पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४०३

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५४०२ चरहले भी दिया जाता है। चरम्म संचा पुं० [सं० चर्मन्] ढाल ! उ०-खड़ाखड़ी चरम्म है, ३. भूमि नापने का एक परिमाण को किमी किसी के मत से .. मडाझड़ी खगरा । गले वलावली दले करे वली गरज्जरा। २१०० हाथ का होता है । गोचर्म । ४. गांजे के पेड़ से निकला ...- रघु रू०, पृ० ६१। । हुआ एक प्रकार का गोद या चेप जो देखने में प्रायः मोम की चरलीता-संज्ञा पुं० [देश०] एक प्रकार की काण्ठौपध । ३०-जब तरह का और हरे अयन कुछ पीले रंग का होता है और . चिराइता चित्रक चीता । चोक चोव चीनी चरलीता। सूदन जिसे लोग गांजे या तंबाकू की तरह पीते हैं । नशे में यह प्रायः गांजे के समान ही होता है। . . .. चरवांक-वि० [हिं० बरवांक] दे० 'चरबांक' । विशेष---यह चेप गांजे के डंठलों और पत्तियों आदि से उत्तर- चरवा-संवा पुं० [देश॰] एक प्रकार का बढ़िया और मुलायम चारा। पश्चिम हिमालय में नेपाल, कुमाऊँ, काश्मीर से अफगानिस्- तानी और तुकिस्तान तक बराबर अधिकता से निकलता है, ..विशेष-यह खेत या खेत की जमीन में वारहो मास अधिकता से और इन्ही प्रदेशों का चरस सबसे अच्छा समझा जाता है। ..उत्पन्न होता है । बैल और घोड़े इसे बड़े चाव से खाते हैं। बंगाल, मध्यप्रदेश आदि देशों में और योरप में भी, यह बहुत कही कहीं वह गायों और भैसों को उनका दूध बढ़ाने के लिये ही थोड़ी मात्रा में निकलता है। गांजे के पेड़ यदि वहुत पास पास हों तो उनमें से चरस भी बहुत ही कम निकलता है। घरवाल, संघा पुं० [देश॰] एक वर्तन का नाम । तावे या पीतल कुछ लोगों का मत है कि चरस का चेप केवल नर पौधों .. का एक पात्र । उ०-शिष्य एक भूमि को तान विकारा ताके से निकलता है । गरमी के दिनों में गांजे के फूलने से पहले .. पान कहावहिं । पुनि चरवा चरई तष्टी तुपला झारी लोटा ही इसका ' संग्रह होता है । यह गांजे के डंठलों को हावन गावहिं ।-- सुंदर, ग्रं०, भा० १, पृ०७४। । दस्ते में कूटकर या अधिक मात्रा में निकलने के समय उस चरवाई-संज्ञा मी० [हिं० चराना] १.चराने का काम । २. चराने पर से खरोचकर इकट्ठा किया जाता है । कहीं कहीं चमड़े की मजदूरी। का पायजामा पहनकर भी गांजे के खेतों में खूब चक्कर वरवाना-क्रि० सं० [हिं० चराना का प्रे० रूप] चराने का काम लगाते हैं जिससे यह चेप उसी चमड़े में लग जाता है, पीछे . कराना।. चरवाहां-सद्धा पुं० [हिं० चरना+वाहा (प्रत्य॰)] ३० 'चरवाह' । उसे खरोचकर उस रूप में ले आते हैं जिसमें वह बाजारों में चरवाहा-संज्ञा पुं० [हिं० चरना+वाहा(-वाहक)] गाय भैस आदि विकता है । ताजा चरस मोम की तरह मुलायम और चमकीले , चरानेवाला । पशुओं को चराई पर ले जानेवाला । यह जो हरे रंग का होता है पर कुछ दिनों बाद वह बहुत कड़ा और पशु चरावे । चौपायों का रक्षक। ... मटमले रंग का हो जाता है। कभी कभी व्यापारी इसमें ठीसी

चरवाही संथा सी० [ हिचर+वाही (प्रत्य॰)] पशु चराने का के तेल और गांजे की पत्तियों के चूर्ण को मिलावट भी देते काम । २..वह धन या वेतन जो पशु चराने के बदले में दिया हैं। इसे पीते ही तुरंत नशा होता है और प्रांखें बहुत लाल ....जाय । चराने की मजदूरी। हो जाती हैं। यह गांजे और भांग की अपेक्षा बहुत अधिक चरवाहोर-संक्षा भी [हिं० घरना+बाही] इधर उधर फिरना । हानिकारक होता है और इसके अधिक व्यवहार से मस्तिष्क में विकार आ जाता है। पहले चरस मध्यएशिया से 'चमड़ें भावारा की तरह घूमना । उ०-सुरत निशानी गात तकि के थैलों या छोटे छोटे चरसों में भरकर पाता था। इसी .:, सकुचत नहिं समुहात । चरवाही जानो करो बेपरवाही वाम । से उसका नाम चरस पड़ गया। --स० सप्तक, पृ० २६४।। परवा --संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] कहारों का एक सांकेतिक शब्द । इसमें चरस-संक्षा पुं० [फा०चज] अासाम प्रांत में अधिकता से होने प्रागेवाला कहार पीछेवाले कहार को इस बात की सूचना वाला एक प्रकार का पक्षी जिसका मांस. बहुत स्वादिष्ट

. : देता है कि रास्ते में गाड़ी एक्का आदि है।

होता है। इसे वन मोर या चीनी मोर भी कहते हैं। चरवया वि० [हिं० घरना+वैया (प्रत्य)] १. चरनेवाला। २. चरसा'-संया पुं० ह० चरस] १. भैस बैल आदि का चमडा। २.

- चरानेवाला।

चमड़े का बना हुआ थैला । ३. चरस । मोट । पुर। चरम्प-वि० [सं०] चर बनाने योग्य । . ४. भूमि का एक परिमाण । गोचर्म । वि० दे० 'चरस' । चरस--संघा पुं० [सं० चर्म] १. भंस या बैल आदि के चमड़े से बना चरसार-संक्षा पुं० [हिं० दरस] चरस पक्षी। ... . हुमा थैला । २. चमड़े का बना हुया वह बहुत बड़ा डोल चरसिया-मंशा पुं० [हिं० घरत+इया (प्रत्य॰)] दे० 'चरसी। जिससे प्रायः खेत सींचने के लिये पानी निकाला जाता है। चरसी-महा पुं० [हि० चरस+ई (प्रत्य॰)] १. वह जो चरस की चरसा । तरसा । पुर। मोट । उ०-चिबुक कूप, रसरी अलक, सहायता से कुएं से पानी निकलता हो। चरस द्वारा खेत तिल सु चरस ग वैल । बारी बस गुलाब की. सींचत मनमय सींचनेवाला । २. वह जो चरस पीता हो। चरस का नशा छैल ।--(शब्द०)। . करनेवाला । जैसे,-चरती बार पिसके ? दम लगाया . : विशेषइसमें पानी बहुत अधिक प्राता है और उसे खीं वने के खिसके।--कहावत। .. . लिये प्रायः एक या दो बैल लगते हैं। चरहल --वि० [हिं० चरना] चलेगा। उ०-मांव के