पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४७१

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चितारना १५५० - चीतसतगुरु मन्द बिसारिया, प्रादि पंत का मीत। कबीर का हुन लग जाता है, तो फिर वह प्रायः गावों में उसी के .. सा० म०, पृ० ६२ । लिये बुस जाता है और मनुष्यों के बालों को नया ले जाता 'पीत -संह पुं० [सं० मित्रा] चित्रा नक्षत्र । उ०—तोहि देखे पिउ हैं । यह पेड़ पर नहीं चड़ सकता, पर पानी में बहुत तेजी से 'पलुई काया । उतरा त्रीत बहरि कर माया ।-जायसी तैर सकता है। इसकी मादा एक बार में ३-४ नफ बच्चे देती है। भारत में इसका निकार किया जाता है। कहीं कहीं बड़े चीन हा पं० [सं०] सीसा नामक धातु । प्रादमी इसे दूसरे जानवरों का शिकार करने के लिये भी पालने चीजकार' हा पुं० [सं० चीत्कार] दे० 'चीत्कार। हैं। इसका बचा पकड़कर पाना भी जा सकता है। . चातुकार'@-संश पं० [सं० विकार] दे० "चित्रकार। २. एक प्रकार का बहुत बड़ाइप जिसकी पत्तियां जामुन की . चीनना' क्र. ०[संचेतवि० चीता] १. मोचना। बिचा- पत्तियों में मिलती जुलती होती हैं। रना । भावना करना। २. वन्य होना । होश में पाना। . विशेष-इनकी कई जातियां हैं जिनमें अलग अलग सफेद, लाल, स्मरण करना। याद करना। काले ग पीले फूल लगते हैं। पर सफेद फूबाले चीने के सिवा चीतना --कि०म० म० चित्र विचित करना । तसवीर या बेल और रंग के फूलबाद चीते बहुन कम देखने में पाते हैं। इसके ' बूटे बनाना 13०-द्वार हारत फिरत प्रष्ट सिधि । करेन फूल बढ़त्त सुगधित और जूही के फूलों से मिलते जुमते होते हैं सथिया चीतत नव निधि। -सूर (शब्द०)। और गुच्छों में लगने हैं। इसको छाल और जड़ो पधि के काम चौतर- पं० [हिं: चीतल] ३० चीतल'। में पाती है। यह बहुत पाचक होता है। वैद्यक में इसे चरपरा वीतर--संथ श्री० [सं०चित्र] एक प्रकार का नाप जो छोटे श्राकार हलका, अग्निदीपक, भूध बढ़ानेवाला, सूखा, गरम और का, लगभग एक हाथ लगा होता है और जिसकी पूछ की संग्रहणी, कोड़, सूजन, बवासीर, खाँसी और यकृत् दोष नोटाई बराबर होती है। यादि को दूर करनेवाला तथा त्रिदीपनाशक माना है। बाल-हः पुं० [सं० चित्ती ( =लबी घारी या दाग] १. एक कहते हैं, लाल फूलबाले चीते की जड़ के सेवन से शरीर स्यूल प्रकार का हिरन जिसके शरीर पर सफेद रंग की वित्तियाँ हो जाता है और काले धन के चीते की जड़ के सेवन से बाल - या बुदतियां होती हैं। काले हो जाते हैं। . विशेष-यह मभोले कद का होता है और सारे भारत में प्रायः पर्या--चित्रका प्रल बिति । विनाकर । शिखावान् । शुष्मा । 'जल के किनारे झंडों में पाग जाता है। इसके अवाल नहीं पाचका दाए। दांवर ! शिनी।हुतमका पानी । इसके अति- .: होती है। इसकी मादा गर्भ धारण के प्रा० महीने बाद बच्चा रिक्त पनि के प्रायः सभी पर्याय इसके लिये व्यवहृत होने हैं। चीता-मंदा ६० [सं० चित्त ] चित्त । हृदय । दिल । ३०--प्रति अजगर की जाति का पर उससे छोटा एक प्रकार का सांप। . अमंदगी ईवी जीता । जाको हरि बिन अबहन जीता।- पिशप--इसके शरीर पर छोटी छोटी चित्तियां होती हैं। इसके तुलमी ग्रं पृ०१०।। - शग का भाग पहला और मध्य का बहुत भारी होता है। चोता-हा एं० [ म० चेत ] संधाहोश हवाम । ३०-तिन को - यह बरगोश, बिल्ली या बकरे के छोटे बच्चों को निगल कहा परेखो की कुबजा थे मीता को । चढ़ि चहि मेज साहु सिंधु विसरी जो कता को-यूर (शब्द०)। ३. एक प्रकार का सिक्का । चीता-वि० [हिं० चैतमा या चीतना] [वि० पी० चौती ] सोचा वाता'-संधा पुं०० चित्रक] १.बिल्ली की जाति का एक प्रकार . हा विचाराना । जैसे,-प्रब तो तुन्हारा चीता हमा। .. . .. यौ०---मनदीता । ननचीती। " बहुत बड़ा हिंसक पत। . चीतावती®/ हा की २० चत् ] यादगार । स्मारक चिह्न । पशप--यह प्रायः दक्षिणी एशिवा और विज्ञेपतः भारत के - गलों में पाया जाता है। यह प्राकार मैं बाबसे छोटा होता च मामले ओगटोदा वित्त--पार (प्रत्य) चौतार@-या पुं० [सं० चित्रकार, चिरा। वह व्यक्ति जो चित्र बनाता हो। उ०-योडस है और इसकी गरदन पर अयाल नहीं होती। इसकी कमर गज उद्ध, राज कभी चप्प तस । संझनमय चीतार, पत्र यहुत पतली होती है और इसके शरीर पर लंबी, काली और पीली धारियां होती हैं जो देखने में सुंदर होती हैं । यह बहुत कोनो पैसकस । -पृ० रा०,३१५६।। तथा से नौकड़ी भरता है और इसी प्रकार प्रायः हिरनों को चीतारना'-जि० स० [हिं० चौता] बाद करना । उ०-चौतारंती पकड़ लेता है। यह साधारणतः बहुत हिंसक होता है और त्रुगतियाँ कुंभी रोबहियांह । दूराहता तर पनइ जन मेल्ह प्रायः पेट भरे रहने पर भी शिकार करता है। संध्या समय हियाह ।-होला, दू०२०३।। " जलाशया के किनारे छिपा रहता है और पानी पीनेवाले चीनारना-क्रि० स० [40 चित्रस] विगित करना। उच्चारण - जानवरों को उठा ले जाता है। चीता मनुप्यों पर जल्दी .. करना। वर्णन करना । ३०-प्रोमंकार बीरज संसारे। ". अक्रमण नहीं करता; पर एकबार जव उसके मुहम यादी प्रोप्रकार गुरमुव चीता -मा०पृ.२॥ देती है। . .. का बहुत बड़ा हिंसक पशु।। विशेष--यह प्रायः दक्षिणी एशिय