पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४५७

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चित्ररथ चित्रना(प-शि० स० [सं० चित्र--ना (प्रत्य॰)] १. चित्रित चित्रफला-मंशा की.] १.किपड़ी। २.बंगनाटकारि। करना। चित्र बनाना चितरना । उ०--चित्री बहु चित्रनि टपटया। ४. लिगिनी लता। महेदवारणी। तुई परम विचित्रनि केशवदास निहारि । जनु विश्वरूप की अमल. मछली। .. पारसी रची विरंचि विचारि।--केशव (शब्द०)। २. रंग चित्रबह-मंशा पुं० [सं०] १. मोर मर । ३. गाड़ी एक पुन . भरना । चित्रित करना । का नाम । चित्रनेत्रा-संवा स्त्री० [सं०] सारिका । मैना । चित्रभानु --संवा पुं० [म.] १. अग्नि । २. सूर्य 1. मिना । चौत चित्रपक्ष- पुं० [सं०] तितिर पक्षां । तीतर। का पड़। ४ अर्क । मदार । ५. । . अश्विनीकुमार। चित्रपट संथा [सं०] १.बह कपड़ा, कागज या पदरी जिसपर ७. साठ संवत्सरों के बारह युगों में से मुग के, पहले ...... मित्र बनाया जाय या बना हो। चित्राधार । २. वह वस्त्र वर्ष का नाम 1 5. मणिपुर के राजा जो प्रर्जुन की पत्नी जिसपर चित्र बने हों। छीट ! ३. चित्र । तसवीर (को॰) । चित्रांगदा के पिता थे। ४. सिनेमा की फिल्म । सिनेमा। चित्रभाषा.-मंस की [40] पीनापा जिसमें विचारों को इस . चित्रपटी-संवा बीम] छोटा चित्रपट । उ०--प्राणों की चित्र- भांति प्रस्तुत किया जाय कि उनसी सपना साकार हो । . पटी में ग्रांकी सी करण कथाएँ ।-यामा, पृ० २७. चित्रभाषावाद-संझा पुं० [सं०] चित्रभाषा का सिद्धति खा मत । चित्रपट्ट-संशा गुं० [सं०] ३० चित्रपट' कि । चित्रभाष्य-संज्ञा पुं० [सं०] कूटनीतिक भाषा या व्यंजना हो। वि० [सं०] "चिप्रगत' को०)। बिनपत्र'-संया पुं० [सं०] अाँख की पुतली के पीछे का भाग जिसपर चित्रभू किरण पड़ने से पदार्थों के रूप दिखाई पड़ते हैं। चित्रभेपजा-संशा ० [सं०] कटलर । स्यूमन । चित्रपत्र - वि० विचित्र पक्ष युक्त । रंग बिरगे परवाला (पक्षी) चित्रभाग--संहा पु० [सं०] राजा का यह सहायक या खरवाह जो चित्रपत्रिका-संशा की० [सं०] १. कपित्थपणी वृक्ष । २. द्रोणा- ग्राम, बाजार, बन ग्रादि में मिलनेवाले पदाची सपा नाही, पुप्पी । नूमा। घोड़े प्रादि से समय पर सहायता करे। ..चित्रपत्री संग की. [सं०] जनपिप्पली । चित्रमंत्र--संघा० [सं० चिन] एक प्रकार का ताल (को०)। पापया संचा श्री [सं०प्रभास तीर्थ के अंतर्गत ब्रह्माकंड के पास चित्रमंउप--सं० [सं० चित्रमएटप १. अर्जुन की पत्नी की एक छोटी नदी जो अब सब गई है। केवल बरसात में चित्रांगदा के पिता का नाम । ३. अश्विनीकुनार कि। - कुछ कहती है । वि० दे० 'चित्रगुप्त' । चित्रमंडल संशश पुं० [म चित्रमय इल एक प्रकार का दो । चित्रमति-वि० सं० चित्र+मति] विविध बुधियाना । जिसकी चित्रपदा-संघा पुं० [सं०] एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण बुद्धि विसधारण हो। 30--विश्वामित्र पधि नियमति में २ भगण और २ गुरु होते हैं। जैसे, पहि देखत मोहैं । बामदेव मुनि फेयर (शब्द०)। ईश कही नर को हैं। संभ्रम चिक्ष यही । रामहि यो सब मिया li० मा प्रादिम किसी भी मा अपने पति - . वझे-केशव (शब्द०)। २. मैना चिड़िया। सारिका । ३. या प्रेमी का चित्र देखकर विरहसूचक भार दिजाना। सजालू नाम की लता । छईमुई लजाधुर! चित्रशृग- पुं० [सं०] एक प्रकार का हिरन जिसती पो पर विपर्णी-संवा खौ० [सं०] १. मजीठ। २. कर्णस्फोट लता। सफेद सफेद चित्तियां होती हैं । पीतल । फनफोड़ा । ३. जल पिप्पली । ४. द्रोणपुप्पी । गूमा । . चित्रमेखल-संह पुं० [सं०] मयूर । मार। चित्रपादा-संगकी मंसारिका। मैना । चिश्योग-संमा पुं० [1] चौसठ यालानी में से एक प्रधान को चित्रपिच्छक-संज्ञा पुं० [सं०] मयूर । मोर । ... जयान और जवान को कहा बना देने की पिया 10. चित्रपुख-संशा पुं० [टे चित्र पुत] बाग । तीर । - पत्रपुट-संथा ० [सं०] एक प्रकार का छह ताला ताल जिस में दामियोधी-वि० [सं० चिप्रबोधिन् विचित्र युग करनेवाला। लपु, दो द्रुत, एका लघु, और एक प्लुत होता है । इसका बोल भारी योद्धा। यह है--दिगिदी। धिमितक । दादा तक वों। किट थरि घिधिगन था। वित्रयोधी--संश मु० १. अर्जुन । २. प्रभुन या पथ। वियपुत्री-संच श्री० [सं०] गुड़िया को चित्ररथ'-संशपु ] १. सूमं । २. एका गया नाम हो चनपुप्प-संश. [सं.] रामसर नाम की शर जाति की घास । कश्यप और दवा कम्पा नियुष थे। . विपुष्पी--संवादी संग्रामड़ा। विशेप-निमय पर ससा मानागवाज, चियपृष्ठ-संवा ० [सं०] गौरा पक्षी। गौरया । अपारपणं, पर योर युबरामद नकल-संवा पुं० [सं०] १. चिंतला मछली । २. तरबूज --संका [सं०] हाथीदांत, पत्पर, काठ, कागज प्रादि के प्रसार पर देश के राजा माग । ५. एकागस्वनी का तन्ना जिसपर चित्र बनाया जाता है। राजा जो पिण, पुराणका अनुसार पर भारत के चित्रपाल- चित्रफलक-संका