पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३७५

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१४५४ चटाई बटबटायन . अप्प त्रास - टूटना या फूटना । उ०-गर्व वचन प्रभु सुनत तुरत ही तनुः चटपटी-संज्ञा स्त्री० [हिं० चपट ] [fo चट पटिया ] १. विस्तारयो । हाय हाय करि उरग वारही बार पुकारयो । अातुरता । हड़बड़ी । उतावली। शीघ्रता । 30-तब रंचक - शरन पारन अब मरत ही मैं नहिं जान्यो तोहिं । चटचटात तुम हिय मैं प्राइ। बहुत्यौ गए चटपटी लाई ।-नंद ग्रं०, अंन फूटहीं राख राख्नु प्रभु मोहिं ।—सूर (शब्द॰) । पृ०७१। २. गैठीली लकड़ी, कोयले प्रादि का चटचट शब्द करते हुए क्रि० प्र०-पड़ना।-मचाना! होना। जलना । ३. तेल वा गोंद जैसी चीजों के लंगने पर सूख २. घबराहट । व्यग्रता । प्राकुलता । ३. वह बैचेनी जो किसी चलने की स्थिति में छूने से होनेवाली हलकी ध्वनि । - वस्तु को प्राप्त करने के लिये हो । उत्सुकता । प्राकुलता। . चटचटायन--संवा पुं० [सं०] जलती हुई लकड़ी या प्राग का चटचट छटपटी । उ० (क) देखे दिना चटपटी लागति कछु मूड शब्द करते हुए जलना को । -पड़ि पर ज्यों ।-सूर (शब्द०)। (ख नैननि चटपटी मेरे

चटचेटक-संज्ञा पुं॰ [ नं० चेटक ] टोना। जादू। उ०-मोहन . तव ते लगी रहति कहाँ प्राण प्यारे निर्धन को धन !-सूर

बसीकरन चचेटक, मंत्र जंग सब जाने हो । तातें भले भले . सब तुमको भले भले करि मान हो ।--ब्रज०, पृ०६०। चटपटी-वि०. सी० [हिं० चटपटा] दे० 'चटपटा' । ..चटन-संचा पुं० [सं०] १. चटकना । फटना-। २. दरार पड़ना । ३. चटपटी-संद्या स्त्री० [हिं० चटपटा] चटपटी चीज । जैसे,--कचालू छोटे छोटे टुकड़े में फटना [को०] । आदि। टनी--संवा नौ [हिं० चाटना] १. चाटने की चीज । वह गीली चटपट्टी -संज्ञा स्त्री० [हिं० चटपटी ] अाकुलता। वेचैनी। वस्तु जिने एक उंगली से थोड़ा थोड़ा उठाकर जीभ पर छटपटी । उ०-हहरि हिरन हारियव, हेरि कातरख रट्टिय । रख सकें। अवलेह । २. वह गीली चरपरी बस्तु जो पुदीना, अप्प पास भय मोह विरह लग्गी चटपट्टिय ।--पृ० रा०, हरा धनिया, मिर्च, खटाई, आदि को एक साथ पीसने से बनती १००। है और भोजन का स्वाद तीक्षण करने के लिये थोड़ी थोड़ी चटर--संज्ञा पुं० [अनु०] किसी चीमड़ वस्तु के किसी कडी वस्तु बाई जाती है। पर धार वार पड़ने का शब्द । चटपट शब्द । मुहा०- चटनी करना-(१) बहुत महीन पीसना । (२) । ... . मुहा०-चटर करना-मस्तूल आदि को घुमाना या फेरना । पीत डालना । चूर चूर कर देना । (३) मार डालना । (४) 2 चक्कर देना- (लश०)1 . खा जाना । चटनी की तरह चाटना या चाट जाना-खतम यो०-चटरचटर=चट चट की आवाज । चटरपटर चटपट कर देना । सरलता से समाप्त करना। चटनी बनाना=दे० . 'चटनी करना' । चटनी समझना=आसान समझना । चटनी की ध्वनि । हाना-(१) खूब पिस जाना 1.(२)चट हो जाना। चटपट चटरजी-संक्षा पुं० [40] बंग देश के ब्राह्मणों की एक शाखा। वा लिया जाना । खाने भर को न होना । (३) चुक जाना। चट्टोपाध्याय । खतम हो जाना । उड़ जाना। - चटरी-संज्ञा सौ [देश॰] खेसारी नाम का कुवान्य । लतरी । . ३. काठ आदि का चार पांच अंगुल का मुख्यतः रंगीन और चिपटया। चमकदार एक खिलौना जिसे छोटे बच्चे मुह में डालकर चटवाना--क्रि० स० [हिं० चाटना का प्रे० रूप] ?. चाटने का काम चाटते या चुसते हैं। ... कराना । चाटने में प्रवृत्त करना । चटाना । २. छुरी, तलवार चटपट-क्रि० वि० [अनु० शीघ्र। जल्दी । तुरंत । झटपट । तत्क्षण। ' 'यादि पर'सान रखवाना । सान पर चढ़वाना । तत्काल । फौरन । उ०-एक जीव जीवत है उमर अंदाज भर एक जीव होते हिंसु होत चटपट है।--ठाकुर०, पृ०.१३ । चटशाला--संज्ञा स्त्री० [प्रा० चट विद्यार्थी+सं० शाला] बच्चों के मुहा०-चटपट को गिरह वह फंदा जिसे खींच लेने से चट से , पढ़ने का स्वान । छोटी पाठशाला। गांठ पड़ जाय । सकरमुट्टी।-(लश० )1 चटपट होना= चटसार -संहा मी० [हिं० चटशाला ] बच्चों के पढ़ने का चटपट मर जाना । थोड़ी ही देर में समाप्त हो जाना । वात स्थान । पाठशाला। उ०--अव समझी हम बात तुम्हारी की बात में मर जाना।। पढ़े एक चटसार—सूर (शब्द०)। .... चटपटा-वि० [हिं० चाट][श्री. चटपटी चरपरा। तीक्ष्ण स्वाद का। मजेदार। चटसाल संचा स्त्री० [हिं० चटशाला ] दे० 'चटशाला'। उ०- तिनके सँग चटसाल पठायो। राम नाम सों तिन चित चटपटाना:-क्रि गहि० चटपट] जल्दी करना। हड़बड़ी लायो।--सूर (शब्द०)। चटपाट -कि विहि चटपटी दे० 'चटपटी'। उ०-कोउ चटा-संघा यौः [प्रा० चट (विद्यार्थी)] चट्टा। चेता। विद्यार्थी- . चटपटि सौं उर लपटी कोर कर वर लपटी । कोर गल लपटी : 30-मनी मार चव्सार सुठार चटा से पढ़हीं।-नंद० ०, कहति भले भलं कान्हर कपटी। नंद००, पृ० १६ । ... पृ०२०३। .. . चटाई-संशा की० [सं० कट(=चटाई)] वह बिछावन जो पास फूस, मवाना। .