पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३८

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खक्खा -संवा पुं० [हिं० खत्री का ख, यो 'क्खर'.]-१. पंजाबी पवन खग वुद खग देव । खग विहंग हरि सुतरु तजि बम . : सिपाही। .. ...... ... उर सेंवल सेव ।-अनेकार्य (शब्द०)-११. महादेव (को०)। 3: विशेष-पंजाब के खत्री प्रायः अपने आप को 'खक्खा' कहा करते १२. शलभ (को०)।. . . .. . ..1 - हैं। इसी से यह शब्द अनेक प्रों में व्यवहृत होने लगा। खगर-वि०पाकाशचारी ने भगामी किो०] 1. ....... ...२. अनुभवी पुरुष । तजुर्वेदार यादमी। ३. बड़ा और उँचा हाथी। खग@-संज्ञा पुं० सं० खड्ग, हि खंग] दे० 'खंग', 'खङ्ग'। खक्खासाहु-संज्ञा पुं० [हिं० खक्वा+साहु] १. वह मनुष्य जो . . . . : (क) हाजी गख्खर खान सांति साग जोलि विहत्य। -पृ० व्यापार में बहुत चतुर हो २. खत्री जाति का व्यापारी। .." रा०,१०१८ । (न) नव ग्रहन मद्धि जनु सूर तोप । बाग संखड़ा-वि० [देश खक्खड़] १.. शुष्क । नीरस । २. छूछा। '. नंम क्रम संमर अदोपा--पृ० रा०.६।६।। . खोखला। . ....... ...... . खगकेतु-संवा पुं० [सं०] गरुड़ । उ०--वरणि न जाय समर

.
खमकेतु-तुलसी (शब्द०)। . :: :

खसरा-संशा पुं० [हिं० खंबड] १. खरा । २.ास का बना .. हुमा वड़ा टोका । . .... खगखान-संशा पुं० [सं०] वृक्षकोटर । पेड़ का कोंढर [को०] । खगति--संशा औ० [सं०] एक छंद का नाम [को०] ! ... खखरा -वि० [हिं० खोखर] झीना- अत्यंत महीन ।... :::: खंगना-क्रि० स० [हिं० खांग = कांटा] १. गड़ना । पैठना । चुमना। खखरिया-संघा बी० [देश॰] मंदे और देउन की बनी हुई पापड़ बँसना । उ०-कह ठाकुर नेह के ने जन को उर में मनी पानि - की तरह की हलकी पतली पूरी जो अलोनी होती है। ... सागी सो गी:-टाकुर (शब्द०)। २. चित्त में बैठना । खखसा-संका पुं० [देश॰] दे० 'सेकसा' या दखसा । -

मन में फंसना । असर करना । उ०-जाहींसों लागत नन

खखार-संबा ३० [अनु०] गाड़ा थूक या कफ जो खखारने से। .. ताही के द्वागत वन नखा शिख लौं सब गात . प्रसति ।--सूर निकले । कफ। .. .. . ....... ....: (शब्द०)। ३. लग जाना । लिप्त होना । अनुरक्त होना। खखारना- क्रि० [सं० कफ क्षारण] १. पेट की वायु को फेफड़े उ०-प्रफुलित बदन सरोज सुदरी प्रतिर नैन रंगे । पुहकर ...... से इस प्रकार निकालना जिससे खरखराहट का-शब्द हो तथा पुंडरीक पूरन मनो खोजन केलि खगे। सूर (शब्द०)।४. कभी कमी कफ या यूक भी निकले । २. दूसरे को सावधान चिहिनत हो जाना । छप जाना 1 उपट पाना । उभर आना। करने के लिये गले से खरखराहट का शब्द निकालना : उ०-यह सुनि धावत धरनि चर की प्रतिमा. बगी पंथ में . खखेटना -क्रि० स० [देश॰] १. दवाना। २. पीछा करना। .. पाई।सूर (शब्द॰) 1५ अटक रहना । अचल होकर रह .: .-३.घायल करना । छेदना । उ०-वेई पठनेटे. सल सांगन जाना पड़ जाना । उ०-करि के महा घमसान । सागि रहे खखेठे धूरि, धूरि सौ लपेट लेट भट महाकाल क. .. खेत पठान--सूदन (शब्द०) ... - -सूदन (शब्द०)। . . ... . खंगनाथ-सचा पुं० [सं०] गरुड़ [को०] | " ....:.:.. . खखेटना@-क्रि० प्र० [हि० - सखेटा] खटका होना । माशंका । खगपति-संचा० [सं०] १. सूर्यः। २. गरुड़ 17 : "होना। 1०-सोच भयो सुरनायक के कलपद्र म के हिय ममि ... विशेष-पक्षीवाची शब्दों के बाद स्वामीवाची . या ध्वजावाची ..: खखेट्यो।-कवितां को भा०१, पृ० १५०1": शब्द लगा देने से वह समस्त-शब्द 'गरुड़' वाची हो जायगा। खबेटा..-संा पुं० [हिं० खखेटना] १. 'भगवढ़। दोधूपः। २. ... .जैसे... खागपति, बागराज, बागकेत, खगनाथ, सागनायक । दाद । दबाव । २. छिद्र । ४. अाशंका । खटका। खगवक्त्र--संज्ञा पुं० [सं०] लकुचं का फल [को०]। - खखेना@-क्रि० स० [देश॰] दे० 'खखेटना'! " खंगवती-संमा स्त्री० [सं०] पृथिवी । धरती [को०] । । । खतेरा--संवा पुं० [देश॰] उपहास । कलंक लांछन ।' खगवार संवा स्त्री॰ [देश॰] गले का इंसुली नामक ग्राभूषण । खखोंडर-संश पुं० [सं० ख+कोटर] १. पेड़ के फोटर में बना। टिर म बनी 'सौगौरिया' . ........ . ' हा किसी पक्षी का घोंसला। २. उल्लू पक्षी का घोंसला। खगशत्र--संज्ञा पुं० सं०] पृश्निपणी लता [को०)। . खखोरना-क्रि० स० [देश॰] अंच्छी तरह दना । सब जगह खोज। खगस्थान-संवा पुं० [सं०] १. पेड़ का कोटरे । सांगवान । २. चिड़ियों . .. डालना । छानबीन करना । . . .. .... का घोंसला [को०] । खखोल्क-संका पुं० [सं०1 सूर्य का नाम [को०] । खगहा:--संथा पुं० [हिं० नांग=निकला. हुमा पंना दांन] गंग। " विशेप-इनकी मूर्ति काची में स्थिति कही गई है। काशीखंड .. ... उ०-नागहा करि हरि बाघ बराहा । देनि महिष वृष साजु ....... के ५०वें अध्याय में इनका विवरण है।.... सराहा। तुलसी (शब्द०)। ... . खगंगा संवा बी.सं० खगङ्गा आकाशगंगा । मंदाकिनी। खगांतक-संशा पुं० [सं० खगान्तक] लागों का अंत करनेवाला पक्षी। . खग-संशा पुं० [सं०] १. अाकाश में चलनेवाली वस्तु या व्यक्ति । । . बाज । श्येन ।। .. .. . .पहा विडिया। ३. गंधर्वः। ४. वाण तीर । ५. ग्रह। खगासन--संबा पुं० [सं०] १. विष्णु । २. उदयगिरि । उदयाचल .... तारा सितारा। ६. बादल.। ७. देवता । ८.. सूर्य 18, नाम का पर्वत (को०)। .. . मा ।.१०.वाय । हवा । उ खग रवि जग मशिबय 'सगुण-वि० [सं०] जिस.रानि का गुणक शुन्य हो (गणित)