पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३६२

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१४३६ चकर . चकचौहना मुहा०-चक काटना-भूमि का विभाग करना । जमीन की हद चकचावल-संशा पुं० [अनु॰] यकाचौंध । उ०-- गोकुल के चप से बाँधना । चक चाय गो चोर ली चौकि अयान विसासी।(शब्द०)। ६. छोटा गाँव ! खेड़ा । पट्टी। पुरवा । ७ करघे को वैसर के चकन-वि० [सं० चक्र + चूरणं] चूर दिया हुमा । पिसा हुआ। चकना-, कुलवासे से लटकती हुई रस्सियों से बँधा हया डंडा जिसके ... चूर । उ०- पान, सुपारी खर यह मिल कर च कचन । तब . दोनों छोरों पर चकडोर नीचे की ओर जाती है। लगि रंग न राचं जब लनि होय न चून 1-जायसी (शब्द०)। (जुलाहे) ८. किसी बात की निरंतर अधिकता । तार । चकचुर -वि० [हिं० चफचर] 2. 'चवाचन' । उ०-तिनको निरसे : मुहा- चक बँधना=बराबर बढ़ता जाना । एक पर एफ अधिक . दिन चारि गये छिन में चकचूर ह धूर समाये ।-दीन० ० - होता जाना । तार बंधना । जैसे,—यहाँ पाकर काम करो; देखो रुपयों का चक बंध जाता है। चकचुर-संशा पुं० [हिं०] मस्त । बेखुद । उ०-ग्य और अधिकार : ६. अधिकार । दखल । ___ के नशे में ऐसा च कचुर हुमा कि लोक परलोक को कुछ खबर मुहा०-चक जमना=रंग जमना । अधिकार होना। नहीं रही।-श्रीनिवास ०, पृ० २६१। .. १०. सोने का एक गहना. जिसका प्राकार गोल और उभारदार चकचरना- कि स० [हिं० चक+चरन] दफड़े टुकड़े कर डालना।.. ___ होता है । इसका चलन पंजाब में है । चौक। . - चकनाचूर करना। चक-वि० भरपूर । अधिक । ज्यादा । उ०-(क) उन्होंने चक माल चकचरा - वि० [हि. चफचर] दे॰ 'चव चन' 130-अगम पंय सू : मारा है । (ख) उनकी चक छनी है।-(भंगड़)। पर न डिगाव होय जाय चकचरा :-चरणः वानी, पृ०५६।। चक-वि० [सं.] चकपकाया हुआ । भ्रांत । भौचक्का । उ०--चक चकचहट -क्रि० स० [हिं० चकचकाना] चिंता। सोच । चकित चित्त चरवीन चुभि चकचकाइ चंडी रहत ।-पद्माकर धुकधुकी ! उ-नाहर है पियारा, चवाचूहट जिय होइ ।--- (शब्द०)। ईद्रा०, पृ०५७। चक -- संधा पुं० [सं०] १.साधु । २. खल । चकचोहट --01-संशा स्त्री० [हिं० चकचूहट] दे॰ 'चकचूहट'। चकई संज्ञा स्त्री० [हिं० चकवा] मादा चकवा । मादा सुरखाव । २०-जागत की चकचाहट लागा । जस पंछी कर तें उड़ . वि० दे० 'चकवा' 150-(क) सोते सिख दाहक भइ कैसे। भागा।-हिंदी प्रेम०, पृ०२५८। चकडहि सरद चंद निसि जैसे ।—तुलसी (शब्द०)। (ख) चरचोढ -संघा सीहिं०] ३० 'चपाचौंध, 1 30-फगुवा ताहि । संपति चकई भरत चक मुनि पायसु खेलवार -तुलसी मोहिं चकचोटी यह रसरी ति ठई।---धनानंद, पृ० ४७४ । " (शब्द०)। - चकचोह-सं मौ० [हिं०] दे॰ 'चरचोही'। चकई--संवा स्त्री० [सं० चक्र] घिरनी या गड़ारी के प्राकार का चकचोही--पंधा श्री० [हि ० चकचोहा) हंसी मजाक । चुहल। . एक छोटा गोल खिलौना जिसके घेरे में डोरी लपेटी रहती चकचौंध --संघा स्त्री० [हिं० चकाचौंध] दे० 'चकाचौंध' । है। इसी डोरी के सहारे लड़के इसे फिराते या नचाते हैं। चकचौधर-वि० चकित । विस्मित । उ०-कोज जु रह चकचाय उ०- (क) भौंरा चकई लाल पाट को लेडुमा मांगु. पाट का लडुमा मांगु रुचिर पीतांबर छवि पर। -- नंद००, पृ० २७८। खेलौना।---सर (शब्द०)। (ख) इतत उत उतते इतछिन चकाचौंधना'- वि० [हिं० चख+चौधना) आँव' का अत्यत । न कहूँ ठहराति । जक न परति चकई भई, फिरि मायति फिरि . अधिना प्रकाश के सामने ठहर न सकना । अत्यंत प्रखर प्रकाश जाति ।-बिहारी (शब्द०)। के सामने दृष्टि स्थिर न रहना। प्रांख तिलमिलाना । चकाचर्णोध' चकई-वि० गोल बनावट का । जैसे,—-चकई याडु । चकई छातो। होना। चकचकाना--क्रि० अ० [अनु०] १. पानी, खून, रस या और किसी चकचौंधना कि० स० ग्रांख में चमक उत्पन्न करना । अब द्रव पदार्थ का सूक्ष्म कणों के रूप में किसी वस्तु के अंदर से तिलमिलाहट पैदा करना । चकाचौंधी उत्पन्न करना । 10- निकलना । रस रसकर ऊपर पाना । जैसे,-जहाँ जहाँ वेत (क) अंध धु'ध अंबर ते गिरि पर मानो परत वन के तीर।। लगा है, खून पकचका प्राया है। २. भीग जाना । 30-- चमकि चमकि 'चपला चकचौंधति श्याम कहत मन धीर ।--- चख चकित चित्त चरबीन चुभि चकचकाइ चंडिय रहत । - सूर (शब्द॰) । (ख) चवचौधति सी चितदै चित मैं चित पद्माकर गं०, पृ. २६० . सोबत हूँ मह जागत है। -केशव (शब्द०)। चकचकी-संज्ञा स्त्री॰ [अनु॰] करताल नाम का बाजा। चकाचौंधा --संज्ञा पुं० हिं०] दे॰ 'चकाचौंध । उ०-गरगि बुला- चकचाना-क्रि० प्र० [अनु०] चौंधियाना । चकाचौंध लगना। बति तोहिं चंचला च मयत राह दिखाई। मौरन के च फचौधा उ--तो पद चमक चकचाने चंदचूड़ चप चितवत एकटक लावत तेरी करत सहाई ।--भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ० १११।। • जंक बंध गई है।-चरण (शब्द०)। । चकचौंधी-संज्ञा श्री० हिं० चकाचौंध] दे॰ 'चकाचौंध' । .. चकचाल ---संज्ञा पुं० [सं०. 'चक+हि० चाल] चक्कर । भ्रमण। चकचौंह -- संसा बी० [देश॰] चकाचौंध । फेरा । उ०-माया. मत चकचाल करि चंचल कीए. जीव । चकचौबंद -जि० [हिं० क+फा चौबद] दे० 'चाकचाव साया माते मझ पिया दाद विसर पीव ।दादू (शब्द०)। चकचौहना---किन म० देश०] चाह से देखना । आशा लगाए.