पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

विहान-मंत्रा०] बार या एका हाथ । इयिवार नलाने का माय (महाभारत)। किन - संज्ञा पु म चित्रान] १.चित्र अंक्ति मारना। २. विभाग [ मे० चिया वि० श्री चित्रांगी ] जिनका नमा चिना-दिEिETATI यंग विनियहो। जिसके अंग परनितियां बारिया हो। नियम (०५. निफ। चीता। २. एक प्रकार का नम्।। बन्न । ३. भीतल मृग। ३. इंगुर । ५. हरतात . पंटा 2. जिमि मे Tr दिनांगद - [20 चियादव १. सत्ययनी के मन में उत्पन्न राधामाभन के एक पुरजो विनिमवाय पर छाट भाइय।. चित्राष्टिस्य- -1ET i taire देवीभागवः ये अनमार एक गंधर्य का नाम । ३. महाभारत. मामीप में नियापिनमा एमएई में गित दणा देश के एक प्राचीन राजा। चिनाधार--डा. [tt]. ।चिने । निदा-संपा . चित्राङ्गदा] १. मरिगपुर के राजा मान । पियानको नाममा जो अजुन को व्याही थी। २. रावण विधान- शामलीदा में और मीटर स्पीडो वीरवार की माता धी। जियोनी-- H० चित्रानी । १.मीठ। .. फनसलाई चित्रापूप--- [i] एक प्रामाधार माम का एक कीड़ा ! मानव दूरा। चिमाय- flata (यानी विश्रा० ]१. सत्ताईस नक्षमों में से नौवह नक्षप। मोरिदिए निजामय पर बिना माहि। में मुरम:- विशेष-सी सारा संस्था एफ मानी गई है, पर यह योगताना मयमा नाना--cir, मा07.1 भी दिवाई देता है। इसकी काला ४० प्रौर विशेष दो बना है। चियापस----20] माना । इसका कलांग ले रह है; अर्थात यह सूर्य कक्षा के तेरह अंग की। चित्रायुध-शा [ .fAyETER.it बीच पस्त घोर तेरहवें अंश पर उदय होता है। यह पूर्व दिशा एकापसमा नाम । में उदय होता है घोर पश्चिम में प्रस्त होता है (ममिक्षांत)। चित्रायुध-वि०शिरारा मानगुन । शनाय नाहाग के अनुसार सुंदर और चिम विनित होने के कारण ही इसे चिया कहते हैं। फलित में यह पायं मुखनाम चित्रारg to [# चिनिया। चित्राल-...RTIचिसाय कमीच.ई. परिमार माना गया है। इसमें महारंभ, गृहप्रवेश, हाथी, रम, नोटा, पी भादि का व्यवहार शुभ है। इस नक्षत्र में बिसका जन्म पहादी प्रदेश - यह नाक्षम गा में माना जाता है। विवाद की गणना निमालय--17 मारा. मरमका मेन मनुष्यगण के साथ नहीं होता। शानिमामो निधायगु froj R e f ..१५ मानों में काट देने से महतं निफन पाता। इनमें मे चिमाश-दु. ( रयामा चौपाय मां को चिवाका महमान लेना चाहिए या चिपास मंगा FERREFHe free . . . पोरकसमक्ष भीहोरोजोनार्य चित्रा नक्षत्र में fat fe k 1.मी.वायविना, मसालानी। पानी निनिमो- १.दा . समतापमानाम। १२.