पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

खट का ..१११८ । खजूर छड़ी बटर खजूर छड़ी-संशा प्री० [हिं० खार+छड़ी] एक प्रकार का रेशमी.. कोटे यादि के गड़ने या कंकरी, तिनका आदि बाहरी चीजों कपड़ा जिसपर खज़र की पत्तियों की तरह छड़ियों या धारियाँ .. के ग्रा पड़ने के कारण रह रहकर पीड़ा होना । जैसे,-पर ... .. होती हैं।. . में काटा बटफना या आँखों में सुरमा खटकना । ३. बुरा राजूरा-संथा पुं० [हिं० खजू र] १. फूस से छाई हुई इत मालूम होना । खलना । जैसे-तुम्हारा यहाँ रहना सब को ..: की बँडेर जो प्रायः खजूर की होती है। मगरा। २. दे० . खटकता है । दे० 'आँख' में खटकना' । ४.विरक्त होना। उचटना । हटना । जैसे,—अब तो हमारा जी यहाँ से खटका । खजूरी-वि० [हिं० खजूर+६] (प्रत्य०)] १.खजूर संबंधी। ... गया । ५. डरना । भय करना । जैसे,--वह यहाँ प्राते हुए उजूर का । २. खजर के आकार का । खजूर की तरह का। खटकते हैं-1६. परस्पर झगड़ा होना ।पापस में लड़ाई । ३. तीन लर का गूंथा हुया । जैसे,-खजूरी चोटी, खजूरी होना । जैसे,—अाजकल दोनों भाइयों में खटक गई है। ५. - डोरा। किसी प्रकार के अनिष्ट या अपकार का अनुमान होना। बाजूरी -संज्ञा स्त्री० [हिं० खगर] खजूर का फल । खजूर ! .... 'अनिष्ट की भावना या पार्शका होना । जैसे, हमें यह [...: उ०—कोई दिजोर करौंदा जूरी । कोइ अमिली कोई महुन । वात उसी समय खटकी थी; पर कुछ सोचकर हम चुप रह | . . खजूरी।-जायसी (शब्द०)1३. दे० 'खजूर' उ०—कीन्हेसि गए। ८ अनुपयुक्त जान पड़ना । ठीक न जान पड़ना । तरिवर तार खजूरी। जायसी प्र०, पृ०१। .. जैसे,—यह शब्द कुछ चटकता है, बदल दो। । खगेहरा-संशा पुं० [सं० खजु+यर, प्रा० खज्ज+हर एक . संयोक्रि -जाना। .. तरह का रोएँदार कीड़ा जिसके शरीर पर रंगने या छू जाने खटकनिg--संचासी० [हिं० खटकना] खट खट । बट खट करती से सजली होने लगती है। उ०-हल पर बड़ा सा था ... ई ग्रावाज । 10-खटकनि ढालन की पर झनकन तरवा- खजोहरा -कुकुर०, पृ० ४३ । रन [-प्रेमघन०, भा० १, पृ० १३ । खज्योति-संज्ञा पुं० [सं०] खद्योत । जुगनू [को०] ! ... खटकरम@-संज्ञा पुं० [सं०. षट्कर्म] दे० पट्कर्म । 3०-ज्ञानहीन बट'- संज्ञा पुं॰ [सं०] १. कफ । बलगम । २. अंधा कूमा । ३. घूसा। . .के सुन बटकरमा । धर्मदास उनके ये. धर्मा ।-कवीर सा०, . - मुक्का । ४. एक प्रकार की सुगंधित घास. ५.कुल्हाड़ी . "प०६१ खटकरमो -वि० पट्कर्म करनेवाला । पट राग फैलानेवाला । | खट-संज्ञा पुं० [सं० प] १: पाडव जाति का एक राग! .. खटकर्म-संचा पुं० [सं० षट्कर्म] दे॰ 'षट्कर्म । उ०-हमके तुमके । .. विशेष. यह दीपक गग का पुत्र माना जाता है । इसके गाने का सबके छई एह. खटकर्म बनाई।-सं० दरिया, पृ०६३ । I: . . समय प्रातःकाल एक दंड से पांच दंड तक है । इसमें मध्य खटका-संज्ञा पुं० [हिं० खटकना] १. 'खट खट' शब्द । जैसे, जरा . स्वर बादी होता है। कोई कोई इसे मासावरा, ललित, टोढी, सा खटका होते ही पक्षी उड़ गए २. डर । भय। प्रार्शका । भैरवी श्रादि रागिनियों से उत्पन्न संकर राग मानते हैं। .. मा ..उ०-अब कोई खटका नहीं है। वासमती कुछ कर नहीं . २. पद् । छह का सख्या । उ०—(क) यक वार रहस्यु खट पट् । छह की संख्या । उ०—(क) येस वार रहस्यु खंट ... 'सकती।-अयोध्या (शब्द०)। '. मास |-बी० रातो, पृ० ३६। (ख) खट सरदार नमीठ क्रि० प्र०-लगना।-मिरना।—होना ।-पड़ना ।—होना । खडगे ।-रा०२०, पृ० २७६ ! .. ३..विता। फिक्र । जैसे,—तुम्हारे न पाने के कारण रात भर ... खट-संचा पुं० [अनु०] दो चीजों के परस्पर टकराने या किसी सबको खटका लगा रहा। . . बडी चीज के टूटने से उत्पन्न शब्द। क्रि० प्र०-लगना।--मिटना :-होना ।--पड़ना। - खटखट खटपट । खटाखट । ४. किसी प्रकार का.पेंच, कील या कमानी, जिसकी सहायता " मुहा०-सट से तुरंत । तत्काल । जैसे-जरा याद दिलाते जरा याद दिलाते किसी प्रकार का प्रावरण खुलता या बंद होता हो अथवा . ही उत्तने खट से रुपए गिन दिए 13०-दाना छम्माणान के इसी प्रकार का और कोई कार्य होता हो । जैसे,—(क) साथ साथ पाटेनाले पर किसी हाफिज जी के वइतुल लुक में खटका दगते ही दरवाजा खुल गया । (ख) खटका दबाते ही खट से जा पहुंचे।-फिसाना, भा० १. पृ०८। . सारे कमरे में विजली का प्रकाश हो गया। खट-संगापुं० [हिं०] बाट शब्द का समास में व्यवहृत रूप। क्रि० प्रा--दवाना। ... जैसे- खटमल, खटवारी, छपरबट प्रादि .. - मुहा०-खटके पर होना= खटके के सहारे रहना । जैसे-- खटक--संशादी० १. खटकना का भाव । २.खटका। . 'कमरे के बीच खटके पर एक चौकोर पत्थर था, जो ऊपर से माटकर - संदा पं० [सं०] १. शादी विवाह करानेवाला। घटका २. .. दवाते ही नीचे की ओर झनने लगा।' । | 'पाधी खुली मुट्ठी । ३.धूमा । मुष्टि को.. ५. किवाड़े की सिटकिनी। बिल्ली। सटकना-क्रि०प०अनु०] २.'खट' 'मट' शब्द होना। खटख-. क्रि० प्र०-पिराना। -लगाना। '..शहट होना । जैसे, किवाड़ खटकना । २. शरीर में किसी ६. वाँस का वह टुकड़ा जो फलदार वृक्षों में पक्षियों को बराकर ... . उड़ाने के लिये बांधा जाता है। इसके नीचे जमीन तक