पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४८९

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१५६८ उसका लेह ।-सुंदर० ग्रं०, भा० १, पृ० २८४ । फेरी अहटत चलत चहटत दुई पटत पाइ।--सूदन

३ दृढ़। मजबूत।

(शब्द०)। २. चिकोटी काटना । यस्त-मंत्रा पुं० जहाज का वह भाग जो अंदर की ओर झुका हो। चुहटना, क्रि० प्र० चिमटना । ..:.. मूड़।- (लश) . चुहटनी-संश दिंश.] घुघची गुंजा। चुस्त-संधा पुं० [सं०] १. भूने हुए मांस का जला हुआ भाग । २. चुहड़ा - संभा पुं॰ [देश॰] दे॰ 'चुहड़ा'। ... भूना हुआ मांस । ३. तुप । भूसी। ४. छाल। छिलका (को०]। चुहड़ा-संशा पुं० [देश॰] [ी० च हड़ी] भंगी १. हलालखोर । २.. चुस्ता-संशा पुं० [सं० चुस्त (Dमांसपिंडविशेप)] बकरी के बच्चे का नीच । धोखेबाज व्यक्ति । वह व्यक्ति जो फरेब रचता ...आमाशय जिसमें पिया हुअा दूध भरा रहता है। हो। (ला०)। चस्ती-संवा सी० [फा०] १. फुरती। तेजी । २. कसावट । तंगी। चुहना-क्रि० स० [सं० च पण ] दांतों से दबाकर किसी वस्तु के ...३. दृढ़ता मजबूती।। __ रस को चूसना । जैसे,--ऊख चुहना । चहचाना -क्रि० अ० [अनुध्व.] चिड़ियों का बोलना। चहरवाजीg--संशस्त्री० [हिं० च हलबाजी ] दे० 'चहलबाजी'। .... चहचहाना । उ०-चिरैया चुहांनी, सुन चकई की बानी, उ०-संत की चाल संसार से भिन्न है, सकल संसार में कहत जसोदा रानी जागौ मेरे लाला -नंद० ग्रं॰, पृ० चुहरवाजी ।-कबीर० रे०, पृ० १६ । . ३३७। चुहल--संक्षा खौ० [अनु० चुहचुह (=चिड़ियों की बोली)] हंसी। चुहंटी@t संशश की० [देश॰] चुटकी। उ०-चुहटी चिबुक चापि ठोली । विनोद । मनोरंजन । ... . . चूमि लोल लोचन को रस मैं विरस कयो बचन मलीनो है। क्रि० प्र०--करना।- मचाना ।—होना । ...... -(शब्द०)। चुहलपन-संश पुं० [हिं० च हल+पन (प्रत्य॰)] दे॰ 'चुहलबाजी' 1. - चुहंचाहट --संज्ञा श्री० [अनु०] चिड़ियों का शब्द । बहकार। चुहलबाज-वि० [हिं० च हल+फा० वाज (प्रत्य०)] ठठोल । - त्रुहा-वि० [अनु॰] [वि० श्री. चहचही] १. चुहचुहाता हुआ। मसखरा । दिल्लगीवाज । ठट्ठबाज । विनोदी । रसीला । २. चटकीला । शोख । उ०-पहिरे चीर सुहि सुरंग चहलवाजी-संवा श्री० [हिं० च हलवाज+ई (प्रत्य॰)] हंसी। सारी चुहुन्हु चूनरो बहुरंगनो । नील लहँगा लाल चोली फसि ठठोली। दिल्लगी । मसखरापन । उटि केसरि सुरंगनो।-सूर (शब्द०)। चुहादंती-संशा स्त्री० [हिं० च हादती] दे० 'चूहादंती' । चहचहाहट ---संमा श्री० [हिं० च हच ह+पाहट (प्रत्य०)] दे० चुहिया-संघा पी० [ हि० चूहा ] चूहा का सौ. पीर अल्पा० रूप । -: ... 'चूहचाहट'। उ०-मैं तेरी हूँ इसकी साखी दिला जा, चुहिल---वि० [हिं० च हच हाना] जहाँ रौनक न हो। रमणीक । जरा चुह चुहाहट सुनने को प्राजा -हिम०, पृ० ४८ । विशेष स्थान के संबंध में बोलते हैं। चहचहाता-वि० [हिं० च हच हाना रसभरा । रसीला । सरस। चुहिली-संक्षा की दिश०] चिकनी सुपारी। .:रंगीला । मजेदार। जैसे,—कोई चहचहाता कवित्त सुनाइए। चुटनाल-क्रि० स० [अनु॰] १. चिकोटो काटना। २. चटकी से हचुहाना--कि० अ० [अनु०] १. रस टपकना । चटकीला लगना। पकड़ना। २. चिडियों का बोलना । चकार मचाना । कलरव करना। चह टना---वि. १. चिकोटी काटनेवाला। २. कसकर पकडने या ... चहचहाना। उ०-चिरई चहचहानी चंद की ज्योति परानी दवानेवाला ।। रजनी बिहानी प्राची पिय री प्रवीन की। सूर (शब्द०)। चहकना-क्रि० स० [सं० च प] घुसना । हाहा'--- संज्ञा स्त्री० [अन्०ा चमकीले काले रंग की एक बहुत छोटी चुहुटना-कि० अ० [हिं० चिमटना ] चिमटना पिया पकड़ना। .. चिड़िया जो प्रायः फूलों पर बैठती है। .: विशेप-यह देखने में बहुत चंचल और तेज होती है। बोली भी चुहुटना-वि० [वि० सी० च हुटनी] चिमटनेवाला । चिपकने या पकड़नेवाला। उ०--हसि उतारि हिय ते दई तुम जु तिहिं .. इसकी प्यारी होती है.। इसे 'फुलसु धनी' भी कहते हैं। दिना लाल । राखति प्रान कपूर ज्यों वह चुहुटनी माल ।-- चहचुही-वि० [अनु॰] दे० 'चहचहा' उ०-चारु चुहचुही मनी विहारी (शब्द०)।

एडिन ललाई लखें, चपरि चलत च्वं वरन बूकी रोरा को विशेष-यहां चुहुटनी शब्द श्लिष्ट है। इसका एक पर्यघु घची

... -घनानंद, पृ० २०८ । या गुजा दूसरा अर्थ चिपकने या पकड़नेवाली है। हनहीं -संधा पौहि . चहचही दे० 'चहचही' । उ०- च हटनी-मंशा खी० [देश॰] गुपी। धुघची। उ०--हसि उतारि .... भोर होत बोलहिं चहचही बोल पांडक एक तूही।- हिय ते दई तुम जु तिहि दिना लाल । राखति प्रान कपूर ज्यों ". जायसी (शब्द०)। वहै चहुटनी माल 1--विहारी (शब्द०)। ... बृहट-संशा स्त्री० [हिं० चहटना] १. बहटने की क्रिया या भाव। चूँ'-संया पुं० [अनु०] १. छोटी चिड़ियों या उनके बच्चों के .:.२. शपथ । कसम । सौगंध । बोलने का शब्द । उ०-~ कन्हाई प्रसाद चौरसिया (talk) 10:42, 5 September 2019 (UTC)क्या सब वेचू . वैच' करती हैं।-नजीर (पाब्द०)। २. पटना-क्रि० स० [देव०] १. रौंदना । कुवलना । उ०-फिरि शम्द।