पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३६३

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.१४४० चकवंट ...बाँधकर देखना । उ०-जनु चाता सुखद सेवाती । राजा चकचौहत तेहि भाँती।-जायसी (शब्द०)। कावा- संदा पुं० [हिं० चकरवा दे० चकरवा'। कडार-संजा सी० [हिं० चकई +टोर | १. चकई की डोरी। चकई नामक चिलाने में लपेटा हुया सूत । उ०—(क) वेलत ... अवध वारि गोली मॅक्स पकडोरि, मूरति मधुर यतै तुलसी के हियरे। तुलसी (शब्द०): (ख) दे मैया भंवा चाडोरी। जाइ लेहु मारे पर राबो काल्हि मोल लै रावं कोरी।-सूर .. (शब्द०), . जुलाहों के करवे में वह डोरी जो चक या नवनी में लगी हुई नीचे लटकती है और जिसमें वेसर बंधी रहती है। डोल- स्त्री० [सं० चकदोल] पुराने ढंग की एक पालकी । - कत-संज्ञा पुं० [हिं० चकत्ता] दाँत की पकड़ । चकोटा। मुहा०- चकत मारना:-दांत से मांस आदि नोच लेना। वकोटा . . मारना । दांतों से काट खाना । चकता--संश पुं० [तु० चगताई दे० 'चकत्सा' । कताई -संधा तु० चगताई] दे० 'चकत्ता'। चकती-संधात्री० [सं० चक्रवत् ?] १. किसी चद्दर के रूप की वस्तु - " ... का छोटा गोल टुकड़ा। चमड़े, कपड़े आदि में से काटा हुमा

गोल या चौकोर छोटा टुकड़ा। पट्टी । गोल या चौकोर

धज्जी। जैसे,...इस पुराने कपड़े में से एक चकती निकाल

. लो। २. किसी कपडे, चनई, बरतन आदि के फट या फूटे हुए

... स्थान पर दूसरे कपड़े, चमहे या धातु ( चद्दर) इत्यादि का टका या लगा हुमा टुकड़ा। किसी वस्तु के फटे टूटे स्थान को बंद करने या मुदने के लिये लगी हुई पट्टी या धज्जी । .. बिगली . क्रि० प्र०-लगाना। मुहा०- बादल में चकती लगाना=यनहोनी यात करने का ... प्रयत्न करना । असंभव कार्य करने का प्रायोजन करना। बहुत बड़ी चड़ी बातें कहना। ३. दुबे भेड़े की गोल और . चौड़ी दुम । चकत्ता'- संथा पुं० [सं० चक्र-वत]१. शरीर फे पर बना गोल दाग । चमड़े पर पड़ा हुया धन्या या दाग। विशेप-रक्तविकार के कारण चमड़े के ऊपर लाल, नीले या . काले चकत्ते पड़ जाते हैं। २. पूजलाने मादि के कारण चमड़े के ऊपर घोड़े से घरे के बीच पड़ी हुई चिपटी और बराबर सूजन जो उमड़ी हुई चकती की तरह दिखाई देती है। ददौया । ३. दांतों ने पाटने का विल। दांत चुभने का निशान । क्रि० -डालना। मुहा०-चकत्ता भरना=दांतों से काटना । दांतों में नाम निकाल लेना । चकता मारना-दांत से काटना । पत्ता---संगपुं० [तु चयताई ] १. नोगल या तातार अमीर तयोजिसवंग में वापर, प्रकपर पारि भारतय ... के मुगल बादशाह थे। 30-मोदी भई चंडी पिनु चोटी के पवाय सीस, खोटी भई संपत्ति चरुता के घराने की।- भूपा राब्द०)। २. चगताई वंग का पुरुष। 30- मिलतहि कुरुख चकत्ता को निरचि कीनी सरजा मुरेस ज्यों दुचित वजराज को। भूपण (ब्द०)। चकदार--संशा पुं० [हिं० चक+फादार (प्रत्य॰)] वह जो दुसरे की जमीन पर फूयों बनवावे और जमीन का लगान है। चकन -मंधा पुं० [सं० चक्र ] गुलचाँदनी नाम का फल । 30- कमल गुलाब चकन की तैना । होत प्रफुल्लित नय तिय नैना। - पद्माकर ग्रं॰, पृ०४१। चकना-क्रि० अ० [सं० चक(= प्रांत)] १. चकित होना । नौचक्का होना । चकपकाना । विस्मित होना। उ०--(क) चित चितेरी रही चकि सी जकि एक तेहगढ तस्वीर सी 1-- बेनीप्रवोन (शब्द॰) । (ख) जबंसी धनि धनि मुख फहहीं। हरि की रीति देखि चकि रहहीं।--रघुराज (शब्द०)। २. चौकन्ना। आशंकायुक्त होना । उ०-(क) चित्र लिये मल को कर मैं । भवन अकेली हमार्ने । सग सखीन सों चकि क । यो समता मिलब तकि के। - गुमान (शब्द०)। (ख) फूलत फूल गुलाबन के चटफाहटि चौंकि की चपला सी।---पद्याकर (शब्द०)।(ग) उचकी लची चौकी पकी मुख फेरि तरेरि बड़ी वियां चितई। -वनी (शब्द०)। चकनाचूर--वि० [हिं० चक=भरपूर+चूर] १. जिसके टूट फूटकर वहुत से छोटे छोटे टुकड़े हो गए हों। यूरचूर । संड पंड । चरिणत । उ०-साहब का घर दूर है जैसे लंबी खजूर । चड़े तो चाखे प्रेम रस गिरं तो चकनाचूर । कबीर (शब्द०)। २. बहुत थका हुया । धम से शिविल। अत्यंत बांत । क्रि० प्र०—करना । —होना। चकपक--वि० [सं० चक (=भ्रांत) ] भौचक्का । चकित । हल्का बक्का । स्तंभित । चकपकाना-मि०प्र० [सं० चक (=भ्रांत) ] १. पारन्यं से इधर उधर ताकना । विस्मित होकर चारों और देखना । भौचका होना । उ०—कुप्रर को देखते ही बधाई वधाई का पारी मोर से शोर मच गया। कुंअर बहुत चकपकाया कि यह मामला क्या है ?- भारतेंदु ग्रं॰, भा० ३, पृ० ८०८ । २. प्रागंका से इधर उधर ताकना । चौफना। चकफेर-संया पुं० [सं० चक+हि फेर ] चक्कर । फेरी । ३०- परी भट हिय हल पाय रह्यो चकफेर बनिधि मन को ले गयो नेफान लागी बेर।--ग्रज पं०, पृ. ३६। चकफेरी-पंधा मो० [सं० चक, हि चक फेरी] रिती बनाया मंडल के चारों ओर फिरने को किया । परिक्रमा वरी। क्रि० प्र-करना।-होगा। चरवंदी-संशा पी० [ हि चफ +5 बंदी ] भूमि छोटे भागों को एस में मिलित करने की किता। जमीन को हदबंदी। चकट- सं ० [हि. चक+यांदना] भूमि के पडेट की कट हिस्वों में बौना।