पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४३४

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चारित्रवती १५१३ चारशिला विशेष-चारित्र पाँच प्रकार का है-(क) सामयिक, (ख) चारुकेशरी-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. नागरमोथा। २. तरुणी तुष्प । छेदोपस्थापनीय, (ग) परिहारविशुद्धि, (घ) सूक्ष्म सपर्या, सेवती का फूल! (ङ) प्राधारन्यास । इनके विपक्षी संयम और असंयम है। चारुगर्भ--संज्ञा पुं० [सं०] श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम । : । चारित्रवती-संज्ञा स्त्री० [सं०] एक प्रकार की समाधि । चारुशच्छा -संक्षा पुं० [सं० चार+हि गुच्छा] अंगूर। . चारित्रा-संशा स्त्री० [सं०] इमली। चारुगप्त--संज्ञा पुं० [सं०] श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम । चारित्रिक-वि० [सं०] १. चरित्र सबंध। २. उत्तम चरित्र चारुधोरण-वि० [सं०] सुंदर नाकवाला पो०)। ला। को। चारुचित्र--संज्ञा पुं० [सं०] धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । चारित्री-वि० [सं० चारित्रिन्] १. उत्तम चरित्रवाला । सदा चारुता-संशा सी०सं०] सुदरता । मनोहरता-1 सुहावनापन । चारी [को। चारुत्व--संज्ञा पुं० [सं०] दे० 'चारता' [को०] । चारित्र्य संश पुं० [सं०] चरित्र। चारुदर्शन-वि० [सं०] देखने में सुदर लगनेवाला [को०]।. . चारिवाच-संशा शौ० [सं०] काकड़ासिंगी। चारुदेष्ण-संज्ञा पुं० [२०] १. रुक्मिणी से उत्पन्न कृष्ण के एक पुत्र । चारी-वि० [सं० चारिन्] [वि० बी० चारिणो) १. चलनेवाला । जिन्होंने निकुभ आदि दैत्यों के साथ युद्ध किया था (हरिवंश)। . जैसे,-पाकाशचारी। २. आचरण करनेवाला। व्यवहार २. गंडूप के एक पुत्र का नाम । करनेवाला । जैसे, स्वेच्छाचारी। चारुधामा-संवा स्त्री० [सं०] दे० 'चारुधारा' [को०) । विशेष---इस शब्द का प्रयोग हिंदी में प्राय: समास में ही चारुधारा-- संज्ञा स्त्री० [सं०] इंद्र की पत्नी शची। होता है। चारुधिष्ण-संज्ञा पुं० [सं०] ग्यारहवें मन्वंतर के सप्तपियों में । चारी-संज्ञा पुं०१. पदाति सैन्य । पैदल सिपाही। २. संचारी भाव । से एक । चारी-संहा लो० [सं०] नृत्य का एक अंग । चारुनालक-संज्ञा पुं० [सं०] कोकनद रिक्त कमल ।। विशेष-शृंगार आदि रसों का उद्दीपन करनेवाली मधुर गति चारुनेत्र'. संशा पुं० [सं०] हरिण । को चारी कहते हैं। किसी किसी के मत से एक या दो पैरों चारुनेत्र-वि० सुंदर नेत्रवाला। से नाचने का ही नाम चारी है ! चारी के दो भेद हैं-एक चारुपद-संज्ञा पुं० [स] प्रसारणी । पसरन । गंधपसार । भूचारी, दूसरा आकाशचारी। भूचारी २६ प्रकार की होती चारुपुट--संक्षा पुं० [सं०] ताल के ६० मुख्य भेदों में से एक । है । यथा- समनखा, नपुरविद्धा, तिर्यमुखी, सरला. कातरा. चारुफला--संशा स्त्री० [सं०] अंगर या दाख की एक बेल । कवीरा, विश्लिष्ट, रथचक्रिका, पांचिरेतिका, तलदर्शनी, गज- द्राक्षालता। हस्तिका,परावृत्ततला,चारुताड़िता,अद्ध मंडला,स्तंभकीडनका, चारुबाहु-संज्ञा पुं० [सं०] श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम । हरिण नासिका चारेचिका,तलोत्ता , संचारिता, स्फरिका, चारुभद्र-संशा [सं०] श्री कृष्ण के एक पुन का नाम । लघितजंघा,संघटिता,पदालसा,उत्कुचिता,अतितियंकुचिता, चारुमती-संजा ली० [सं०] रुक्मिणी से उत्पन्न वाधरण की एक पुत्री और अपकुचिता । मतांतर से भूचारी १६ प्रकार की होती ( हरिवंश)। है-- सम्पादस्थिता, विद्धा, शकदिका, विकाधा, ताड़िता, चारुयश-संज्ञा पुं०चारपशस ] श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम आवक्षा, एड़का, क्रीडिता, उस्वृत्ता, द्वंदिता, जनिता, स्पंदिता, (महाभारत अनुशासन पर्व)। पवितायती, समतन्त्री, समोरसारितघट्टिता और उध्वंदिता। आकाशचारी १६ प्रकार की होती हैं-विपेक्षा, अधरी, अनिता चारुरावा--संज्ञा पुं० [सं०]. इंद्राणी । शत्री । डिता, भ्रमरी, पुरुःक्षेपा, सूचिका, अपक्षेपा, जंघावती, विटा चारुलोचन'-वि० सं०] [वि० सी० घारलोचना सुपर नेत्र- हरिगप्लुता, उरुजं घांदोलिता, जंधा, जंघनिका, विद्युत्कांता, वाला कि भ्रमरिका और दंडपार्था । मतांतर से--विभ्रांता, प्रतिमांता, चारुलोचन'-एंज्ञा पुं०हिरन [को०j । प्रपत्रांता, पाश्चक्रांतिका, उर्ध्वजानु, दोलोद्वत्ता, पादोद्वत्ता, चारुवक्त्र-वि० [सं०] सुदर । सुदर चेहरेदाला ।। नपूरपादिका, 'मुजंगभासिका, शिप्ता, प्राविद्धा, ताला, सूचिका, चारुवर्धना संज्ञा स्त्री० [सं०] सुदर स्त्री । सुदरी को। विद्युत्क्रांता, भ्रमरिका और दंडपादा । चा--वि०सि०] [वि० वी चा:] सुंदर मनोहर । चारुविंद ---संज्ञा पुं० [सं० चापविन्द श्रीयुष्ण के एक पुत्र चार--संपा० [सं०] १. वृहस्पति । २. रुक्मिणी से उत्पन्न का नाम (हरिवंश)। कृप्रा के एक पुत्र । ३. युकुम ! केसर।। चारुवेश-संशा पुं० [सं० रुक्मिणी के गर्भ से उत्पन्न श्रीकृष्ण के चारक संघा पुं० [सं०] सरपत के वीज जो दवा के काम में प्रति एक पुत्र (हरिवंश)। . हैं । वैद्यक में ये वीज मधुर, रूखे, रक्तपित्तनाशक, शीतल, चारुवता-वि० [सं०] महीने भर व्रत करनेवाली 1401 वृष्य, पराले और वात उत्पन्न करनेवाले माने जाते हैं। चारुशिला-संवा मी० [सं०] एक प्रकार का रत्न को ।