पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४४२

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चिताकुल चिगुरा चिंताकूल-वि० [सं० चिन्ताकुल] चिंता से व्यग्र । शरीर के बाल काले प्रो र मोटे होते हैं। इसके सिर, कंधे और . चिंतापर-वि० [सं० चिन्तापर) चितामग्न । चितन में रत । 30-- पीठ पर बाल घने और पेट तथा छाती पर कम होते हैं। हैं झांक रहे नीरव नभ पर, अनिमेप, अटल, गुछ चितापर। इसका मुख बिना रोए का प्रोर रंग गहरा ऊदा होता है। -पल्लव, पृ०८1 दोनों शोर के गुलमुच्छे पाले होते हैं। इसका पाद भी मनुष्य चिंतातुर--वि० [सं० चिन्तातुर तिा से घबराया हुमा । के बराबर होता है । चिपाजी झुंड में रहते हैं। . . . चिंतामग्न- वि० [संचितामग्न] गहरे विचार में लीन [को०) चिंगा-संमा पुं० [म चिञ्चा (=इमली)] इमली का वीज । उ०- चिंतामणि-संज्ञा पुं० [सं० चिन्तामरिण ] १. कल्पित रहम जिसके तेरी महिमा ते चले चिचिनी चिया रे !-- तुलसी (शब्द०)। विपय में प्रसिद्ध है कि उससे जो अभिलाषा की जाय वह पूर्ण महा--विधा सी-छोटी। बहुत छोटी । जैसे,-चित्रां सी कर देता है । उ०-रामचरित चितामरिण चारू । संत सुमत . ग्राख । . तिय सुभग सिंगारू-तुलसी (शब्द०)। २ब्रह्मा । ३. चिउटा मरा० [हिं० चिमटा] एक कीड़ा जो मीठे के पास वहुंत परमेश्वर । ४. एक बुद्ध का नाम । ५. घोड़े के गले की एक जाता है और जिस चीज को चिमटता है उसे जल्दी छोड़ता शुभ भौंरी। ५. वह घोड़ा जिसके कंठ में उक्त भौगी हो। नहीं । चींटा। ७ रकंदपुराण (गणपतिवारूप) के अनुसार एक गणेश जिन्होंने मुहा०--गुड़ चिटा होना एक दुसरे से गुध जाना । चिमट । मुहासचउटाहाना एक दुसर स गुथ जाना। कपिल के यहाँ जन्म लेकर महाबाहु नामक दैत्य से उस चिता- जाना। गुत्यमगुत्या होना । चिउँदै फे पर निकलना ऐसा मरिण का उद्धार किया था जिसे उसने कपिल से छीन लिया काम करना जिस मृत्यु हो । मरने पर होना । था। ८. यात्रा का एक योग । ६. वैद्यक में एक योग जो चिउँटों को जब पर निकालते हैं तब ये हवा में उड़ते हैं और पारा, गंधक, अभ्रक और जयपाल के योग से बनता है। १०. गिर पड़कर मर जाते हैं। चिटिया रेंगान- सरस्वती देवी का मंत्र जिसे लोग बालक को जीभ पर विद्या धी० [हि- पिउटा+रंगना ] 4. बहुत . धीमी चाल । बहुत सुस्त घाल । प्रत्यंत मंद गमन । होले होले प्राने के लिये लिखते हैं। जलना । २. सिर के बालो की बड़ी बारीक कटाई जिसमें चिंतामनिरा... संथा पुं० [सं० चिन्तामणि] दे० 'चिनामरिण'। चिउटी रेगती हुई देख पड़े। (नाई) चिंतावेश्म--संज्ञा पुं० [ मा चिन्ताश्मन ] सलाह करने का घर या चिंउटी-संशा सी० [हिं० चिनना एक यहुत छोटा कीड़ा जो मी - स्थान । मत्रागृह । गोष्ठीगृह । के पास बहुत जाता है और अपने नुकीले मुंह से काटता और चिंति-संहा पु० [सं० चिन्ति ] १. एक देश । २. इस देश का निमरता है। चींटी। पिपीलिया। निवासी। विशेष--चिउटियों के मुह के दोनों किनारों पर दो निकली चिंतिड़ी-संक्षा की० [सं० चिन्तिडीमली। हुई नोक होती हैं जिनसे वे काटनी या चिमटती हैं । इनको चिंतित- वि० [सं० चिन्तित ] जिरो चिंता हो। चितायुगत । जीभ एका नली के रूप में होती है जिससे वे संली चीजें फिक मद। चराती हैं। चिंटी की अनेक जातियाहती है। मधुमक्खियों चिंतिति-- 6 श्री. [सं॰ चिन्तिति चिता' [को० ।। के समान चींटियो मे भी नर, मादा के पतरियत क्लीय होते चिंतिया--- संधाली [सं० चिन्तित] ३० चितित [को०)। है जो ने यल कार्य करते है, संतानोत्पत्ति नहीं करते : चिडटियाँ चिंत्य--वि० [सं० चिन्त्य] भावनीय । विचारणीय | विचार करने झुंड में रहती है। इनके शुट में वस्या और नियम का योग्य। मद्भुत पालन होता है । समुदाय के लिये भोजनसचित करके चिदी संज्ञा स्त्री॰ [देश०] टुकड़ा। रखना, स्थान को रक्षित बनाना यादि कार्य बड़ी तत्परता के मुहा०--चिदी चिदी वरना=किसी वस्तु को ऐसा तोड़ना कि साथ किए जाते हैं। इनका श्रम और मध्यमार प्रसिद्ध है। - उसके छोटे छोटे टुकड़े हो जाय। हिंदी की चिदी निकालना- - मुहा० चिउटी की चाल : वहन सुस्त चाल । गंद गति ।। - अत्यंत तुच्छ भूल निकालना । कुतर्क करना। चिंगना ५:-मंशा पुं० [ देश बच्चा । उ०-- अपने सुत के मूडन चिधी-मंशा श्री० [हिं० चिंदी] दे० 'चिंदी' 1 30-फटी निधियाँ कराये गलगन न पावै। यनया के चिंगता 'धर मार . तनिको दया न ार्य 1 पायीर , भाग०२, पृ०४१ १. , पहने, भूखे भिखारी, फकत जानते हैं तेरी.इंतजारी।- हिम चिंगुरना--कि० स०अनुकरणमूलक देश अथवा हिवंग] १. बहुत. . .. त०, पृ० ४८ । .. देर तक एक स्थिति में रहने के कारण किसी ग्रंग हा जल्दी चिपा-संज्ञा पुं० [देश०] एक गहरे काले रंग का कीड़ा जो ज्वार, न फैलना । नसों का इस प्रकार संकुचित होना कि हाथ पैर बाजरे, अरहर और तमाखू को खा डालता है। ..... जल्दी फैलाते न बने । २. सिकुड़ना। पूरे फैलाव में बल पड़ने.. चिंपाजी--संक्षा पुं० [अ० शिपंजी] अफ्रीका का एक बनमानुस जिसकी से कमी भाना । जैसे,—कपड़े, कागज आदि का बिगुमा - आकृति मनुष्य से बहुत कुछ मिलती जुलती है । . . संयोकि उटना । --जाना। . विशेष-इसका सिर ऊपर से चिंता, माथा दबा हुमा; मुह चिंगरा'-संभा पुं० [देश एक प्रकार का बगु गा । ' ' बहुत चोड़ा, काग बड़े पोर उभड़े हुए, न चिपटी तथा जिगरा-संथा 1 [हिं० चिमुरना ] बहुत देर तक एम स्थिति ...