पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४६

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खविकी खविका-संवा नौ० [सं०] छोटी खाट [को०] 1 ... सर फिर राव खिसारणी । वल खड़िया देखवा सिवाणो । .खड़जा--संज्ञा पुं० [हिं० खड़ा+अंग] ईटों की खड़ी चुनाई । खड़ी रा० रू०, पृ० ६२ ।। . ..' .:. ईटों का जोड़ना । (ऐंसी जोड़ाई फर्श पर होती है।) खड़बड़--संज्ञा स्त्री० [अनु०] १. खड़खड़। खटखट । २. व्यतिक्रम। क्रि० प्र०-छोड़ना। .. ... . गड़बड़ । उलटफेरे । ३. हलचल । ४. दे० 'खटपट' । खड़--संज्ञा पुं० [सं० खड] १. धान की पडी। पयाला तण । घास। खड़वड़ाना'-क्रि० स० [अनु०] १. विचलित होना । घबराना। उ०-आप लोग वास, खड़, सुतली और दूसरा दरकारी चीज : . . 30-छत्री खेत-बोहारिया, चढ़ा दई की गोद । कायर का का इंतजाम कर देगा'-मैला० पृ० । ३. श्योनाक। ४. . खड़बड़, सुरा के मन मोद -दरिया० बानी, पृ० ११ १२. .' एक ऋषि का नाम १५. चांदी, सोने आदि की बुकनी, जिसकी '.. क्रमहीन होना । बेतरतीय होना । सहायता से गिलट की हुई चीजों पर जिला करते हैं। खड़बड़ाना--क्रि० स० १. किसी वस्तु को उलट पलटकर खड़बड़ खड़क-संज्ञा स्त्री॰ [मनु०] • 'खटक' । ....... शब्द उत्पन्न करना । २. क्रमविहीन करना। उलट फेर खड़कना--कि० अ० [धनु०] [संचा खड़खड़ाहट खड़खड़' शब्द , करना। ३. विचालत करना । घबरा दना।

होना । दि० दे० 'खटकना' ।

खड़तड़ाहट--संज्ञा स्त्री० [हिं० खड़बड़ाना] 'खड़बड़ाना' का भाव । खड़बड़ी 1 खड़का-संवा पुं० [हिं०] दे० 'खटका' .. खड़बड़ी--संशा मी० [हिं० खड़बड़ाना] १. व्यतिक्रम। स्लटफेर । खड़काना-क्रि० स० [हिं०] दे० 'खटवाना'। ..: २. हलचल । घबराहट । खड़क्किका-संम्न मी [सं०] गवाक्ष । खिड़की को०] । खड़विड़ा-वि० [हिं० खड्ड+सं० विघट, प्रा० बिहड़] ऊँचा नीचा । खड़क्की--संज्ञा स्त्री० [सं०] करोखा । खिड़की [को०] 1. असमतल खडखड---संडा सीधनुनदे० 'खटखट'।... खड़वोहड़ा-वि० [हिं०] दे० 'खड़विड़ा] | . खड़खड़ा-संशा-० [अनु०] १. दे० 'खटखटा' या 'खटका'-६ - खड़भड़-क्रि० वि० [अनु०] अस्तव्यस्त । इतस्ततः । सु०-हरि २. कार का एक प्रकार का ठांचा जिस में जोतकर गाड़ी के पाखें नहिं कह म । पीव बिन खदभड़ गाँव गाँव ।-दादू०, लिये घोडे सघाए या निकाले जाते हैं। '.", ०६५९ । । खड़खड़ाना-क्रि० प्र० [हिं० सहखड़] खड़खड़ शब्द करना । खडमंडल--संहा पुं० [सं० खण्ड+मण्डल] १. गड़बड़ । घोटाला । जैसे,-बाग में सूखी पत्तियां खड़खड़ा रही हैं। .. .२.अस्तव्यस्त । इतस्ततः । खड़खड़ाना-क्रि० स० किसी वस्तु में खह खड़ शब्द उत्पन्न करना। खड़सान-संदा पुं० [हिं० खरसान] दे० 'खरसान' । जैसे,—वह कुंडी खड़खड़ा रहा है। : : खड़हड़--फि० वि० [अनु॰] आवाज करती हुई । धड़ाम से । धमाके RTE-मंशा स्त्री० [fro खडखडाना] १: खहखट' शब्द के साथ। उ०--ऊमी थी खड्डहड़ पड़ी, जाण उसी भयंगि:- २. खड़खड़ाना का भाव या क्रिया । .. . ढोला०, दू०२३६ । ... . . खड़खड़िया-संञ्चा सौ० [हिं० खड़खड़ाना] १. पालकी जिसे चार खड़हड़ताल-वि० [प्रा० खड़हा] व्यग्न | हिलता इलता । कंपित । कहार उठाते हैं। पीनस । २. काठ का 'गाड़ीनुमा वह ढाँचा उ०-सी थांम मुजडंड सू, खड़हड़तो ब्रहमंड 1 वांकी ग्रं, जिसमें जोतकर नए घोड़ों को गाढ़ी खींचने योग्य बनाया ... भा० १, पृ०६ । .. जाता है । खड़हड़ना -कि० अ० [अनु० खटकना । गड़ना । चुभना । खड़ग -संवा पुं० [सं० खन] दे . खड्ग' । . .. .. उ०-गया गलंती राति परजलती.. पाया नहीं। से सज्ज . परभाति, खड़हडिया खुरसार ज्यू खड़गी@'-वि० [सं० खगिन् ] तलवार लिए हुए । तलबारवाला। -टोला०, दू० ३८० । खड़ा-वि० [सं० खडक = खम्भा, धूनी [वि० सी० खड़ी] १. घरा- खड़गी:--संक्षा पुं० [सं० खड्गी] गैंडा नामक जंतु। । तल से समकोण पर स्थिति । सीधा ऊपर को गया हुआ। . खड़ची-संचा पुं० [सं० खड्गी] दे० 'खड़गी' । उ०-खड़जी खजाने, " पर को उठा हुया। जैसे-खड़ो लकीर, खड़ा बाँस, झंडा ... खरगोस खिलबतखाने, खोले खसखाने. दाँसत. खवीस हैं।- .:.:. खड़ा करना। . . . . . . ... भूषण (शब्द०)!" .. ... . क्रि० प्र०-करना रखना-रहना होना। खनाल-क्रि० स० [सं० खेटन, प्रा० सेट एउ] चलना । गमन : २.जो (प्राणी) पृथ्वी पर पैर रखकर टांगों को सीधा करके - करना । उ०(क) ढोल पुगल पंथसिरि पाणद अधिक अपने शरीर को ऊँचा किए हो । ददायमान जैसे,—इतना ...'.. खति ।-डोला०, दू०४२३ । (ख) पहला 'दल पेशीर.यी, सुनते ही वह खड़ा हो गया और चलने लगा। . . ...खड़ माया लाहौर। -रा००, पृ० २६ . .. क्रि० प्र०-फरना।--रहना --होना । - खाना -सि० चलाना । चलने के लिये प्रेरित करना । मूह०-खड़ा । जवाब-तुरंत अस्वीकार। वह इनका जो हकमा । उ०--(क) इसवर सीय सेस चढ़ रय ऊपर । तहका चटपट किया जाय। खड़ा दांव-जूए का वह दांव जो जारी ... सारथी खड़े तुरंग :--रघु० 5०, पृ० १०६ । (ख) खेता - उठते उठाते समय लगाते हैं । बड़ा होना=(१) सनायता देना! ... खड़ना