पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३५४

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चंद्रद्वीप १४३१ चंद्रद्वीप-संज्ञा पुं० [सं० चन्द्र+द्वीप ] १८ पौराणिक द्वीपों में एक द्वीप का नाम (को०] । चंद्रपंचांग-संज्ञा पुं० [सं० चन्द्रपञ्चाङ्ग] वह पंचांग जो चांद्र तिथि __ मास के आधार पर निर्मित होता है [को॰] । चंद्रपण-संज्ञा स्त्री० [सं० चन्द्रपर्णी ] प्रसारिणी लता। चंद्रपाद-संशा पुं० [सं० चन्नपाद] चंद्रमा की किरणें (को०] । चंद्रपाषाण-संथा पुं० [सं० चन्द्रपाषाण ] वह पत्थर जिसमें से चंद्रकिरणों का स्पर्श होने से जल की बूदें टपकने लगती हैं। चंद्रकांत । पुं० [ से० चन्द्रपुत्र चंद्रमा का पुत्र--बुध कि। चंद्रपुली-सच्चा श्री[सं० चन्द्र+हिं० पूर ] एक प्रकार की बंगला मिठाई जो गरी से बनाई जाती है। चंद्रपुष्पा-संवा स्त्री० [सं० चन्द्रपुष्पा] १. चाँदनी। २. वकुची। ३. सफेद भटकटया । चंद्रप्रभ --वि० [सं० चन्द्रप्रभ ] चंद्रमा के समान ज्योतिबाला। कांतिवान् । चंद्रप्रभ ----संस। पुं० १ जैनों के आठवें तीर्थ कर । इनके पिता का नाम महासेन और माता का नाम लक्ष्मणा था। २ तक्षशिला के राजा एक बोधिसत्त्व जो बड़े दानी थे। विशेष- एक बार ब्राह्मण ने आकर इनसे इनका मस्तक मांगा। इन्होंने बहुत धन देकर उसे संतुष्ट करना चाहा; पर जब उसने न माना, तब इन्होंने अपने मस्तक पर से राजमुकुट उतारकर उसके आगे रखा । तव ब्राह्मण इन्हें एकांत में ले गया और वहाँ जाकर उसने इनका सिर काट लिया। चंद्रप्रभा- संज्ञा स्त्री० [सं० चन्द्रप्रभा] १.चंद्रमा की ज्योति । चाँदनी । द्रिका । २. बकुची नाम की ओषधि । ३. फच र । ४. बंद्यक की एक प्रसिद्ध गुटिका जो अर्श, भगंदर आदि रोगों पर दी जाती है। चंद्रप्रासाद-संज्ञा पुं० [सं० चन्द्र+प्रासाद] छत पर स्थित वह कमरा जिस में बैठकर लोग चाँदनी का आनंद लेते हैं (को०] । चंद्रवंधु-संवा पुं० [सं० चन्द्रवन्धु] १ चंद्रमा का भाई। शंख (क्योंकि चंद्रमा के साथ वह भी समुद्र से निकला था)। २. कुमुद । चंद्रवधूटी-संज्ञा स्त्री० [सं० इन्द्रवधू(=इंदुवधू) ] बीरवहूंटी । उ०- नाथ लटू भए लालन जू लखि भामिनि भाल की वंदन वूटी- चोप सों चारु सुधारस लोभ विधी विधु मैं मनो चंद्रबधूटी।- नाथ (शब्द०)। चंद्रवारण-संवा पुं० [सं० चन्द्रवाण] अर्द्धचंद्र बाण जो सिर काटने ___ के लिये छोड़ा जाता था। . . विशेष-इसका फल अर्द्धचंद्राकार बनता था. जिसमें गले में वैठ जाय। '. चंद्रवाला- संज्ञा स्त्री० [सं० चन्द्रबाला] १. चंद्रमा की स्त्री। २. . चंद्रमा की किरण । ३. बड़ी इलायची । - चंद्रवाहु-संशा पुं० [सं. चन्द्रबाह] एक असुर का नाम । . चंदविदु-संज्ञा पुं० [सं चान्द्रबिन्दु अर्द्ध मनुस्वार की बिंदी। सद्ध चंद्रमण