पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४११

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१४६० चलना पलना' . ____ में जब किसी से प्रश्न या अनुरोध करेगा, तब वह 'चलना' किया का प्रयोग करेगा, 'जाना' का नहीं । जैसे,--(क) तुम मेरे साथ चलोगे? (ख) अब यहाँ से चलो।। २. गति में होना । हिलना डोलना। हरकत करना । जैसे.- , माढ़ी चलना, कल चलना, पुरजा चलना, घड़ी चलना । संयो० क्रि०-जाना।-पड़ना । महा०-किसो का चलना=किसी का काम चलना । गुजर होना । निर्वाह होना । जैसे,—इतने में हमारा नहीं चल सकता । पेट चलना=(१) दस्त याना । (२) निर्वाह होना। गुजर होना । जैसे,—इतने में पेट कैसे चलेगा ? मन चलना या दिल चलना इच्छा होना । लालसा होना । किसी वस्तु के लिये चित्त चंचल होना । प्राप्ति की इच्छा होना । जैसे,-- (क) जिस किसी की चीज हुई, उसी पर तुम्हारा मन चल जाता है । (अ) उसको मन पराई स्त्री पर कभी नहीं चलता। मुंह चलना=(१) खाते समय मुंह का हिलना। खाया भाना । भक्षण होना । जैसे,—जब देखो, तब उसका मुह चलता रहता है। (१) मुह से वकबाद या अनुचित शब्द निकालना । जैसे,—तुम्हारा मुंह बहुत चलता है, तुमसे चुप नहीं रहा जाता । (३) के होना । वमन होना । जैसे,—उसका मुंह चल रहा है, कोई चीज पेट में ठहरती नहीं। मुह पेट चलना- दस्त होना। हाय चलना=(१) मारने के लिये हाथ उठाना । (२) मारना । जैसे,—इसके कपर जब देखो तब तुम्हारा हाथ चलता है। चल बसना= मर जाना। अपने चलते-भरसक । यथाशक्ति । उ०—(क) अपने चलत न प्राजु लगि अनभल काहु क कीन्ह । - तुलसी (शाद०)। (ख) अपने चलते तो हम ऐसा कभी न होने देंगे। इसके चलते इस बात के होते हुए । इसके कारण। ३. कार्यनिर्वाह में समर्थ होना 1 निभना । जैसे,- यह लड़का इस दरजे में चल जायगा। मुहा०-चल निकलना=किसी कार्य में उन्नति करना । किसी विषय में क्रमशः आगे बढ़ना । जैसे, उन्हें काम सीखते थोड़े ही दिन हुए; पर वे चल निकले हैं । ४. प्रवाहित होना । बहना । जैसे,—मौरी चलना, हवा चलना। ५. वृद्धि पर होना । बाढ़ पर होना । जैसे,-अब यह पौधा भी चला । ६. किसी कार्य में अग्रसर होना । किसी कार्य का आगे बढ़ना । किसी युक्ति का काम में पाना । जैसे,—सब उपाय करके तो तुम हार गए; अब कोई और तरकीब चली। ७. प्रारंभ होना। छिड़ना । जैसे,-बात चलना, जिक्र चलना, चर्चा चलना । ७. जारी रहना । क्रम या परंपरा हा निर्वाह होना । जैसे,—(क) वंश चलना, नाम चलना । (ख) जब तक रामचरितमानस रहेगा, तब तक तुलसीदास जी का नाम बला नायगा ।६. खाने पीने की वस्तु का परोसा जाना । जाने के लिये रखा जाना । जैसे,—इसके बाद अब मिठाई चलेगी। १०. वरावर काम देना । टिकना । ठहरना । खटाना । जैसे,-- यह जूता कुछ भी न चला । ११. व्यवहार में पाना । लेन देन के काम में जाना । जैसे,—यह रुपया यहाँ नहीं चलेगा । १२. के कार ... . प्रचलित होना । प्रचार पाना । जारी होना । रवाज पाना । जैसे..--रीति बनना, चाल चलना । (ब) कुछ दिनों तक गोल टोपी खूब चली, पर अब उसकी चाल उठती जाती है । 30- रघुकुल रीति सदा चलि ग्राई। प्रान जाइ बर वचन न जाई। -तुलसी (शब्द०)। १३. प्रयुक्त होना । व्यवहृत होना। काम में लाया जाना । जैसे, तलवार चलना, फावड़ा चलना। १४. अच्छी तरह काम देना 1 उपयोग या व्यवहार में अनुकूल होना । जैसे-कलम चलती नहीं। १५. तीर गोली प्रादि का छूटमा । १६. लड़ाई झगड़ा होना। विरोध होना। शत्रुता होना । जैसे,—याजकल उन दोनों में खुद चल रही है। १७. किसी व्यवसाय की वृद्धि होना । किसी व्यापार का बढ़ना । काम चमकना । जैसे,—(क) यह दूकान खूब चली। (ख) कुछ दिनों तक लाख का काम खूब चला था। मुहा०-चल निकल ना=किसी काम का डर पर पाना। किसी कार्य का निर्वाह होने लगना । किसी कार्य में सफलता होना। जैसे, अब तो तुम्हारा रोजगार चल निकला। १८. पड़ा जाना । बाँचा जाना । उचरना । जैसे,-यह लिखावट तो हम नहीं चलती। १६. कृतकार्य होना । सफल होना । प्रभाव करना। कारगर होना। उपाय लगना । वश चलना। जैसे,—(क)यहाँ तुम्हारी एक भी न चलेगी। (ख) उस पर जादू टोना कुछ नहीं चल सकता। महा.-किसी की चलना=(किसी का) उपाय लगना । वश चलना। प्रयत्न सफल होना। 30-अग निरखि अनंग लणित सर्फ नहिं ठहराय । एक की कहा चले शत शत कोटि रहन लजाय । - सूर (शब्द०)। २०. पाचरण करना । व्यवहार करना । जैसे,-बड़ों के आज्ञा- नुसार चलने से कभी धोखा नहीं होता । २१. गले के नीचे स्तरमा । निगला जाना । खाया जाना । जैसे,-अब बिना घी के एक कौर नहीं चलता। २२. थान में से कपड़ा उतारते समय कपड़े का बीच में मोटा सूत ग्रादि पड़ जाने के कारण सीधा न फटना, कुछ इधर उधर हो जाना। (बजाज)। +२३ . वासी होना । सड़ना । जैसे,--मालन चल गया । दाल चल गईं। २४. पटना । पूरा पड़ना।--जैसे, राशन पांच दिन और चलेगा। चलना-क्रि० स० शतरंज या चौसर प्रादि खेलों में किसी मोहरे या गोटी प्रादि को अपने स्थान से बढ़ाना या हटाना, अथवा ताश या गंजीफे यादि मेलों में किसी पत्ते को खेल के कामों के लिये सब खेलनेवालों के सामने फेंकना । जैसे,हाथी चलना, बजीर चलना दहला चलना, एक्का चलना पादि। चलना-श पुं० [हिं० चलनी ] बड़ी चलनी या छलनी। २. चलनी की तरह का लोहे का एक बड़ा कलछुला या डोई जिससे खडसार में उबलते हुए रस के ऊपर का फेन, मैल मादि साफ करते हैं । ३. हलवाइयों का एक औजार जो छेददार डोई के समान होता है और जिससे गौरा या वागनी इत्यादि साफ की जाती है । धन्ना । चलनार -वि० ([हिं० चलना--पार (प्रस्थ०)] चलनहार।