पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

खंडोवन ११११ खैखरा' थे लाख्या करोड़ अशरफियां करोड़ सू होना ।-दक्खिनी०, खंघ -संशा स्त्री० [हिं० सादक ] दे० 'खंदक' । उ-बंधक पृ० २७७ ॥ तीन पोर निर्मल जल भरी सुहाती।-प्रेमघन॰, भा १.०६। खंडोवनल-संज्ञा पुं० [सं०खाण्डववन] दे० 'खांडववन' 170- संधा-संशा पुं० [सं० स्कन्धक प्रा०, सामा] प्रार्या गीति नामक खांडीवन जालवा अजन जेही तन प्रोपे ।-रा0 रू०, पृ०१६२) छंद का एक भेद । खंडीर--संक्षा पुं० [सं० सांडीर ] पीले रंग का मुद्ग। पीली संधारा-संघा पुं० [सं० साण्ड +धार ] खांडाधीण । राजा । उ०- " मूग [को०] । फिरइ यौनसला राजकुमार । पंड पंड का मोल्या बांधार।- खंडेंदु-संज्ञा पुं० [सं० एडेन्टु ] १. अपूर्ण चंद्र । २. अधं बी० रामो, पृ०१०। चंद्र (को] खंधार-संक्षा पुं० [सं० स्क-धावार] दे० 'बँधार'। खांडेश्वर - संझ पुं० [सं० सांडेश्वर ] एक सांड का राजा । संधार-संपा पुं० [ स० गान्धार ] गांधार या कंदहार देशवासी. खंडोद्भव, सांडोदभूत-संवा पुं० [सं० खंडोव, संडोदभूत ] खंड जन । 10-फिरंगान खांधार बलविक्रय जुरे सु सन्बह- से उत्पन्न शक्कर या गुड़ आदि किो०। ५०रासो, पृ०००। २. गांधार देश। . खंडोष्ठ-संज्ञा पुं० [सं० खांडोष्ठ ] मोठ का एक रोग हो । संधारी-संवा सी० [हिं०] २० 'कंधारी'। खंडोति -संज्ञा पुं० [सं० साण्डवत् ] निराकरण । दे० 'लांडन'-३ खंघासाहिनी-संशा श्री [हिं० सांधा ] सांधा या मार्या गीति उ.--चारिउ बेद किया सांडोति । जन रैदास कर डंडीति ।- नामफ छद का एक प्रकार। खंवायची-संधा श्री [हिं०२० सांबायची'। . R० बानी. पृ० ५७ । .. खंडय-वि० [सं० खण्डप ] दे० 'खंडनीय [को०] । खंभ---संघा . [ मे० .कम्भ या प्तम्भ, प्रा. हम ] १. स्तंम । खंतरा-संज्ञा पुं० [सं० कान्तर या हिं० अंतरा] १. दरार । मोडरा। खांभा । २. सहारा । प्रासरा । उ०-बिन जोबन भरपास २. कोना । अंतरा । उ०--गुप्तचरों ने एक एक कोना खतरा पराई। कहाँ सो पूत संभ हो पाई।-जायसी (शब्द॰) । छान डाला, पर किसी को अविलाइनी का चिह्न भी हस्तगत सभा--संज्ञा पुं० [सं० स्कम्भ, या स्तम्भ, प्रा० हाम्म ] पावर या न हुना।-वेनिस०, (शब्द०)। काठ का लंबाखड़ा टुकड़ा अथवा ईट धादि की थोड़े घेरेकी विशेष- इस शब्द का व्यवहार प्रायः 'कोना' के साथ यौगिक ऊँची गाड़ी जोड़ाई जिसके पाधार पर छत या छाजन रहती है। स्तंभ। शब्दों के अंत में होता है। जैसे-कोना संतरा। विशेष-- जहाँ छत या छाजन के नीचे का स्थान कुछ बुला खंता-संज्ञा पुं० [सं० सानित्र या हि सानना] [स्त्री. अल्पा० सती] १. वह औजार जिससे जमीन आदि खोदी जाती हो। रखना होता है, वहाँ बमों का व्यवहार किया जाता है । जमे, २. वह गड्ढा जिसमें से कुम्हार मिट्टो लाते हैं। मोसारे वरामदे, बारहदरी, पुल भाद में सांभे का व्यवहार खंति'- संज्ञा मौ [ सं० ख्याति, राज. त्यांत, शांत ] १. लगन । भारतीय स्थापत्य में बहुत प्राचीन काल से है। तथा उसके प्रीति । उ०-मो मारू मिलिवातरणी, खारी विलग्गी सांति :- भिन्न चिन्न विभाग भी किए गए हैं। जैसे, नीचे के प्राधार को ढोला०, दू० २३८ । २. प्राकांक्षा । इच्छा । उ०—जब देही कुंभी (कुभिया) और ऊपर के सिरे को मरणो कहते हैं। - तव पुज्जि है मो मन मझझह ांति । पृ० रा०, १७।२७ ॥ खंभाइच-संशा पुं० [सं० स्कम्भावती] दे० 'संभात'। उ०-ता खांति-संज्ञा श्री० [देश॰] तलवार का बीडन । कसा। उ०- श्री गुसाईजी खांभाइच पधारे।-दो सौ बावन० पृ० २०६। (क) खंति खाग भोलि बिहत्थं ।--पृ०, रा०,१.1१८। खंभात--संघा पुं० [सं० स्कम्भावती] १. गुजरात के पश्चिम प्रांत (मा) खांति सग खुल्लि विहत्यं ।-पृ० रा० ( उदय०), पृ० का एक राज्य जो इसी नाम के एक उपसागर के किनारे है। २: इस राज्य की राजधानी। ३. परब सागर की एक २७६। खाड़ी [को०] 1 खंदक-संवा श्री० [अ० दिक] १. शहर या किले के। चारों ओर भार संभार-संश पुं० [हिं०] दे॰ 'भार'। . . .. खोदी हुई खाँई । २. वड़ा गड्ढा। खंभारा@-- सेवा पुं० [सं० स्कम्भ ] हाथी के रहने का स्थान ! संदा वि० [फा० हांदा] १. हँसता हुआ । मुसकुराता हप्रा। हंसनेवाला । उ०--दिल सूखुर्रम, मुक सो खी शाद मा। उ०-पूटा मदझर जुग जाण ख'भारा!-घु० रू०,पृ०१५४। द मा।- संभावती--संघा बी० [सं० स्कम्भावती ] दे० 'सुभात'।।. दक्खिनी०, पृ० १८१॥ हांदा@-संशा पुं० [हिं० खनना ] खोदनेवाला । 3०-दैत्य दनन संभिया-संशा सी० [म० स्कम्म या स्तंभ, प्रा. हांभ ] छोटा खमा। - भिका अल्पार्थ सूचक । .. - गजदंत उपारन केस केशधरि फंदा । सूरदास बलि जाइ खंभेली-संशबी० [हिं० संभ+एली (प्रत्य०)] दे० 'साभिया' । यशोमति सुख के सागर दुख के खंदा। - सूर (शब्द०)। संदा-संवा पुं० [फा० खंद ] हंसी। खिलखिलाहट । उ०-कुटिया के गोसारे पर सांभेली के सहारे बैठते हए जयनाथ ने कहा 'तो क्या होगा?-रति०, १०४३ 1 यौ० -तांदापेशानी हँसमुगा । हँसीहाँ । खखरा--संज्ञा पुं० [ देश०] १. तांबे का बढ़ा देग जिसमें चावल खंदार-वि० दे० 'खंदा'। भादि पकाया जाता है । २. बाँस का टोकरा।