पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४६५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रिवाना . चिरायय .. कार्य । २. चिरवाने की मजदूरी । ३. पानी बरसने पर खेतों रोनक मिटाना। चिराग गुल होना=(१) दीए का बुक की पहली जोताई। जाना । (२) रोनक मिटना । उनी घाना । (२) किसी विरवाना-क्रि० स० [हि चीरना का प्रे० रूप ] चीरने का काम . वंग का विनाश होना। चिराग ठंडा करना=चिराग कराना। फडवाना-1.. .:. . . बुझाना। चिराग तले अंधेरा होना=(१) किसी ऐसे म्यान चिरविस्मृत-वि० [सं०] जो वहत दिनों से मुलाया जा चुका हो। पर बुराई होना जहाँ उसके रोकने का प्रबंध हो। जैसे, चिरवीर्य-संज्ञा पुं० [सं०] लाल रेंड का वृक्ष। ... हाकिम के सामने अत्याचार होना, पुलिस के सामने चोरी चीरस्थ-वि० [सं०] दे० 'चिरस्थायी' [को०। .. होना, किसी उदार धनी के किसी संबंधी का भूखों मरना, 'चिरस्यायो-वि० [सं० चिरस्थायिन् ] बहुत दिनों तक रहनेदाला । इत्यादि इत्यादि । (२) किसी ऐसे मनुष्य द्वारा कोई बुराई होना चिस्नेह-संज्ञा पुं॰ [सं०] बहुत समय से मिलनेवाला प्यार । 30- जिससे उसकी संभावना न हो । जैसे, किसी विद्वान द्वारा कोई " उसके प्रति अपनी चिरस्नेह तपस्या का रहस्योद्घाटन कुकर्म होना, इत्यादि । चिराग दिखाना=रोशनी दिवाना। " - किया-वो दुनिया, पृ० १२ । सामने उजाला करना। चिरोग बढ़ाना=रोगनी बुझाना। चिरस्मरणीय-वि० [सं०] १. बहुत दिनों स्मरण रखने योग्य । २. चिराग बत्ती करना=दीमा जलाना 1 दीया जलाने की तैयारी पूजनीय । प्रशंसनीय ! . . . . करना। चिराग लेकर टूटा=बड़ी छानबीन के साथटू डना । चिरहटा --संज्ञा पुं० [हिं० चिड़ी+हंता ] चिड़ीमार । बहेलिया । चारों ओर हैरान होकर टूटना । परस्पर लाभ पहुँचना। .' व्याध'। उ०-कतह चिरहटा पंखा लावा । कतहुँ पखंडी चिराग से फूल झड़ना=विराग की जली हुई वत्ती में गोल .. काठ नचावा 1---जायसी (शब्द०)। गोल फूचड़े निकलना या गिरना। चिराग से गुल झड़ना ।

चिरडला-संज्ञा पुं० [?] [मौ० चिरहुली] १. चिड़ा। २. पक्षी।

चिराग से चिराग जलना एक दूसरे से लाभान्वित होना । चिराग से फूल झड़ना=चिराग का गुल झड़ना। चिरांदा-वि० [अनुचिर घिर(=लकड़ी आदि के जलने का शब्द)] चिरागदान-संघा पुं० [फा० चिराग+दान] दीपट । फतीलसोज । ... थोड़ी थोड़ी बात पर बिगड़नेवाला । चिड़विड़ा। . शमादान। निराइता- पुं० [हि चिरायता) दे० 'चिरायता'। . चिरागी-संहा बी० [अ०] १. चिराग जलाने का खर्च। किसी चिराइना-संवा बी० [हिं० चिरायघ] दे॰ 'चिरायेंध' । स्थान पर दीमा बत्ती करते रहने का पुत्र या मजदूरी । २. विराई-सा श्री[हिं० चीरना१.चौरने का.भाव.या,कियां। जुमारियों के अड्डे पर चिराग जलानेवाले की मजदूरी जो २. चीरने की मजदूरी ।। . . . . ... ... .. बहधा दाँव जीतनेवाला खिलाड़ी प्रत्येक द.व जीतने पर देता निराका-संक पुं० [फा० चराग] दे० 'चिराम'। उ०—(क) है। ३. वह भेंट जो किसी मजार पर चढ़ाई जाती है । सहित चंद्र चिराक बीजना करत दसौं दिसि ।-जयसिह .क्रि० प्र०-चढ़ाना-देना। (शब्द॰) । (ख) गुलगुली गिलमैं गलीचा है, गुनीजन हैं चाँदनी चिराटिका-संश श्री० [सं०] १. सफेद पुनर्नवा । २. चिरायता । है चिक है चिराकन की माला है।-पद्माकर पं०, पृ० १६५। चिरातन@ वि० [सं० चिरन्तन] १.पुरातन । पुराना । २. जीएं। घराको--०ली. [ हिचिरागी] दे० 'चिरागी'। उ०- ० हम तो तबही तें जोग लियो। पहिरि मेखलन चीर चंद चिराकी नई दिसा सब सीतल जाने । सूरज भी सेवा चिरातन पुनि पुनि फेरि सिपाए।—सूर (शब्द०)। . करं, जैसे भल माने ।-दादू०, पृ० ६२५ । चिरातिक्त--संघा पुं० [सं० चिरतिक्त] ९० 'चिरतिक्त' । विराग-संवा पुं० [फा० चिराग, चराग] दीपक । दीया। चिराद-संज्ञा पुं० [सं०] गरुड़ । ० प्र०-गुल करना ।-जलना। -जलाना ।-बुझना ।- चिराद-पंसा पुं० [सं० चिराद] वत्सक की जाति की एक प्रकार की बुझाना ।- बढ़ाना । बड़ी चिड़िया जिसका मांस स्वादिष्ट होता है। चिराना-वि: [हिं० चिराना] बहुत पुराना । अधिक दिनी का। - यो०-चिराग गुल पगड़ी गायव मौका मिलते ही धन का उड़ा यो०-पुरान चिरान-बहुत पुराना । प्रधिक दिनोंका। दिया जाना। चिराग जले-अंधेरा होने पर । सध्या समय । सामाजिक सहि० चीरना ] चीरने का काम कराना। ' चिराग बत्ती का वक्त-संध्या का समय । चिराग सहरी, फडवाना । जैसे,—फोड़ा चिराना, लकड़ो चिना।। . चिराग सुबह = (१) वह दिया जो बुझने युझने को हो । (२) शियनार-वि० [सं० चिरन्तन] १. पुराना । पुरातन । उ०- • वह व्यक्ति जिसके जीवन के अंतिम दिन करीव हो । भरेट सुमानस सुचल बिराना । मुण्ट सीत चि चाह . . मरणासन्न 1 चिराग का गुलदिए या. चिराग का फुचड़ा चिराना।-मानस, ११३६ । २. जीएं। जो रोगनी तेज करने के लिये झाड़ दिया जाता है। यौ०--पुराना घिराना। | ..ता-चिराग का हंसना-चिराग से फल झड़ना। चिराग चिराय ध-संशा सी० [सं० च-गच यह दुर्गध जी बरी. म. पहाच देना=चिराग बुझाना। चिराग गुल करना=(१) वाल, मांस मादि जीवों से मंगी के मंत्रों के दलने से सीमा बुझाना । (२) किसी के वंच का विनाश करना । (३) फैलती है।