चंद्राकार चिह्नयुक्त विंदु जो सानुनासिक वर्ण के ऊपर । ' लगता है। जैसे,-'गांव' में 'गा' के ऊपर । चंद्रबिंब-संशा पुं० [सं०चन्द्रविम्ब संपूर्ण जाति का एक राग जो दिन के : पहले पहर में गाया और हिंडोल राग का पुत्र माना जाता है। " चंद्रवोड़ा -संथा पं० [सं० चन्द्र+4 बोड़ा] एक प्रकार का अजगर । चंद्रभवन-संवा पुं० [सं० चन्द्र भवन] एक रागिनी का नाम । .. चंद्रभस्म-संज्ञा पुं० [सं० चन्द्र भस्म कपूर।। चंद्रभा संघा सी० [सं चन्द्रमा] १. चद्रमा का प्रकाश । २. सफेद . भटकटैया। चंद्रभाग-संचाई [चन्द्रमाग१. चंद्रमा की कला । २. सोलह की संख्या । ३. हिमालय के अंतर्गत एक पर्वत या शिखर का नाम जिससे चंद्रभागा या चनाव निकली है। ऐसी कथा - है कि किसी समय ब्रह्मा ने इसी पर्वत पर बैठकर देवतामों. और पितरों के निमित्त चंद्रमा के भाग किए थे। चंद्रभागा--संघा मी [सं० चन्द्र भागा] पंजाब की चनाब नाम की नदी जो हिमालय के चंद्रभाग नामक खंड से निकलकर सिंधु । नदी में मिलती है। वि० दे० 'चनाब' । उ०-शुभ कुस्खेत, 'अयोध्या, मिथिला, प्राग, विवेनी म्हाए। पुनि शतद्रु औरहु । चंद्रभागा, गंग ब्यास अन्हवाए।-सूर. (शब्द०)। विशेप-कालिका पुराण में लिखा है कि ब्रह्मा के आदेश से चंद्रभाग पर्वत से शीता नाम की नदी उत्पन्न हुई। यह नदी चंद्रमा को डुबाती हुई एक सरोवर में गिरी । चंद्रमा के प्रभाव से इसका जल अमृतमय हो गया। इसी जल से चंद्रभागा नाम की कन्या उत्पन्न हुई जिसे समुद्र ने व्याहा । चंद्रमा ने अपनी गदा की नोक से पहाड़ में दरार कर दिया जिससे होकर चंद्रभागा नदी बह निकली। नंदभार..intoचन्द्र-हिनाट एक प्रकार के भिक्षुक सा. विशेप-ये शिव और काली के उपासक होते है और अपने साय गाय, बैल, बकरी और बंदर आदि लेकर चलते हैं। ये प्रायः गृहस्य होते हैं और खेतीबारी करते हैं। चंद्रभान--संघा पुं० [सं० चन्द्र भानु] श्रीकृष्ण की पटरानी सत्यभामा के १० पुत्रों में से सातवें पुत्र का नाम । उ०-भानु स्वभाव ' तथा अभिमानू ।बृहद्भानु स्वरभानु प्रभानू । चंद्रभानु थीरवि प्रतिभानू । भानुमान सह दस मतिमान् । -गोपाल (शब्द०)। चद्रभाल-संज्ञा पुं० [सं० चन्द्रमाल ] मस्तक पर चंद्रमा की। ___करनेवाले, शिव । महादेव । चंद्रभास-संवा पु० [सं० चन्द्रभास] तलवार कोः । चंद्रभूति-संथा छौ• [सं० चन्द्रभूति] चांदी। चंद्रभूषण- संघा पुं० [सं० चन्द्रभूषण] महादेव । उ०--सित पात्र बाढ़ति च द्रिका जनु चंद्रभूपण भालहीं।तुलसी (शब्द०)। . चंद्रमंडल--संवा पुं० [सं० चन्द्रम(डल| १. च'द्रमा का बिंब । २. चंद्रमा का घेरा या मंडल [को०] । चंद्रमण Ht--संहा पुं० [सं० चन्द्रमणि दे० 'चंद्रमणि' । उ०- माल मगाई चंद्रमण दहण सुर्थभण दाह । दाह हिये लालच दहण, . जतन न यंमण जाहु ।--वांकी गं, भा० ३. पृ९५८ । .