पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४७४

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चीफ कोर्ट . १.५५३ धीरा - (छोटे लाट) के पद से कुछ छोटा समझा जाता था और यौ०-चीर फाड़-चीरने या फाड़ने का भाव या क्रिया । उसके अधिकार में स्वतंत्र प्रांत होता था। इसकी नियुक्ति २. चीरकर बनाया हया शिगाफ या दरार। स्वयं गवर्नर जनरल इन कौंसिल के द्वारा होती थी और वह क्रि० प्र०-डालना।-पहना। .. गवर्नर जनरल का विशिष्ट अधिकारप्राप्त प्रतिनिधि होता था। ३. कुश्ती का एक च। सीमांप्रांत तथा मध्यप्रदेश प्राधि प्रांत चीफ कमिश्नर के विशेष-यह उस समय किया जाता है जब जोड़ (विपक्षी) पीछे अधीन थे। से कमर पकड़े होता है । इसमें दाहिने हाथ से जोड़ का दाहिना चीफ कोर्ट-संख्या पुं० [अ० चीफ कोर्ट] ब्रिटिश व्यवस्था के अनुसार हाय और बाएं से बायां हाथ पकड़कर पहलवान उसके दोनों किसी छोटे प्रांत का प्रधान न्यायालय । हाघों को अलग करता हुआ निकल पाता है। विशेष-भारतवर्ष के पंजाब, "वध तथा दक्षिणी बरमा की सबसे चीरक-संज्ञा पुं० [सं०] लिखित प्रमाण के दो भेदों में से एक वड़ी अदालत 'चीफकोर्ट' कहलाती थी। इसके चीफ जज और जिसे विकृत लेख कहते हैं। - जजों की नियुक्ति गवर्नर जेनरल इन कौंसिल द्वारा होती थी। चीरचरमg+--संग पं० [मं० चीरचर्म] बाघंबर । मृगचर्म । चीफ जज-संज्ञा पुं० [अं० चीफ+जज ] हाई कोर्ट के जजों में मृगछाला । प्रधान । हाईकोर्ट का प्रधान जज । चीरचोर-संज्ञा पुं० सं० चोर-चोर] चीर हरण करनेवाले चीफ जस्टिस-संशशपुं० [अं० चीफ जस्टिस] हाई कोर्ट का प्रधान श्रीकृष्ण । उ०-चीरचोर चितचोर और को सरवसु दै जज । अपनायौं । - घनानंद०, पृ० ४११ । चीफ मिनिस्टर-संभा पुं० [अं० चीफ+मिनिस्टर] प्रांतीय विधान चीरना---कि० स० [सं० चौरणं (= चीरा हुआ अथवा अनुररानात्मक)] सभा के बहुमत दल का नेता। मुख्यमंत्री। [संघा चीरा] किसी पदार्थ को एक स्थान से दूसरे स्थान चीमड़ ---वि० [हिं० चमड़ा] जो न्वींचने, मोड़ने या जुकाने प्रादि तक एक सीध में यों ही अथवा किसी धारदारया दूसरी चीज से . . से न फटे या न टूटे । जैसे,—चीमड़ कपड़ा, चीमड़ कागज, घेसा या फाड़कर खंड या फांक करना । दिदीर्ण करना। चीमड़ लकड़ी आदि। फाड़ना । जैसे,-पारी से लकड़ी चीरना, नशरसे घाव चीरना, विशेष--यह विशेषण केवल उन्हीं पदार्यों के लिये व्यवहृत होता नाव का पानी चीरना, दोनों हाथों से भीड़ चोरना प्रादि । है, जो खींचने से बढ़ या मोड़ने अथवा झुकाने से टूट सकते हैं। यो०-चीरना फाडना! चीमड़ -संशा पुं० [फा० चश्मया] नमलतास की जाति का, पर मुहा०-माल ( या रुपया श्रादि) चीरना=किसी प्रकार, बहुत छोटा एक प्रकार का पौधा। विशेषतः कुछ अनुचित रूप से बहुत धन कमाना। विशेष - इसके बीज दस्तावर होते हैं। और आँख पाने पर चीरनिवसन---संज्ञा पुं० [सं०] १. पुराणानुसार एक देश का नाम जो पीसकर अखिों में डाले जाते हैं। इसे चाकसू या बनार भी कूर्म विभाग के ईशान कोण में बतलाया जाता है । २. उक्त कहते हैं। देश का निकासी। चीरपत्रिका-मंश स्त्री० [सं०] चैत्र नाम का साग । चीमरी-संज्ञा पुं०, वि० [हिं० चीमड २० 'चीमड़' । चीरपरिग्रह--वि० संज्ञा पुं० [सं०] दे० 'चीरवासा" [को०] । चोयांग-संग पुं० [हिं० चियाँ] दे॰ 'बियो' । चीरपर्ण-मंशा पुं० [-] साल का पेड़। चीर- संज्ञा पुं० [सं०] १. वस्त्र । कपड़ा । उ०—(क) प्रातकाल - असनान करन को यमुना गोपि सिधारी।ौ के चीर पादंब चीर फाड़-संज्ञा स्त्री० [हिं० चीर+फाड] १. चीरने फाड़ने का स रि बिनवत हैं अजनारी --तूर (शब्द०)। (ख) काम । २. चीरने फाड़ने का भाव ।। जीरहिल संधा पं० [मका सथत के अनुसार एक मत्स्य । कीर के कागज ज्यौं नृप चीर विभूपन, उप्पम अंगनि पाईं।- तुलसी नं०, पृ० १६१ । २.वृक्ष की छाल । ३. पुराने कपड़े का चीरवासा'-संक्षा पुं० [सं० चीर वासस] १. शिव । महादेव । २. टुकड़ा । चिथड़ा । लत्ता । ४. गौ का थन । ५. चार लड़ियों- - यक्ष । वाली मोतियों की माला । ६. मुनियों, विशेषतः बौद्ध भिक्षों चारवासा-वि० १.छाल या वल्पाल पहननवाला । २. चिपड़ के पहनने का कपड़ा७. एक बड़ा पक्षी जो प्रायः तीन फुट वाला को वाला का०]. लंबा होता है और जिसका शिकार किया जाता है। चीरहरण-संशा पुं० [सं०] श्रीकृष्ण की एक लीला जिसमें वे विशेष-यह कुमाऊ, गढ़वाल तथा अन्य पहाडी जिलों में पाया गोपियों का वस्त्र लेफर उस समय वृक्ष पर चढ़ गए थे, जव वे जाता है। इसकी दुम लंबी और बहुत खूबसूरत होती है। ... नंगी होकर यमुना में स्नान कर रही थीं। ... - यह 'चीर चीर' शब्द पाहता है, इसी से इसे चीर पाहते हैं। चीरा-संज्ञा पुं० [हिं० चीरना] १.एक प्रकार का लहरिएदार .: . ८ घूप का पेड़ । वि० है, 'चीड़ । १.छप्पर का मैगरा । मयौय। रंगीन कपड़ा जो पगड़ी बनाने के काम में प्राता है। १०. सीमा नामक धातु । .: मि०प्र०--बांधना।-बनाना । .. चीर--संक्षा स्त्री० [हिं० चीरना] १. चीरने का भाद या त्रिया। .... योल-चीराबंद।