पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४७०

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चीक' १५४८ चीत चीक-संघा सी० [सं० चीत्कार पीड़ा या कष्ट आदि के कारण २. पाभूपण । गहना । जैसे,--(क) वह चीज रखार रुपए बहुत जोर से चिल्लाने का शब्द । चिल्लाहट । लाए हैं। ( ) लड़की के हाय पर नंगे हैं, इसे कोई चीज चीक-संक्षा पुं० [हिं० चिक] मांस वेधनेवाला । फसाई । बूचर। बनवा दो। विशेष---प्रायः बूमरों की दुकानों पर प्राड़ के लिये चिके टंगी यी० चीज वस्तु जेवर प्रादि । रहती हैं, इसी से उन्हें चीक कहते हैं। ३. गाने की नीज । राग । गीत । जैसे,—(या) कोई अच्छी : जीक - संधा पुं० [सं० चिफिल] दे० 'कीच' या 'कीचड़। चीज सुनायो । (ख) उसने दो चीजें बहुत अच्छी सुनाई थीं। चीकट-संशा पुं० [हिं० फीचड़] १. तेल की मैल । तल छट । २. ४. विलक्षण वस्तु । विलक्षण जीव । जैसे, (क) क्या कहें मटियार । लसार मिट्टी। मेरी अंगूठी गिर गई, वह एक चीज थी। (ख) म प भी तो जीकटर--संक्षा पुं० [देश॰] १. चिकट नाम का रेशमी कपड़ा। २. एक चीज हैं । ५. महत्व की यरतु । गिनती कारने योग्य वस्तु । वह कपड़े या जेवर अादि जो कोई मनुष्य अपने भांजे या जैसे,—(क) काशी के आगे मथुरा क्या चीज है। (ब) उनके भांजी के विवाह में अपनी बहन को देता है। सामने ये क्या चीज हैं। ची कट-वि० बहुत मैला या गंदा। चीठ मंशा श्री० [हिं० चोकड़ (=फीचड़)| मैन । उ०-कौड़े काठ चीकड़ा-संथा पुं० सं० चिकिल या चिखाल्ल] दे० 'कीचड़' । जु खाइया, खाया किन? दीठ । होत उपाई देखिया मीतर . जाम्या चीठ ।—कबीर (शब्द०)। चीकना--वि० [सं० चिक्कण दे० 'चिकना। चीठा-मंशा पुं०1हिं० चिट्टा] २० "चिट्टा' । उ० -नाम की लाज चीकना'-क्रि०अ० [सं० चीत्कार] १. पीड़ा या कष्ट यादि के ___राम करन यार, केहि न दिए कर चोठे।—तुलसी (शब्द०)। ___ कारण जोर से चिल्लाना। नीठी --संघा 'प्री० [हिं० चिट्टी] दे० 'चिट्ठी' । संयो० कि०-उठना---पड़ना । चीड़-संशा पुं० [देग०] १. एक प्रकार का देनी लोहा । २ जूने के २. बहुत जोर से चिल्लाना । बहुत ऊँचे स्वर से बात करना। लिये चमड़ा साफ करने की मिपा (मोचियों की परिभाषा)। चीकना-वि० [हिं० चिकना] वि० सी० चीफनी] ३० "चिकना। ३. दे० 'चीढ़। उ०- अलकावलि फाली चीमनी घुघराली ।-प्रेमचन०, चीड़ा-संसा बी० [10] चीड़ नाम का पेड़।। भा०१, पृ० १३० । चीढ़-संझा पुं० [सं० सरल, प्रा० सरह, चड़, चीड़ प्रयया र चीड़ा चीकर-संघा j० [देश॰] कूए को ऊपर बना हुया वह स्थान जिससे या क्षीर ( चीन)?] १. एक प्रकार का यहुन कना पेड़ भोट या चरस प्रादि से निकाला हुमा पानी गिराया जाता जो भूटान से कायमीर और अफगानिस्तान में बहुत अधिकता है और जहाँ से पानी नालियों द्वारा होकर खेतों में पहुँचता है। से होता है। चीख-संज्ञा स्त्री० [फा० चीख दे० 'चीक' । विशेप-इसके पत्ते सुदर होते हैं पौर लकड़ी अंदर से नरम यौ--चीख पुकार = कष्ट के समय की चिल्लाहट। और चियानी होती है जो प्रायः इमारत और सनावट के चीखना-कि० स० [म० चपरण] किसी चीज को उसका स्वाद सामान बनाने के काम में पाती है । पानी पड़ने से यह लकड़ी जानने के लिये. थोड़ी मात्रा में खाना या पीना। बहत जल्दी खराब हो जाती है। इस लकड़ी में तेल प्रधिक चीखना- संज्ञा पुं० [हिं० शिखना या चिखना ] भोजन में स्वाद होता है। इसलिये पहाड़ी लोग इसके टुगाड़ों को जलाकर वृद्धि लाने के लिये थोड़ी मात्रा में खाया जानेवाला पदार्थ । उनसे मशाल का काम लेते हैं। इसकी लकड़ी औषध के काम जैसे, चटनी, तरकारी प्रादि । में भी पाती है । इसके गोंद को गंधाविरोजा कहते हैं । ताड़- चीखना--क्रि० अ० [हिं० चीकना] दे॰ 'चीकना'। पीन (तेल) भी इसी वृदा से निकलता है। कुछ लोग चिलगोजे चीखर, चीखल-संप पुं० [सं० चिफिस या चिखल्ल] १. कीच । को इसी का फल बताते हैं। पर चिलगोजा इसी जाति के दूसरे कीचड़। उ०-दल दाभ्या चीखल जला, विरहा लामीमामि । पेड़ का फल है। प्राचीन भारतीयों ने इसकी गणना गंधद्रव्य तिनका वपुरा कयरा, गल पूरा के लागि । कबीर (गब्द०)। में की है और वैद्यक में इसे गरम, कासनाशक, नरपरा और २.गारा। कफनाशक कहा है। इसके अधिक सेवन से पित्त और कफ का चीखुर संभा पुं० [हिं० चिखुरा] गिलहरी । दूर होना भी कहा है। इसे चील या सरल भी कहते हैं। . चीज-संघा बी० [फा० चीज] वह जिसकी वास्तविक, काल्पनिक २. चीड़ नाम का देशी लोहा । अथवा संभावित परंतु दूसरों से पृथक सत्ता हो । सत्तात्मक चीणोg-संप पुं० [देश॰] एक प्रकार का रंग । उ०-- रोहड़ भड़ वस्तु । पदार्थ । वस्तु । द्रव्य । जैसे,—(क) बहुत भूख लगी " वंकडे सेल्ह पद्धर कर तोले । अस चीखी पौरियो, रुद्र जाडा है, कोई पीज (खाद्यपदार्थ । हो तो लामो। (ख) मेरे पास धमरोले ।-रा० रू०, पृ०६७।। प्रोढ़ने के लिये कोई चीज (रजाई, दोहर या कोई कपडा नहीं चीत -संया पुं० [सं० चित] १. चित्त । मन । दिल । उ०- है। (ग) उनकी सब चीजें (लोटा, थाली, कपड़ा, किताबें , ढोला प्रामण दूमाउ नखती खूद भीति । हमथी फुण छ आदि) हमारे यहाँ रखी हुई हैं। आगली बसी तुहारइ चीति ।-ढोला०, दू० १३७ । २. यो०-चीज वस्तु सामान । असबाय । । इच्छा । विचार । उकखाना कै सोवना, और न कोई