पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४७७

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चुंबकीय चुकंदर का यह उत्तर दक्षिण हमारे भौगोलिक उत्तर दक्षिण से ठीक ३ संपर्कयुकत । संबंधित (को०)। ठीक मेल नहीं खाता. कहीं ठीक उत्तर से वाई अंश पूर्व और चुगना -क्रि० अ० [हिं० चुगना] दे० 'घुगना' । कहीं पश्चिम की ओर होता है । इस अंतर को चुचक प्रवृत्ति गाना -क्रि० स० [हिं० चुगाना] दे० 'चुगाना'। कहते हैं । इसे निकालने के लिये भी एक यंत्र होता है। चुघाना-क्रि० स० [हिं० चुसाना] चुसाना । चुसाकर पिलाना । यह बक प्रवृत्ति पृथ्वी के भिन्न भिन्न स्थानों में भिन्न भिन्न उ०-अब न तो कुछ शीत उरण में बचाव करना पड़ेगा और ..' होती है जिसका हिसाव किताब जहाजी रखते हैं । इसके अति- न भूख प्यास के समय दूध ही चुधामा पड़ेगा। ये सिद्ध रिक्त किसी स्थान की यह चुकप्रवृत्ति सब कात में एक सी लोगों के दिए हुए धागे यत्र यापही बालक की रक्षा करेंगे।- . नहीं रहती, शताब्दियों के हेर फेर के अनुसार कुछ मौलिक घद्धाराम (शब्द०)। .. परिवर्तनों के कारण वह बदला करती है। किसी चुवक का चदरी -संज्ञाही[हिं० चुनरी या चूनरी] दे० 'चुनरी'। एक प्रांत दूसरे चुबक के उसी प्रांत को प्रापित न करेगा, चदरीगर-संघापुं० [हिं० दरी-+फा० गर] च दरी तैयार करनेवाला अर्थात् एक बकशलाका का उत्तर प्रांत दूसरी चुवक रंगरेज। शलाका के उत्तर प्रांत को पाकर्षित न करेगा, दक्षिण प्रांश चलाना-क्रि० स० [हिं० चौ (-चार)+घ ( घा)] कोकरेगा । जिस वस्तु को चुवक के दोनों प्रांत प्राप्ति करें. यौनों का सहसा अधिक प्रकाशके सामने पढ़ने के कारण स्तब्ध वह स्थायी चुंबक नहीं है, केवल प्राकपित होने की शक्ति रखने- होना । चौंधना । चकाचौंध होना। प्रांखों का तिलमिलाना। वाला है । जैसे, साधारण लोहा ग्रादि । स्थायी युवक के पास चुभना@-कि० अ० [हिं० चुनना] २० 'चुभना'। लोहे का टुकड़ा लाने से इसमें भी चुवक का गुण धा जायगा, चअना"@ कि०म० [हिं० चूना] दे॰ 'चूना'। अर्थात् वह भी दूसरे लोहे को प्राप्ति कर सकेगा। ऐसे चयना'--वि० चूनेवाला। चुवक को स्थायी चुबक कहते हैं। इस्पात में यद्यपि चुवक यो०--चुनना कोटा । आमा घर । शक्ति अधिक नहीं दिखाई देती, पर एक बार उसमें यदि चुबक चना- संघ पुं० हाजन या छप्पर का वह स्थान जहां से होकर शक्ति या जाती है, तो फिर वह जल्दी नहीं जाती। इसी से जितने कृत्रिम स्थायी चुबक मिलते हैं, वे इस्पात ही के होते चना-संशशि एक प्रकार का पहाड़ी देश । हैं कृत्रिम बरु या तो चुबक के संसर्ग द्वारा बनाए जाते है ग्रा मजा पुं० [हिं० चोप्रा] दे० 'चोप्रा' । अथवा इस्पात की छड़ में विद्युत्प्रवाह दौड़ाने ते । विद्युत्प्रवाह द्वारा बड़े शक्तिशाली चबक तैयार होते हैं। अब यह निश्चित माइ-सहा ना [हि० चुमाना] १ चुमाने का काम । टपकाने हुया है कि बक विद्युत का ही गुरण है। की किया । २. चुमाने की मजदूरी। चुवकीय-वि० [सं०] १.