पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३९२

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चमक चमकना चमक-संशा मी० [सं० चमत्कृत् या अनु०] १. प्रकाश । ज्योति । प्रादि हिलाकर भाव बताना। (जैसा स्त्रियाँ प्रायः करती : रोशनी । जैसे,--माग या सूर्य की चमक विजली की चमक । हैं)। ६. मटककर कोप प्रकट करना । १०. लड़ाई ठनना।। २. कांति । दीप्ति । प्राभा । झलक । दमक । जैसे,-सोने झगड़ा होना । उ०--प्राजकल उन दोनों के बीच खूब चमक । की चमक । कपड़े की चमक । रही है। ११. कमरे में चिक माना । अधिक बल पड़ने या । यो०--चमक दमक 1 दमक चांदनी :- चोट पह चने के कारण कमर में दर्द उठना । झटका लगना। मुहा०-चमक देना या मारना=चमकना । झलकना । चमक लचक पाना । जैसे,-चोझ इतना भारी था कि उसे रठाने में , लाना-चमक उत्पन्न करना झलकाना। कमर चमक गई। ३. कमर आदि का वह दर्द जो चोट लगने या एकवारगी अधिक कि० प्र० जाना। बल पड़ने के कारण होता है। लचक । चिक । झटका: चमकनी--वि०बी० [हिं०. चमकना] १. चमक जानेवाली। जल्दी जैसे,—उसकी कमर में चमक भा गई है। . : . . चिढ़ या भड़क जानेवाली २. हाव भाव करनेवाली। क्रि० प्र०-पाना ।-पड़ना। चमकवाना- क्रि० स० [हिं० चमकना का प्र० रूप] चमकाने का ४. बढ़ना । उ०-रात को जाड़ा यद्यपि चमक चला था।- काम कराना। प्रेमघन॰ भा०२१ ५. चौंक । भड़क । उ०-जइ ढोला चमका -संवा श्री० [सं० नमस्कार ] चमक । प्रकाश । .. तावियउ काललयारा तीज । चमक मरेसी मारवी, देव चमकाना-क्रि० स० [हिं० चमकना] १ चमकीला करना । चमक खिवंता बीज |--ढोला०, दू० १५० । लाना। दीप्तिमान करना । कांति लाना । ग्रोपना । झलकाना। चमक चांदनी-संञ्चा सौ[ हिं० चमक+चांदनी] बनी ठनी २ उज्वल करना । निर्मल करना । साफ करना । झक' रहनेवाली दुश्चरित्राम। करना । ३. भड़काना । चौंकाना । ४.चिढ़ाना । खिझाना । चमक दमक--संज्ञा स्त्री० [हिं० धमक+दमक अनु० ] १. दीप्ति । ५. घोड़े को चंचलता के साय बढ़ाना। ६. भाव बताने के 12 भा । झलक । तड़क भड़क । २. ठाट बाट । लक दक ।- लिये अंगुली आदि हिलाना मटकाना ।जैसे,उगली चमकाना। । जैसे,-दरबार की चमक दमक देखकर लोग दंग हो गए। चमकार-संथा श्रीहि चमक-पार (प्रत्य॰)] चमक कोधा। चमकदार-वि० [हिं० चमक+फा० दार ] जिसमें चमक हो । उ० -जब आगे कू याद देखकर जगमग जोती । विन चमकीला 1 भड़कीला। दामिनि चमकार सीप विन उपज मोती ।--सहजो, चनकना-क्रि० प्र० [हिं० चमक से नामिक धातु] १. प्रकाश या 1. ज्योति से युक्त दिखाई देना । प्रकाशित होना । देदीप्यमान हो । होना। प्रभामय होना। जगमगाना । जैसे, सूर्य का चमकारा'-संवा पु० [हिं० मक+पारा (प्रत्य॰)] चकाचौंध 1. चमकना, प्राग का चमकना। करनेवाला प्रकाश । चमक । "संयो॰ क्रि०-उठना ।--जाना। चमकारार-वि० चमकदार । चमकीला । उ०-शब्द करीगर २. कांति या याभा से युक्त होना । झलकना । भड़कीला होना। रूप चमकारा। शशि अनेक ताही जनु ढारा ।-कबीर सा० दमकना । जैसे,—सोने चांदी का चमकना । कपड़े का चम- पृ० १०४। कना। ३. कीर्तिलाभ करना । प्रसिद्ध होना । समृद्धिलाभ चमकारी'. संभाजी० [हिं० चमकार ] १. चमक । प्रकाश । करना । श्रीसंपन्न होना । उन्नति करना । जैसे,—देखो, वहाँ उ०-अधरविंव दसनन को शोभा दुति दामिनि चमकारी ।- जाते ही वे कैसे चमक गए। ४. बुद्धि प्राप्त करना । बढ़ती पर सूर (शब्द०)।२. बनाव । तड़क भड़क । उ०.-अंग अंग तोरे होना। बढ़ना। जैसे,—पाजकल उनकी वकालत खूब चमकारी कैसे कहीं तोहि मैं नारी। कबीर सा०, पृ० ७८ । चमकी है। चमकारी-वि० चमकीली । मुंहा-किसी की चमकना=किसी की श्रीवृद्धि होना । किसी चमकी संथा स्त्री० [हिं० चमक] कारचीवी में रुपहले या सुनहले 10 की बढ़ती और कीति होना। या तारों के छोटे छोटे गोल या चकोर चिपटे टुकड़े जो ५. चौंकना । भड़कना। चंचल होना (घोड़े आदि के लिये )। जमीन भरने के काम आते हैं। सितारे । तारे। .. 'उ०--चमक तमक हाँसी सिसक मसक झपट लपटांनि । जेहि चमकीला-वि० [हिं०चमक +ईला (प्रत्य॰)] १. जिसमें चमक हो। रति सो राते मुकत और मुकति प्रति हानि --बिहारी चमकनेवाला। चमकदार । प्रोपदार । २. भड़कदार। (शब्द०)। ६. फुरती से खसक जाना 1 झट से निकल जाना। भड़कीला । शानदार। . - उं0-सखा साथ के चमकि गए-सब गयो श्याम कर धाइ। चमकोवल-संशा स्त्री० [हिं० चमक+ौवल (प्रत्य॰)! १. चमकाने 1: पौरनं जानि जान मैं दीनो तुम कह जानु पराइ । ..सूर की क्रिया । २. मटकाने की क्रिया । .... (शब्द०) ७. एकबारगी दर्द हो उठना। हिलने डोलने में चमका-संथा स्त्री० [हिं० चमक ] दे० 'चमक। उ०-चौदिस किसी अंग की स्थिति में विपर्यय या गड़बड़ होने से उस अंग में चकमक चमक होइ खरगण तरंगे । -कीति०, दे०.१०२ ।

सहसा तनाव लिए हुए पीड़ा उत्पन्न होना । जैसे,-बोझ चमकना -कि०म० दे० 'चमकना । To----(क) तरवारि चमकद..

बहाने में उसकी कमर चमक गई है । ८, मटकना । उगलियां . बिज्जुझना ।-कीतिक पृ० ११० ।