पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४३७

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१५१६ चालिस बालक'ड---संवा पुं० [सं० चालकुण्ठ] चिलका नाम की झील जो चालबाज-वि० [हिं० चाल+फा० बाज ] धून । छली । उडीसा में है । चालबाजी-संज्ञा दी० [हिं० चालबाज ] चालाकी। छल । चालचलन-संग्रा पुं० [हिं० चाल+चलनाचरण । व्यबहार । धोखेबाजी । पूर्तता। चरित्र । शील । जैसे,- उसका चालचलन अच्छा नहीं है। चाला'--संज्ञा पु० [हिं० चाल] १. प्रस्थान । कूच । रवानगी। २. ... चालढाल संशा श्री० [हिं० चाल+डाल] १. याचरण । व्यवहार। नई बहू का पहले पहल मायके से ससुराल या ससुराल से मायके २. ढंग । तौर तरीका। जाना । ३. यात्रा का मुहूर्त । प्रस्थान के लिये शुभ दिन । बालग - संभा पुं० [* चालग] दे॰ 'चलन' । चलने की सायत । जैसे,..याज पूरब का चाला नहीं है। यौ---चालणहार = चलनेवाला । ३०-छउ सातम दिन मुहा.--चाला देखना यात्रा का मुहूर्त विचारना । चाला - प्रावीयो । निहवा औलगि चालाहार ।-वीसल० रास, निकालना=मुहूर्त निश्चित करना। १०४६ चाला--संह पुं० [ हिचालनमछानन्ध] १. एक प्रकार का कृत्य बालगी-संहा स्त्री० [हिं० चालनी या बालनी ३० 'चालनी'। जो किसी व्यक्ति के मर जाने पर उसकी पोड़शी आदि की -बोका ठहर वार जो, मिल चालणी मझार-बाँकी क्रिया की समाप्ति पर रात के समय किया जाता है। - ग्रं, भा० १, पृ० ४६ । विशेप--इसमें एक चलनी में राख या बालू डालकर उसे बालन-मंचा पुं० [सं०] चलाने की क्रिया। परिचालन 1 २. चलने छानते हैं। और जमीन पर गिरी हुई राख या बालू में की क्रिया । गति । गमन । ३ चलनी। छलनी। ४. चालने बनने वाली प्राकृतियों से इस बात का अनुमान करते हैं कि .. की क्रिया (को०)। मत व्यक्ति अगले जन्म में किस योनि में जायगा। यह कृत्य चालन'...संह पुं० [हिं० चालना भूसी या चोकर जो पाटा चलने शयः घर की कोई बड़ी बूढी स्त्री एकांत में करती है, .. के पीछे रह जाता है । चलनोस ।। और उस समय किसी को, विशेषतः बालकों को, वहाँ नहीं चालनहार'@--संज्ञा पुं० [हिं० चामन+हार (प्रत्य०)] चलाने याने देती। - वाला । ले जानेवाला। चालाक---. [ फा०] १. चतुर । व्यवहारकुशल । दक्ष । २. चालनहार-संडा पुं० [हिं० चलना] चलनेवाला । उ०-तौ दिसि घूर्त । चालबाज । उत्तर चालनहार के मारग तोइ फेर पर किन । वा चालाकी-संज्ञा स्त्री० [फा०] १. चतुराई । व्यवहारकुशलता। उजयोनि के पाछे अटा परसे बिन तू बलियो कितहू जिन।- दक्षता। पटुता । २. धूर्तता । चालबाजी 1 लक्ष्मण सिंह (शब्द०)। क्रि० प्र० करना। . चालना'g-क्रि० स० [सं०चालन] १. चलाना । परिचालित मुहा०-चालाकी रेलना=चालाकी करना। करना । २. एक स्थान से दूसरे स्थान को ले जाना । ३. ३ युक्ति ! कौशल । विदा करा से प्राना (वह धादि)। ४. हिलाना । डोलाना। चालान संवा पुं० [हिं० मलना] १. भेजे हुए माल की फिहरिस्त । इधर उधर फेरना । उ०-चालत न भुजवल्ली विलोकनि वीजक । इनवायस (व्यापारी ।२.भेजा हुमा माल या विरह वस भइ जानकी। तुलसी (शब्द०)। ५. कार्यनिर्वाह रुपया प्रथवा उसका व्योरेवार हिसाव। करना। भुगताना। 30-चालत सब राज काज यायसु यो०-चालानदार । चालानवही । अनुसरत ।- तुलसी (शब्द०)। ६. बात उठाना ! प्रसंग ३. रवन्ना । चले जाने या माल आदि ले जाने का प्राज्ञापत्र ।४, छेड़ना । २०-बनमाली दिसि सैन के वाली चाली बात । मुजरिमों का विचार के लिये अदालत में भेजा जाना। -(शब्द०)। ७. आटे को चलनी में रखकर इधर उधर अपराधियों का सिपाहियों के पहरे में थाने या न्यायालय की हिलाना जिसमें महीन पाटा नीचे गिर जाय और भूसी या और प्रस्थान । चोकर चलनी में रह जाय । छानना । क्रि० प्र० करना ।—होना । चालना-कि पना- अ० [सं० चालन 12. चलना । गति में होना। चालानदार-संघा पुं० [हिं० चालान फा० दार] १. वह व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना। जो भेजे हुए माल के साथ जाता है और जिसकी जिम्मेदारी यो०- चालनहार = चलनेवाला ।। पर माल भेजा जाता है। चढ़नदार । जमादार । २. जिसके २. विदा होकर पाना। चाला होना (नववधू का ) । उ०- जिम्मे था जिसके पास चालान का कागज हो। पाखहून बीत्यो चलिमाएहमै पीहर तेंनीके कैनजानी सासु चालानबही-मंशा श्री [ हि० चालान+बही] १. वह वही ननद जेठानी है।---शिवराम (शब्द) जिसमें बाहर से पानेगले या वाहर जाने वाले माल का ब्योरा चालना-संज्ञा पुं० [सं०चालन] बड़ी चलनी। लिया जाता है। पालना-संशती सं०] चलनी। छलनी। उ०--वालनी कहे सूई नही बालनी ने सई चालिया- [हि० चाल+इया (प्रत्य॰)] चालबाज । धूर्त । छली। चालिय . से कि तेरी दी में छेद 1-मैला०, पृ०७० । धोखेबाजा 4-वि० [सं०] जो चलाया या हिलाया जा सके [को०1 चालिसा--वि० [हिं० चालीस] ३० 'चालीस'।