चुबक संबधी । २.जिसमें चुवक का गुणहो। चुना संज्ञा पुं० [हिं० घुमाना ( टपकाना)] वह छेद जिससे पानी 50-और ठेले जाने की वह क्रिया दुबकीय खिचाव-कभी प्रावे (लश०)। कभी ऐसा प्रबल होता है कि उसके लिये अकूल समुद्र में फांद मान--संद सी' [हिं० चूना जल पाने का स्थान । खाई। पड़ने या चट्टान से टकराकर उसपर अपना सिर पटकने के लिये नहर । गढ़ा । सोता। 30-(क) सब देवताओं को वश में भी वह स्वेच्छा से राजी हो जाती है । जिप्सी, पृ० ३६६ । कर नगर में चारों पोर जल की चुमान चौड़ी करवाई और वन-संज्ञा पुं० [सं० चुम्बन] [वि.चुबनीय, चुचित ] प्रेम के अन्नि पवन का कोट बनाय निर्भय हो वह सुख से राज्य करने . आवेग में होने से (किसी दूसरे के ) गाल आदि अंगों को लगा 1- लल्ल (शब्द०)। (ख) वहपुरी किस की है कि जिसके - स्पर्श करने या दबाने की क्रिया । चुम्मा । बोसा । हूँ और तवे का कोट और पक्की चुयान, चौड़ी खाई, क्रि० प्र०-करना। होना। स्फटिक के चार फाटक इत्यादि है 1 लल्लू (शब्द०)। चुवना-क्रि० स० [सं० चुम्बन] १. चूमना। बोसा लेना 1 उ०---- कबहक माखन रोटी ले के खेल करत पुनि मांगत । मुख चुवत न चुआना-क्रि० स० [हिं० चूना (- टपकना)] १. टपकना । बूद चुना जननी समझावत नाय कंठ पूनि लागत 1- सूर (शब्द०)। बूंद गिराना । २. चुपड़ना । चिकनाना । रसमय करना । २. स्पर्श करना । छना । उ०-धवल धाम रूपर नम चुक्त। रसीला बनाना । 30--वैप सुबमा सुचि बचन कह चुनाइ कलस मनहु रवि ससि दुति निदत |-मानतः ७।२७ । जाइ तो न जरनि धरनि धन घाम फी ।--तुलसी (शब्द०)। चुवा'-संवा नौ [सं०चुन्या घुबन (को०] । ३. भभके से अर्क उतारना । जैसे,- शराब चुमाना। ४. दे० चुवा'-संवा पुं० [देश॰] दे० 'सु'या'। (लश०)। 'दुहाना। .चुवित-वि० [सं० चम्वित १.चमा हमा। २. प्यार किया हृया। ३. स्पर्श किया हुआ। छुपा हुमा। चुनाव~यशा सी० [हिं० चुपाना ] चुमाने की क्रिया या भाव । बुबा--वि० [सं० चुम्बिन] १. च मनेवाला । जो चमै । २. छूनेवाला। नेवाला। चुकंदर-छा पुं० [फा०] गाजर या गलगम की तरह की एक जड़ ९१

स्पर्श करनेवाला (को०)।

जो सुखीं लिए होती है और सरकारी के काम में पाती है। . विशेष-योगिक पद बनाने में इसका प्रयोग अधिक होता है। विशेष--इसका स्वाद मुछ मीठापन लिए होता है। कहीं कहीं जैसे, गगनचुवी। इससे डिभी निकाली जाती है। चुकंदर ऐसे स्थानों पर