पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४१०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१४८६ चलता यौ०-चलनहार। हम । चलता होना=चल देना । प्रस्थान करना ।। चलता फिरता नजर प्राना=चलता बनना। २. रिवाज । रस्म । व्यवहार । रीति । २. जिसका क्रमभंग न हा हो। जो बराबर जारी हो।। मुहा०-चलन से चलना=अपने पद या मर्यादा यादि के अनुकूल काम करना । उचित रीति से व्यवहार करना। मुहा०-चलता लेखा या खाता=वह हिसाव जिसके संबंध का लेनदेन बराबर होता रहे और जिसकी बाकी न गिराई ३. किसी चीज का व्यवहार, उपयोग या प्रचार । जैसे- गई हो। (क) अाजकल ऐसी टोपी का बहुत चलन है । (ख) वादशाही ३. जिसका चलन अधिक हो । जिसका रवाज बहुत हो । जमाने के रुपयों का चलन अब उठ गया । प्रचलित 1 30--यह चलती चीज है दुकान पर रख लो। क्रि० प्र० उठना ।-चलना । होना । यो०-चलता गाना=बह गाना जो शुद्ध राग रागनियों के अंत यौं०-चलनसार । गत न हो, पर जिसका प्रचार सर्वसाधारण में हो । जैसे,-- चलन'-- मंधा स्त्री० [सं०] ज्योतिप में एक क्रांतिपात गति अथवा . दादरा, लावनी इत्यादि। विपुबत् की उस समय की गति, जव दिन और रात वरावर , ४. काम करने योग्य । जो आसक्त न हुआ हो। जैसे, चलता होते हैं। बैल । ५. व्यवहार में तत्पर । व्यवहारपट । चालाक । चुस्त। यौ०-चलनकलन । चलता-संज्ञा पुं० [देश॰] १. एक प्रकार का सदाबहार पेड जिसकी चलन'- संज्ञा पुं० [सं०] १. गति । भ्रमण । २. कांपना । कंपन । लकड़ी चिकनी. बहुत मजबूत और अंदर से लाल होती है । ३. हिरन । ४.चरण । पर । उ०-चरन चलन गतिवंत पुनि विशेष—यह वंगाल, मदरास और मध्यभारत में बहुन अधिकता अंघ्रिपाद पद पाइ।- अनेकार्थ०, पृ० ३२ । ५. नृत्य में एक प्रकार की चेष्टा । से उत्पन्न होता है। इसकी लकड़ी प्रायः इमारत में काम पाती है और पानी में जल्दी नहीं सड़ती। इसके पुराने पत्तों चलनक-संमा पुं० [सं०] स्त्रियों के पहनने का छोटा साया [को०) । से हाथीदांत साफ किया जाता है। इसमें बेल के प्राकार का चलनकलन-संज्ञा पं० [सं०] ज्योतिष में एक प्रकार का गणित । वड़ा फल लगता है जो कच्चा भी खाया जाता है और जिसकी विशेष - इसके द्वारा पृथ्वी की गति के अनुसार दिन रात के तरकारी भी बनती है। फल में रेशा बहुत अधिक होता है इस- घटने बढ़ने का हिसाब लगाया जाता है। लिये उसे कच्चा या तरकारी वनने पर चूस चूस कर खाते हैं। चलनदरी ---संशा स्त्री० [हिं० चलन+दर, जलंदरी] वह स्थान जहाँ रास्ता चलनेवालों को पायार्थ जल पिलाया जाता हो। २. रास्ते में वह स्थान जहाँ फिसलन और कीचड़ बहुत अधिक पौसरा । ___ हो। (कहारों की परि०)। ३. कवच । झिलम। चलन समीकरण · संज्ञा पुं० [सं०] गणित की एक क्रिया । वि० दे० चलता--संक्षा स्त्री० [सं०] चल होने का भाव । चंचलता । 'समीकरण' । अस्थिरता 1 चलनसार वि० [हिं० चलन+सार (प्रध्य०)] १. जिसका चलती-संथा स्त्री॰ [हिं० चलना मान मर्यादा । प्रभाव अधिकार । उपयोग या व्यवहार प्रचलित हो। जैसे,-चलनसार सिक्का । जैसे,-प्राजकल उस दरवार में उनकी बड़ी चलती है। २. जो अधिक दिनों तक काम में लाया जा सके । जो बहुत चलतू-वि० [हिं० चलना] १. दे० 'चलता' । २. (भूमि) जो जोती. दिनों तक चले। टिकाक। जैसे,-चलनसार कपड़ा। बोई जाती हो । याबाद । चलनसारी-संज्ञा स्त्री० [हिं० चलनसार-+ई (प्रत्य॰)] १.प्रचलित चलत्पूणिमा--संक्षा स्त्री० [सं०] चंद्रक नामक मछली [को०] । या चाल उपयोग या व्यवहार ।२. बहुत दिनों तक टिकाक चलत्तरवाज-वि [हिं० चरित्तर-+फा० दा] चालबाज । चरि- होने की स्थिति । दीर्घकालिक उपयोगिता। तर या चरित्रवाली । धूर्मा । नखरा करनेवाली। नकल चलनहार-वि० [हिं० चलना-नहार (प्रत्य०)] जो अभी चल करनेवाली । उ-लाडो-हमको यह वातें जरा नहीं भाती रहा हो । २. जो चलने को तैयार हो। ३. दे० 'चलनसार। हैं । बन्नो-गरी चल चलत्तरवाज ! हमसे उड़ती है ।-सैर०, चलना' क्रि० स० [सं०चलन] १. एक स्थान से दूसरे स्थान को भा०१. पृ०२१ । जाना । गमन करना । प्रस्थान करना। चलदंग-संशा पुं० [सं०] एक प्रकार की मछली जिसे झींगा कहते हैं। विशेप-यद्यपि 'जाना' और 'चलना' दोनों क्रियाएँ कमी कमी चलदल- संज्ञा पुं० [सं०] पीपल का वृक्ष । उ०-चलदल पत्र पताक- समान अर्थ में प्रयुक्त होती हैं. तथापि दोनों के भावों में कुछ पट दामिनि कच्छप माथ । भूत दीप दीपक शिखा त्यों मन अंतर है । 'जाना' क्रिया में स्थान की ओर विशेष लक्ष्य रहता भृत्ति अनाथ ।-(शब्द०)। . है; पर चलना' में गति की ओर विशेष लक्ष्य रहता है। यौ०-चलदलदल पीपल का पत्ता। उ०---थिर नहीं तरंग जैसे,-चलती गाड़ी पर सवार होना ठीक नहीं है । चलना बुश्वुद तड़ित प्रग्निसिखा पन्नग सरित त्याही धन जोबन तन क्रिया से भूतकाल में भी क्रिया की समाप्ति अर्थात् किसी स्थान अथिर चलदलदल कैसो चरित । --ब्रजः ग्रं०, पृ० ११८ पर पहुंचने का बोध नहीं होगा । जैसे,- वह दिल्ली चला पिर. चल द्विष-संवा पुं० [सं०] कोकिल (को०] 1 . जाना' से भूतकाल में पहनने का बोध हो सकता है। जैसे,--- चलन'-- संथा पुं० [हिं० चलना] १. चलने का भाव । गति । चाल । 'वह गांव में गया। यता अपने साथ प्रस्थान करने के संबंध