पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४४५

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विखुर -कित्सालय १५२४ विखुर . क्रि० प्र०—करना ।—होना । चिक्क'. वि० [सं०] दिफ्टी नाकवाला ! . विशेषप्रायुर्वेद के दो विभाग हैं, एक तो निदान जिसमें पह- चिक्कर-संज्ञा पुं० छछू दर । • धान के लिये रोगों के लक्षण प्रादि का वर्णन रहता है और चिक्कट'- संज्ञा पुं॰ [सं० चिक्कण (भेद नि०) अथवा हि चिकमा .... दूसरा चिकित्सा जिसमें भिन्न भिन्न रोगों के लिये भिन्न . कीट या काट] गर्द, तेल आदि की मैल जो कहीं जम गई भिन्न औषधों की व्यवस्था रहती है। चिकित्सा तीन प्रकार हो। कीट । की मानी गई है-देवी, प्रासुरी और मानुषी । जिसमें पारे चिक्कट - वि० जिसपर मेल नमी हो । मैला कुचला। गंदा । की प्रधानता हो वह देवी, जो छह रसों के द्वारा की जाय वह चिक्कण' वि० [सं०] चिकना । मानुषी और जो अस्त्र प्रयोग या चीर फाड़ के द्वारा हो वह चिक्करण- संज्ञा पुं० १. सुपारी का पेड़ या फल । २. हड़ । हरे। ., आसुरी कहलाती है। . ३. अायुर्वेद में पाक या भौच की तीन अवस्यायों में से एक। २. देद्य का व्यवसाय या काम । वंदगी।. . कुछ तेज आंच । . चिकित्सालय-संशा पुं० [सं०] वह स्थान जहाँ रोगियों के प्रारोग्य चिक्करणा संद्धा बी० [सं०] सुपारी । का प्रयत्न किया जाय । शफाखाना । अस्पताल । त्रियकरणी-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. सुपारी । २. हड़ । चिकित्सावकाश--संज्ञा पुं० [सं०] वह अवकाश जो किसी कर्मचारी चिक्कदेव संह पुं० [सं०] मंसूर के एक यादववंशी राजा का नाम को बीमारी के इलाज ग्रादि के लिये चिकित्सक के पत्र के जिसने ई० सन् १९७२ से लेकर १७०४ तक राज्य किया था। आधार पर दिया जाता है । चिक्कन --वि० [सं० चिक्करण] दे० 'चिकना', 'विक्करण'। . चिकित्साव्यवसाय-संहा[सं०] वंद्य एवं चिकित्सक का व्यवसाय चिक्करता क्रिः अ० [सं० चीत्कार] चीत्कार करना । चिंघाड़ना । या पेशा । चीखना । जोर से चिल्लाना । उ०-चिक्करहिं दिग्गज डोल चिकित्साशास्त्र- संच पु० सं०] वह शास्त्र जिसमें रोग के लक्षण, महि अहि कोल कुरम कलमले ।-मानस, १ । २६१ । और उपचार आदि की विवेचना रहती है। चिक्कस'-मंबा पुं० [सं०] १. जो का पाटा । २. हलदी और तेल में चिकित्सित-वि० सं०] जिसकी चिकित्सा हो गई हो। जिसकी . दबा हुई हो। मिला हुअा जी का प्राटा जो जनेक या ब्याह में उबटन की तरह मला जाता है। चिकित्सितर-संशः पुं० एक ऋषि का नाम । चिक्कस--संज्ञा पुं० [देश॰] लोहे, पीतल आदि के छड़ का बना हुमा, चिकित्स्य- वि० [सं०] जो चिकित्सा के योग्य हो । साध्य । वह अड्डा जिसपर बुलबुल, तोते ग्रादि वैठाए जाते हैं। चिकिन-वि० सं०] चिपटी नाकवाला को। निक्का '- संज्ञा स्त्री० [सं०] १. सुपारी । २. चूहा (को०)। ३. हायी चिकिन -संज्ञा पुं० [हिं० विफन] दे० 'चिकन' । 'चिकिल-संवा पुं० [सं०] कीचड़। पंक। के शरीर का मध्यवर्ती भागविशेष । मातंग (को०)। । चिक्का " संचा पुं० [ देश० अथवा सं० चक्रक] १.३. 'चक्का'। चिकोर्पक-वि० सं०] कार्य करने की इच्छा करनेवाला कोला। चिकीर्षा -संक्षा मो० सं०] [वि०चिोषित, विकीर्य ] करने की । २ ला। ३. एक खेल । इच्छा । जैसे,-नाश-कर्म-चिकीर्षा। चिक्कार संज्ञा पुं० [#० चीत्कार] दे० 'विकार। . चिकीपित -वि० [सं०] करने के लिये इच्छित । चिकारना--कि० अ० सं० चित्कार, हिं० चित्रकार-ना (प्रत्य॰)] चिन्घाड़ना। चिकुटाला-संडा खौ[हिं० दे० 'चिकोटी', 'चटकी'। उ०-भृकुटी चिक्कारा-संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'चिकारा'। नचाइ भाल त्रिकुटी उचाई.कर चिकूटी रचाइ चित चायन चिनारी-संञ्चा सी[सं० चित्कार] चिक्कार । चिकारना 130-- . चुनति फिर ।--देव (शब्द०)। चटकत गायक मानहु बिज्जु पतन चिक्कारी |--प्रेमघन, चिकुर'--संज्ञा पुं० [सं०] १. सिर के बाल । केश । २. पर्वत । ३. भी०१, पृ०२७। साप आदि रेंगनेवाले जसा सरीसप । ४. एक पेड का नाम । चिकिरण- वि० [सं०] १० 'चिकरण' को०]। . ५. एक पक्षी का नाम। ६. एक सर्प का नाम। ७ छछदर। चिकि, र--संधा पुं० [सं०] १. एक प्रकार का चहा जिसके काटने से गिलहरी। बिरा। सुजन और सिर में पीड़ा आदि होती है। २. चिखुरा। गिलहरी1 यो० - चिकुरकलाप । चिकुरनिकर। चिकुरपक्ष । चिकुरपाश । चिक्लिद--संज्ञा पुं० [१०] १. नमी । पाता। २. चंद्रमा कि० । चिकर मार। चिकुर हस्त=केशों की लट। वालों की चिखर:-संक पुं० [देश॰] चने का शिलका । चने की. भूमी। चने चिकुर -वि० चंचल । चपल । की गई। चिकुला--संज्ञा पुं० चिकुन] चिड़िया का बच्चा। ... चिखल्ल-संझा पुं० [सं०] १. कीचड़ । २. दलदल 'को० । चिकूर. संज्ञा पुं॰ [सं०] दे 'चिकुर' । चिखुर-संघा पुं० [सं० चिरकर, हि० चिखुरा ] [मी. चिखुरी। विकाटी-- संहा लो० [हिं०] दे० 'चुटकी', 'चिमटी'। चिखुरा । गिलहरी । उ०~-कीचग अागे चिखुर वियानी मालु - क्रि० प्र०-काटनां। मई है भक्ता ।--संत०, दरिया, पृ० १२७ । चिकीपित'- संचा पुं० इच्छा । मनोरथ तान-भूकुटी चिक्कारान्स का चिक्कार ! चिकारना । सजावट जुल्फ।