. वह वैल जिसके सींग मुकर कान से जा लगे हों। निकालने के लिये शस्त्र से पहुंचाया हुया आघात। घोंची संज्ञा स्त्री० [हिं घोंचा] वह गाय जिसके सींग कानों की ओर या --संज्ञा स्त्री० [हिं० घाई या घा] और। तरफ। दिशा । ... -सोहर शोर मनोहर नोहर माचि रह्यो चहु पया।- घोंचमार-संक्षा पुं० [देश॰] दे० 'घोंसुप्रा' ।

रघुराज (शब्द०)। ...

घोंचू-िवि० [देश॰] मूर्ख । गदाई। घराल-संक्षा पुं० [देश॰] १. निंदामय चर्चा | बदनामी। अपयश। घोट-संज्ञा पुं० [देश०] १. एक जंगली वृक्ष जो बहुत बड़ा होता है। ' (गुप्त) उपहास । उ०-चलत घेर घर घर तक घरी न घर इसकी लकड़ी मजबूत होती है और किसानी के औजार व्हराइ।-बिहारी (शब्द०)। २. चुगली । गुप्त शिकायत। बनाने के काम में आती है। २. घट नामक वृक्ष। उ.-तोहि न सनो योग वलाय ल्यौं पर किये मत काह के घोटना-कि० स० [हि घूट पूर्वी हि घोंट] १. घुट घुट करके ... लागहि । रघुनाथ (शब्द०)। पीना । पानी या और किसी द्रव पदार्थ को थोड़ा थोड़ा करके घरो-वि० [हिं० घर 1 बदनामी करनेवाला । उ०-है री वह गले के नीचे उतारना । पीना । उ०-नाम पियाला घोटि के कछ और न मोहि चही-जग० वानी०, पृ०४।२. किसी ... वैरी परी उघरचौ विगौवनि पोछौ जरि गयो गोवं महा दूसरे का वस्तु लेकर न लौटाना । हजम करना । पचाना ।

  • भेद बात कों।-घनानंद, पृ० ६२ ।

घोंटना-क्रि० स० [सं० घुट] १. (गला) इस प्रकार दबाना कि पा, घरोल-संज्ञा पुं॰ [देश॰] दे॰ 'घर'। .. दम रुक जाय । (गला) मरोड़ना। जैसे–चोर ने लड़के का पता-संशश मं० [सं० घट] [श्री. अल्पा० घंली] घड़ा । कलसा। गला घोंट दिया। २. दे० 'घोटना। घोंटा'--संशा पुं० [सं० घोएटा] १. सुपारी । उ०-घोंटा क्रमुक घहला-वि० [हिं० घाव, घायल या घात] जिसको घाव लगा हो। गुवाक पुनि पूग सुपारी पाहि ।-अनेकार्थ०, पृ० १०१ । २. जख्मी। घायल। दे० 'घोंटा'। पहा -वि० [हिं० घाव घायल । जख्मी । चुटीला। घोटा -संथा पुं० [हिं० घूट] [स्रो० घोंटी] दे० 'ट'। उ०- पाघ-संवा पुं० [सं० घोडघा वीच का अंतर या अवकाश [को०) । (क) विजया जीव मिलाइ के निर्मल घोंटा लेई।-भीखा. ... पाटा, घाटी-संथा बी०सं० घोराटा, घोटी] १. उन्नाथ का वक्ष। श०, पृ० १ (ख) नारा घाटी अमल की अमली सब ".. २..ककंधू । बदरी वृक्ष या फल । ३. सुपारी का वृक्ष [को० । संसार ।-मलूक०, पृ०.६६ 1 -संक्षा पुं० दिश० दे० 'घोंघा', 50 कमरे राम नाम घोटा-संशा जी० [हिं० धूट] दे० 'पद्री। ... वस्तू है खलक लेन चहे घोंगा।-गुलाल०, पृ०, २७ । घोट्रा-वि० [हिं० घोंटना] १. घोटनेवाला । जैसे,-गलाघोंटू, दम- " घोषा-संथा सी० [देश॰] एक प्रकार का पक्षी। घोंटू । २. रटनेवाला । रट्ट । - घोंघची -संथा श्री० [सं० गुच्चा देश०] ३० 'घुघची'। घों पना-क्रि० स० [अनु० घप] १. भोंकना । घुसाना । चुभाना। - गड़ाना । २. बुरी तरह सीना। गांठना। घोषा-संज्ञा पुं० [अनुकरणात्मक देश०] [खी० घोंघी] १. शंख की घों रि -संज्ञा श्री. [ हिं० घौर ] दे० 'घौद' । उ०-कनकलता ... तरह का एक कीड़ा जो प्रायः नदियों, तालावों तथा अन्य .. मानहुँ फली मरकत मनि की घोंरि ।-स० सप्तक, पृ०२६६ । । जलाशयों में पाया जाता है। घोसना --क्रि० स० [देश॰] दे० 'कोसना' । उ०-अनेक जनों विशेष--इसकी बनावट धुमावदार होती है, पर इसका मुह .. को तो घोंस घोंसकर आपने मार ही डाला।--प्रेमबन, गोल होता है, जो खुल सकता और बंद हो सकता है। इसके भा०२, पृ०८० । ऊपर का अस्थिकोश शंख से बहुत पतला होता है। वैद्यक में । घोसला-संवा पुं० [ देश०. अथवा सं० कुशालय ] वृक्ष, पुरानी .... 'घों का मांस. मधुर और पित्तनाशक माना जाता है । घोंघे दीवार के मोखे आदि पर खर, पते, घास फूस और जिनके . का चूना भी बनता है। प्रादि से बना हुया वह स्थान जिसमें पक्षो रहते हैं। चिड़ियों . पर्या० शंबु । शंबुक । शंबुक्क । ... ., के रहने और अंडे देने का स्थान । नीड़ । खोता। और डनका रहते हैं । चिड़ियो २. गेहूं की बाल में वह त्रोथ या कोथली जिसमें दाना रहता है। . . क्रि० प्र०-बनाना । -रखना।--लगाना। - गगरा।