पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४४४

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चिकना १५२३ चिकित्सा बातचीत से भलामानुस जान पड़ता हो । वंचक । ५. चिकनी लसदार मिट्टी जो सिर मलने श्रादि के. पाम में पाती है। चुपड़ी बातें कहनेवाला। केवल दूसरों को प्रसन्न करने के करली मिट्टी । काली मिट्टी। लिये मीठी बातें कहनेवाला । लप्पो चप्पो करनेवाला । विशेष-चना, अलसी, जो प्रादि इस मिट्टी में बहुत अधिक चाटुकार । खुशामदी । ६. स्नेही । अनुरागी । प्रेमी । उ०- होते हैं। जे नर सखे विषय रस, चिकने राम सनेह । तुलसी से प्रिय २. पीले या सफेद रंग की साफ लसीली मिट्टी जो बड़ी नदियों • राम को कानन असहिं कि गेह ।-तुलसी अं०, पृ० १० । के ऊँचे फरारों में होती है और लीपने पोतने के काम में चिकना-संक्षा पु० तेल, घी, चरबी यादि चिकने पदार्थ । जैसे, इसमें माती है। चिकना कम देना। चिकनी सुपारी-संघा सी० [सं० चिक्फरणी] एक प्रकार की चिकनाई–संधा स्त्री० [हिं० चिफना+ई (प्रत्य॰)] १. चिकना उवाली हुई सुपारी जो चिपटी होती है। चिकनी डली.। . होने का भाव । चिकनापन । चिकनाहट । २ स्निग्धता । विशेष-दक्षिरण के वानारा नामक प्रदेश में यह सुपारी उबालकर सरसता । ३. धी, तेल, चरबी आदि चिकने पदार्थ । बनाई जाती है, इसी से इसे दक्खिनी सुपारी भी कहते हैं। चिकनाना-क्रि० स० [हिं० चिकना+ना (प्रत्य॰)] १. चिकना चिमरी-संवा पुं० [देश॰] एक प्रकार का रेपामी कपड़ा। चिकट 1 करना । खरदरा न रहने देना । वरावर करके साफ करना। चिकरना--कि०म० सं० चीत्कार, प्रा० चीत्कार. चिक्कार । २.रूखा न रहने देना। तेलौंस करना । किग्ध करना । ३. चीत्कार करना । जोर से चिल्लाना चिंघाड़ना। चीखना। मैल आदि साफ करके निखारना। साफ सुथरा करना। चिकवा'- संपापुं० [तु चिक+हि० वा (प्रत्य॰)] बकर कसाब। संवारना । मांस बेचनेवाला । बूचड़। चिक। संयो० कि०-देना । लेना। चिकवा-संक्षा पुं० [देश॰] एक प्रकार का रेशमी या टसर का चिकनाना--क्रि० अ० १. चिकना होना । २. स्निग्ध होना । ३. कपड़ा। चिकट । 30-चिकवा चीर मघोना लोने। मोति चरबी से युक्त होना । हृष्ट पुष्ट होना । मोटाना । जैसे,- लागी छापे सोने ।-जायसी (शब्द०)। देखो ये जब से यहां रहने लगे हैं, कैसे चिकना पाए हैं। ४. चिकार-संज्ञा पुं० [सं० चीकार, प्रा. चिक्कार ] चीत्कार । स्नेहयुक्त होना । अनुरक्त होना । प्रेमपूर्ण होना । उ०--हिं चिल्लाहट । चिंघाड़ । उ०-परेउ भूमि करि घोर चिकारा- नचाइ चितवति दृगनु, नहिं बोलति मुसकाइ । ज्यौं ज्यौं रूखी ___तुलसी (शब्द०)। रुख करति, स्यौं त्यों चितु चिकनाई 1-- बिहारी २०, दो० क्रि० प्र०--फरना।--मचना ।-भचाना ।—होना। ३६४। चिकनापन--संक्षा पुं० [ हिं० चिकना+पन (प्रत्य॰)] चिकना । चिकारना-कि० अ० [हिं० चिकार के नामिक धातु 1 चीत्कार करना ! चिंघाड़ना ।. होने का भाव । चिकनाई । चिकनाहट । चिकारा-संवा पुं० [हिं० चिकार] [त्री प्रल्पा चिकारी] १.. चिकनारा - वि० [हिं चिकनो+पारा (प्रत्यः)] देव "चिकना। सारंगी की तरह का एक बाजा। उ.-केस सुदेस चमक चिकनारे कारे अति सटकारे । विणेप-इस बाजे में जिसमें नीचे की ओर चमड़े से मढ़ा कटोरा भारतेंदु ग्रं०, भा०२, पृ० ४१७ । चिनावट-संक्षा जी० [हिं० चिकना+वट (प्रत्य॰)] दे रहता है और ऊपर डाड़ी निकाली रहती है। चमड़े "चिकनाहट'। के ऊपर से गए हुए तारों या घोड़े के वालों को कमानी चिकनाहट-मंचा लो० [हिं० चिकना + हट (प्रत्य॰)] चिकना से रेतने से शब्द निकलता है। होने का भाव । चिक्कणता । चिकनापन । २. हिरन को जाति का एक जंगली जानवर जो बहुत फुरतीला चिकनियां--- वि० [हिं० चिकन+इयाँ (प्रत्य॰)] ३० 'चिकनिया' । होता है। इसे छिकरा भी कहते हैं। चिकारी -संथा स्त्री० [हिं० चिकारा] छोटा चिकारा । चिकनियाँ ।—सूर (शब्द॰) । (ख) या माया रघुनाथ की चिकारी+-संघा सी देशJ: मच्छड़ की तरह का एक छोटा कीड़ा। बोरी खेलन चली अहेरा हो। चतुर चिकनियां चुनि चुनि चिकित---संशा पुं० [सं०] एक ऋषि का नाम । मार काहुन राखै नेरा हो |-- कबीर (शब्द०)। चिकनिया--वि० [हिं० चिकमा ] छला। शौकीन । बाँका । बना चिकितान--संवा पुं० [सं०] एक ऋपि का नाम । ठना । 30--सबही ब्रज के लोक चिकनिया मेरे भाएँ घांस । चिकितायन-संघा पुं० [सं०] चिकित ऋषि के वंशज । अब तो इहै बसी री माई नहिं मानौंगी ग्राम - सूर चिकित्सक - संभा पुं० [सं०] रोग दूर करने का उपाय करने- वाला विद्या

यो०- छैल चिकनियाँ ।

चिकित्सन-संज्ञा पुं० [सं०] चिकित्सा करना (को०] । चिकनी--वि० मी[हिं०] -दे० 'चिकना' । चिकित्सा-संवा स्त्री० सं०] [वि0 चिफिस्तित, चिकित्स्य १. रोग , चिकनी-संवा श्री० [हिं०] दे॰ 'चिकनी सुपारी'। , दूर करने की युक्ति या क्रिया । शरीर स्वस्थ या नीरोग करने । चिकनी मिट्टी- संझा धी: [हिं० चिकनी+मिट्टी] १. काले रंग की . का उपाय । रोगशांति का उपाय । रोगप्रतीकार। इलाज ।