पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४६३

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विरकारिक १५४१ चिमटवाना . .. चिमटवाना-क्रि० स० [हिं० चिमटना का प्रे० रूप] दूसरे से चिम- चिरंभण-पंचा पुं० [सं० चिरम्नण] २० 'चिरंभ'। .. टाने का काम कराना। चिर-वि० [सं०] बहुत दिनों का । दीर्घकालवी । जैसे.-चिर- चिमटा-मंशा पुं० [हिं० चिमटना ] [ स्त्री अल्पा० चिमटी ] काल, चिरायु । उ०-हो एहु संतत पियहिं पियारी। चिर .. लोदे, पीतल आदि की दो लंबी और लचीली फट्टियों का बना अहिवात प्रसोस हमारी । तुलसी (शब्द०)। . - हुमा एक प्रौजार जिससे उस स्थान पर की वस्तुपों को . यो०-चिरफमनीय चिरकुमार ब्रह्मचारी। ग्राजीवन अवि- .. पकड़कर उठाते हैं, जहाँ हाथ नहीं ले जा सकते । दस्तपनाह। वाहित । उ०-चिरकुमार भीष्म की पताका ब्रह्मचर्य दीप्त । चिमटा-क्रि० स० [हिं० चिमटना] १. चिपकाना । सटाना । -- अनामिका, पृ०५८ । चिरनवीन-सदा नया रहनेवाला। . लसना । २. लिपटाना । आलिंगन करना। उ०-उज्ज्वल, अधीर और चिरनबीन । -अनामिका, चिमटी-संझा की० [हिं० चिमटा] १. छोटा चिमटा । २. सोनारों पृ०५८ । चिरपोषित= जिसका पोपण, रक्षण बहुत काल का एक औजार जिससे तार आदि मोड़ने और महीन रवे तक किया गया हो। चिरकाल से रक्षित अथवा पालित । न्ठाने का काम लिया जाता है। उ०प्रपनी ही भावना की छायाएँ चिरपोपित ।-अना- ... विशेष - और भी कई पेशेवाले इस नाम के औजार का प्रयोग मिका, पृ० ७०1 चिरप्रतीक्षित=जिसकी प्रतीक्षा बहुत

करते हैं। इसे चिमोटी या चिकोटी भी कहते हैं।

दिनों से की जा रही हो । उ०-उसके बाद चिरप्रतीक्षित चिमड़ा-वि० [हिं०] दे॰ 'चीमड़। ग्री चिरकमनीय, उसके स्वप्न और जागरण की प्राराध्य - चिमन-संका पुहि० चमन] दे० चमन' । देवी। -वो दुनिया, पृ० १२ 1 चिरसमाधि=(१) सदा से चमनी-संज्ञा स्त्री० [ अं०1१. ऊपर उठी हुई शशे की वह नली समाधिस्थ । बहुत काल से प्रसुप्त । ३०-चिरसमाधि में - जिससे लंप का घुयां बाहर निकलता और प्रकाश फैलता है। अविर प्रकृति जब तुम अनादि तब केवल तम ।-अनामिका, २. किसी मकान, कारखाने, या भट्टी के ऊपर लोहे या ईटों पृ०३१ । (२) मृत्यु। .. का बना वह लंवा छेद जिससे घुयाँ बाहर निकलता है । चिर-क्रि० वि० बहुत दिन । अधिक समय तक । दीर्घकाल तक। जैसे, चिरस्थायी । चिरजीवी। उ० चिर जीवहु सुत वारि दशेप- चिमनी कई प्रकार की बनाई जाती है। रहने के चक्रवर्ती दशरत्व के । -तुलसी (शब्द०)। मकानों में जो चिमनः बनती है,वह बहुत ऊपर उठी हुई नहीं होती यौ-चिरायु । चिरकाल। चिरकारी । चिरक्रिय । चिरजात । पर कल कारखानों (जैसे, पुतलीघर) में जो चिमनियां होती चिरंजीवी । चिररोगी। चिरलव्य । चिरशांति । चिरसंगी। __ . है ब्रहत के हई जाती हैं जिसमें धूओं बहुत ऊपर ...जाकर प्रकाश में फैल जय चिर'- मंझ लो तीन मात्रामों का गण जिसका प्रथम वर्णनघु हो। चिरई-- स्त्री० [- चटक मिडिया। पनी। विम पा पुं० [सं०] तोना [को० । चिरउंजी - मी [हिं० चिरौंजी दे० 'चिरौंजी' । उ०-राय चिमिक संदा पं० [म० दे० निमि' (फो। कदा चिरजी-जायसी ग्रं० (गुप्त), पृ० ३४ । वमा संच सौ हिचिमटना। १ चिमटने ६ क्रि । चिरक + + [हिं चिरकना बहुत जोर लगाने पर होनेवाला भाव । २. चिमटने के काम पड़ने-इन दवाव ा पार - थोड़ा सा पाखाना। चिमोटा-संह पुं० [हिं० चमोटा। ३० 'चमोटा' । चिरकट संज्ञा पुं० [हिं०] दे॰ 'चिरकुट'। 30- केचित् चिरकट चिमाटी संवा सी-हि- चिमटी] दे० 'चिमटी' । बीनहिं पंथा। निर्गुन रूप दिखावे कथा ।-सुदर० ०, चियाग्ना-क्रि० स० देशबाना । फैलाना । खोलना । जैसे,- भा०१, पृ०६२। . दांत चियारना । चिरकढांस--संवा सी० [हिं० चिरकना+डांसना ] १. एक न एका चिरंजीव' विकचिरजी चिरजीवी। रोग का नित्य बना रहना । कभी कुछ रोग कभी कुछ । सदा पिशप-इस शब्द से दीघायु होने का आशीर्वाद दिया जाता है। बनी रहनेवाली अस्वस्थता-1२. नित्य का झगड़ा। रगड़ा।

यह शब्द पुत्रवाचक भी है।

चिरकना-क्रि० प्र० [अनु० ] थोड़ा थोड़ा मल निकलना । घोड़ा व-संबः पुं० वेटा । जैसे, आपके चिरंजीव ने ऐसा कहा है। । थोड़ा हगना । व-प्रव्य० एक आशीर्वादात्मक शब्द अर्थात् बहुत दिन तक चिमनीय--पंडा सी० [सं०] जो स्थायी रूप से मुंदर हो। वह रजावी-वि०सं०चिरञ्जिविना दे० 'चिरजीवी'। जिसका सौंदर्य स्वायी हो। 30--चिरपतीक्षित और विर- परटी-संक्षा बी०सं० चिरण्टी]१. सवानी लड़की जो पिता + कमनीय उसके स्वप्न और जागरण की पाराध्य देवी।--वी दुनिया, पृ० १२ । वि० [सं० चिरन्तन] वहत दिनों का । पुरातन । पुराना। चिरकार-वि० [सं०] दे० 'चिरकारिक' फोगा चिरंभ-संहासचिरम्न चील । चिरकारिक-वि० [सं०] दीर्घसूत्री। चिरकारी । - . वाना चिरंजीव-भव्य० एक आशा जीरो (को०)। घर रहे । २. युवती।