पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४६१

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विनगो १५४० दिपकाना से फुट फुट कर उड़नेवाला कण । अग्निकण । इनिग । त्रिनियारी-संशो० ० चुच ?] सुसना का साग । क्रि०प्र०---उडना 1-छूटना ।- फूटना।। चिनोती-संशा श्री. [हिं० चुनौती] दे० 'चुनौती'। उ०-यह महा.--प्रांखों से चियारी छूटना:-क्रोध से आँखें लाल लाल तो मुझे चिनौती देता है, या मरी लोय के खानेवाले खड़ा होना। चिनगारी छोड़ना=धीरे से ऐसी बात कर बैठना रह । -शकुंतला, पृ० १२७ । । 'जिससे किसी प्रकार का उपद्रव खड़ा हो जाय । कोई ऐसी चिनौटिया-वि० [हिं० चिनना] चुना हुया । चुन्ननवाला । वात कह देना जिससे लोगों में लड़ाई झगड़ा हो जाय । ऐसी चिनौती-संदाकी हिनौती दे० चनौती। 20-मन के चान चलना जिससे एक नई बात खड़ी हो जाय । चिनगारी मोठ सिकुड़े। चिनौती मी देती हुई बोली, मेरे भाग्य में एक डालना=(१) प्रागं लगाना । (२) दे० 'चिनगारी छोड़ना'। नहीं, दस हाथी लिन्डे हैं ।-झांसी०, पृ० ३२॥ - चिनगी--संद्धा श्री [सं० चूर्ण, हि० चन+अग्नि, प्रा० श्रागि] १. चिन्न संशपुं० [सं०] चना। . पग्निकरा । दे० 'चिनगारी' । २. चुस्त और चालाक लड़का। चिन्मय - वि० [सं०] ज्ञानमय । ३. वह लड़का जो नटों के साथ रस्ता है (मट)। चिन्मय --संह पुं० परमेश्वर ! चिनत्ती. - सदा ही हि चैना] चेना की रोटी। चिन्ह-संज्ञा पुं० [सं० चिह्न] दे० 'चिह्न । चिनना--संज्ञा पुं० [सं० चिनोति से/चि + नु (विकरण), हिंगना] चिन्हवाना--क्रि० स० [हि. 'चीन्हना' का प्रे० रूप] पहब नवाना । दे० 'चुनना। परिचित करना । ठीक लक्षण बता देना । पहचान करा देना। चिनवाना-क्र० स० [हिं० चिनना] दे॰ 'चुनवाना' । उ०--जीवित चिन्हाटी-छा श्री० [हिं० चिन्हबाटी (प्रत्य०)] १० मनुष्य को अग्नि में जला देना अथवा दीवार में चिनवा देना चिन्हानी' इन शासकों के लिये साधारण कार्य था- हिंदी काव्य०, चिन्हाना:- क्रि० स० [हिं० चीन्हता' का प्रे० रूप]. पहचनवाना । परिचित कराना । चिनाई-संवा श्रीहि निनना] चिनने, चुनने या जोड़ाई करने चिन्हानी--संशा मी० [हिं० चिन्ह ] १. चीन्हने की वस्तु । __ का कार्य अथवा उस कार्य की मजदूरी। पहचान । लक्षण । २. ऐसी वस्तु जिससे किसी बात या मनुष्य चिनाई दौड़-संज्ञा [ छीनना+दौड़ ] जहाज की घुमाव का समरण हो । स्मारक । यादगार । चिह्न । रेखा । धारी। फिराव पी चाल । जहाज का चक्कर |--(लश०) । लकीर। चिनाना--क्रि० स० [सं० चयन] १. चुनवाना । बिनवाना । कि० प्र०-खींचना ।-पारना । २. ईट प्रादि की जोड़ाई करता। दीवार या घर उठवाना। चिन्हार-- [हिं० चिन्ह ] जानपहचान का। जिससे जान चिनाब मा पुं० [चन्द्रभागा पंजाब की एक नदी । चंद्रभागा। पहचान हो । परिचित । चिनार-संवा पुं० [देश॰] एक प्रकार का बहद वृक्ष जो काश्मीर चिन्हारी:--वि० [हिं० चिन्ह ] जान पहचान । मॅट मुलाकात । ... में होता है। इसकी पत्तियां हाथ के समान होती हैं। परिचय। ३०--कुममय जानि न कीन्हि चिन्हारी। चिनिग--संश्च पुं० [देश०] बटेर जाति का एक पक्षी जो घाघरा -मानस, १ । ५०।। से छोटा, किंतु उसी जाति का होता है। चिन्हित--वि० [सं० चिह्नित दे० 'चिह्नित'। चिनिया--वि० [हिं० चीनी] १. चीनी के रंग का । सफेद। २. चिन्होटा-सा का मोटो चिन्हीटी--संज्ञा स्त्री० [हिं० चिन्ह प्रीटी (प्रत्य॰)] दे० चीन देश का । चीनी । चिन्हानी' लिया कला-संथा पुं० [हिं० चिनियां--केला छोटी जाति चिपकना--नि० अ० [अनुकरणात्मक देश०] १. बीच में किसी .का एक केला जो बंगाल में होता है । यह खाने में बहुत मीठा लसीली वस्तु के कारण दो वस्तुओं का इस प्रकार जुड़ना कि जल्दी अलग न हो सके । सटना । नया घोड़ा-- संज्ञा पुं० [हिं० चीन या चीनी] वह घोड़ा जिसके चिमटना । शिलष्ट होना । जैसे,—इस पुस्तक के पन्ने चिपक चारों पर सफेद हों और सारे बदन में लाल और कुछ सफेद गए हैं। खिचड़ी बाल हों। क्रि० प्र०-जाना। २. प्रगाह रूप से संयुक्त होना । लिपटना । ३. स्त्री पुरुष का मनापीत--संज्ञा पुं० [हिं० चिनिया--पोत ] एक प्रकार का संयोग होना। सभी पुरुष का परस्पर प्रेम में फंसना । ४. सिल्क का वात्रा नकली रेशमी कपडा । २०-काशी के रोजगार से लगना । किसी काम में लगना । .. अमूल्य वसन बहु विधि बहुरंगी। अतलम विनियापोत बासकट तास ताफता।-रत्नाकर, भा०१.० १०६ चिपकाना कि० म०दि० पिपरता] १. किसी ससीली वसको दीच में देकर दो अस्तुणों को परस्पर इस प्रकार जोड़ना कि नयावत-मंदा हिं० चिनिया+वत] बत्तक का --एक चिड़िया। दे जल्दी अलग न हो सके। विमटना । रिनष्ट करना । चापा पानमावदाम--संपुं० सहि चिन-वादाम] मूगफली। करना । जैसे,—इस कागज पर टिकट चिपका दो। - चिनियाधान -- चिनियावत-