पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४४७

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विटकना १५२६ विट्टी 1. चिटकना किय०.[अनु०] १. सूदकर जगह जगह पर फटना। चिट्ठा-संशमा० [हिं० चिट] २० "चिट'। .. । . बरा होकर दरकना । रुखाई के कारण ऊपरी सतह में दराज विट्ठा -संशा पुं० [हिं० चिट] १. हिसार की यही खाता । लेवा। |: परना । जैसे,—चौकी धूप में मत रखो, चिटक जायगी। २. जमाखर्च या लेनदेन की किताब । गठीली लकड़ी आदि का. जलते समय 'चिट चिट' शब्द मुहा०-चिका दाधना=सेन्या तैयार करना ! करना । ३ चिढ़ना। चिड़चिड़ाना। बिगड़ना । जैसे, तुम्हें २. वह कागज जिमपर वर्ष भर का हिसाब जाँच कर माता नुकसान तो मैं कुछ कहता नहीं, तुम क्यों विटकते हो ? ४. मोशे आदि दिखाया जाता है। फर्द। ३. किसी रकम की मिलमिलवार का फटना ५. शुष्क होना । सूखना। उ०—सूचे पीठ गला, फिहरिस्त । सूची । टिक्की । जैसे, चंदे का विका । ३० - चिटका, मुख लटका प्राण पियाले ।-क्वासि, पृ०७१ । चिट्ठा सकल नरेसन करे। आयहिं चले दुशामन नेरे। - . दिटका-संज्ञा पुं० [हिं० चिता चिना। -सबल (शब्द०)। ४. यह रुपया जो प्रतिदिन प्रति सप्ताह चिटकाना क्रि०म० [अनु०] १. किसी सूनी हुई बीज को तोड़ना या प्रति मास मजदूरी या तनखाह के रूप में बांटा जाय। -, या तड़काना। २. गठीली लकड़ी आदि को जलाकर उसमें 3०---दिय चिट्ठा चाकरी चकाई । बसे सर्व सेवा मन लाई। मेचट चट' शब्द उत्पन्न करना। ३. खिझाना। ऐसी बात कहना जिससे कोई चिढे । ४. ज्यादा प्रांद या ताप देकर क्रि० प्र०-चुकाना ।--वांटना !-बाँटना। ..... मोशे को टूटने देना। ५. खंच की फिहरिस्त ! उन वस्तुओं की मूल्य सहित सची जो चिटकी-संडा सी० [हिं० विटुको ] दे० 'चिटको' । उ-चिटकी किसी कार्य के लिये आवश्यक हों। लगनेवाले वर्ष का ब्योरा। दद्दवज्ञाय तारी। प्रइया मनसह दूमि तुम्हारी।-सुदर जैरे,-इस मकान में तुम्हाला अधिक नहीं लगेगा, बस २००) ०, भा०१, पृ०३२५।। का चिठा है। ६. व्योग । विवरण । विटखनो-संश लौ० अनु० या हि सिकिनी] दे० सिटकिनी'। मुहा०--पच्चा चिटठा पूरा और ठीक ठीक वृत्तांत । ऐसा .: ८०--पर भीतर से चिटखनी लगी हुई थी और किवाड़ नहीं सविस्तर वृत्तांत जिम में कोई बात छिपाई न गई हो। कच्चा खूला !-संन्यासी, पृ०.४६४ । चिट्ठा खोलना=गुप्त बातों को पूरे ब्यौरे के साथ प्रकट चिटनवीस--संज्ञा पुं. विट+फा० नबीस] चिट्ठीपत्री, हिसाब करना । गुप्त वृत्तांत कहना । रहस्य उद्घाटित करना। . किताव धादि लिखनेवाला । लेखक । मुहरिर । कारिदा । ७. सीधा जो बांटा जाय । रसद। चिटनीस मंशा पुं॰ [मरा०चिटणसी, हि० चिटनीस ] लेखक । क्रि० प्र०-देना।-पाना ।-टना ।-बांटना ।-मिलना। ३०-उसको त्वरा से लिखी जाने योग्य बनाने के विचार से -खोलना। शिवाजी ये चिटनीस (मंत्री, सरिश्तेदार) वालाजी अवाजी चिट्ठी संश डी० [हि चिट] १. वह कागज जिसपर एक स्थान से ... ने इसके अक्षरों को मोड़ ( तोड़ मरोड़) कर नई लिपि दूसरे स्थान पर भेजने के लिये किसी प्रकार का समाचार . . तैयार की जिससे इसको मोड़ी कहते हैं। भा० प्रा० लि., प्रादि लिजा हो। पन । बता . क्रि० प्र०-देना ।-नेजना !-मंगाना |--पढ़ना, प्रादि। . चिटो- संचासी० [संग तंत्रशास्त्र के अनुसार चांडाल वेशधारिणीयो०-चिळीरसाँचिट टी पी। " योगिनी, जिनकी उपासना वनीकरण के लिये की जाती है। २. वह छोटा पुरजा जो किमी माल विशेषतः कपड़े प्रादि के चिटुकी ----संदा श्री [हिं० चुटकी] , 'चुटकी'। साथ रहता है और जिसपर उस माल का दाम लिना रहता चिट्ट - संदा की० [हिं० चिट] दे० 'चिट। . है। ३. वह छोटा पुरजा या कागज जिसपर कुछ लिखो हो। चिहा-विसं० सित. प्रा० चित] वि० ख० चिट्टी] १. सफेद । ४. एक जिया जिसके द्वारा यह निश्चय किया जाता है कि . यवन । श्खेत । २. गौरा। में, गोरा बिट्टा। कोई माल पाने या कोई काम पारने का अधिकारी कौन विटा - मंधा पु. कुछ विशेष प्रकार की मछलियों के कार का सीप दनाया जाय। के प्रकार का सफेद छिलका या पपड़ी । यह दुअन्नी से लेकर विशेष --जितने पादमी अधिकारी दनने योग्य होते हैं उन सब पए तक के बराबर होता है और इनमे रेशम के लिये मांडी के नाम या संमत अलग अलग मागज के छोटे टुकड़ों पर नैयार की जाती है। लिखकर उनकी गोलियाँ एया में मिना फर उनमें से कोई एक चिड़ा-संशा पुं० देश रुपयां--(दलाल। गोली उठा ली जानी है। जिनके नाम की गोली निकलती है • पट्टा --- मंझा पुं० [हिं० चिटकाना] वह उत्तेजना जो किसी को कोई वह उसी मान के पाने या काम करने का अधिकारी समझा ऐसा काम करने के लिये दी जाय जिसमें उसकी हानि या जाता है। इस मिया ने लोग प्रायः यह भी निश्चय किया हैनी हो का बड़ाया। करते हैं कि कोई नाम (जैसे, बियाह यादि) करना चाहिए कि०प्र०-देना।' - या नहीं। पहा-चिट्टा देना, चिट्टा ताना--जूठा दड़ावा देना। कि प्र-उनाडातना -टना ।