पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४९

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खड्गपुत्रिका ११२५ ..खतम . हुनर [को०)। खड्गपुत्रिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] दे० 'खड्गपुत्र'। ' खसँग -संचा पुं॰ [देश॰] तरकस । तूणीर 1 3०-तरकस पंच खड्गप्रहार-संज्ञा पुं० [सं०] तलवार की काट । खड्गाघात [को० गिरंम तीर प्रति खसँग तीन सय । खुरासान कम्मान पंच खड्गफन--संज्ञा पुं० [सं०] खड़ग की धार खड्गधारा (को०] 1 ,' परमान मान 'जय ।-प० रा० (उ०), ११२१ खड्गवंघ-संज्ञा पुं० [सं० खड्गवन्ध] खड्ग की प्राकृति में लिखा खत-संज्ञा पुं० [अ० खत] १. पत्र । चिट्ठी 1 उ०- नहीं पाता है । । अंवं करार मुझे। तेरे का है इंतजार मुझे 1-शेर०, . ___गया काव्य (पद्य) जो चित्रकाव्य के अंतर्गत है। भा०१, पृ०३६३ . .. खडगलेखा-संशरखी० सं०] तलवारों की पंक्ति या कतार यो०-खतकितावत =पयव्यवहार। ' खड्गविद्या संज्ञा स्त्री० [सं०] तलवार चलाने की कला या २. लिखावट । जैसे-से पहचानता हू', यह उन्हीं का खत है। ३. रेखा । लकीर । धारी । ४ दाढ़ी के बाल (डिं०) खड्गहस्त--वि० [सं०] १.दे० 'खड्गपाणि' १२. लड़ने के लिये तैयार । संघर्ष के लिये उद्यत (को०] । .: .: . क्रि० प्र०-बनाना।बनवाना। खड्गाघात-संज्ञा पुं० [सं०] दे० 'खड्गप्रहार' । [को०] 1 । मु०-खत बनाना-माथे के ऊपरी भाग के वालों को उस्तरे . से घरावर करना। . खड्गाधार-संज्ञा पुं० [सं०] खडगकोश । म्यान (को॰] । खगारीर--संज्ञा पुं० [सं०] १. चमड़े की ढाल | २.प्रसि पर चलने .. दाढ़ा मूछ (का०] 15. कान स सट हुए चाला का निचला । का एक प्रकार का धामिकवत करनेवाला व्यक्ति को०] । .' भाग । कनपटी के वाल । उ०-सफाई उठ गई चेहरे की ... खडिगक-संक्षा पुं० [सं०] १.आखेट करनेवाला। शिकारी । २. - . "जब खत का निकाल आया :--प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ० तलवारधारी व्यक्ति (को०)। ३. भैंस के दूध का फेन । ३५८ १६. चिह्न । निशान (को०)। १८. परवाना । राज्या- देश (को०)। ४. कसाई 1 खड्गी-वि० [सं० खगिन् ] [वि० सी० खड्गिनी] साड्ग या असि . खत--संज्ञा पुं॰ [सं० क्षत [ आघात । प्रहार । धारण करनेवाला [को। खत -संज्ञा स्त्री० [सं० क्षति] घाव । चोट । उ०-भरम काटि खड्गी संज्ञा पुं० १. वह जिसके पास खाड्ग हो । खड्गधारी । २. .. : करि कलम छरी छवि, तकि तृस्ना खत सारी !-धरनी०, गेंडा । ३. शिव। खत संज्ञा स्त्री० [सं० क्षिति, प्रा० खिति] पृथिवी । जमीन । (हिं०)। खड्गीक-संज्ञा पुं० [सं०] छोटा हंसुग्रा [को॰] । .... खतकश-संज्ञा पुं० [फा० खत कश] बढ़इयों का एक औजार जिसके खड्डु-संज्ञा पुं० [सं० गत.प्रागड्ड अथवा, सं० खात गढ्ढा । गढ़ा। खड्डू - संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] खात में बहनेवाली सरिता । नदी। उ०- . द्वारा वे लकड़ी पर निशान बनाते हैं [को०] 1 . मौर उससे पहले खड्ड मिली!–किन्नर०, पृ० ४५ ॥ .. . खतकशो-संज्ञा सी० [फा० खतकशी] तस्वीर बनाने के लिये रेखाएं खींचना [को । खड्ढा -संज्ञा पुं० [सं० खात खडा] १. गडढ़ा। गढ़ा। २ बहुत खतकितावत-संज्ञा पुं० [अ० खतकिताबत पत्रव्यवहार । चिट्ठी . . अधिक रगड़ के कारण पड़ा हुआ चिह्न । पत्री। उ०--अधिकांश शिक्षितों के खतकितावत में भी खण@-संशा पुं० [सं० क्षण, प्रा० खण] दे० 'क्षण' । उ०- फारसी का प्रचार हुआ !--प्रेमधन भा० २.१.० ३९२ 1 तरण एक एक चूप भ रहइ गारा गाडू दे तत्व हा । काति० खतखुततः- संज्ञा पुं० [अ० खतखतूत] खतकिताब । चिठीपत्री [को॰] । पृ० ४२॥ खतखोटा-संज्ञा स्त्री॰ [सं० क्षत+हिं० खुड्ड] घावं के ऊपर की ...' खरणक-संज्ञा पुं० सं० खानक] चूहा 1 मूसा (डि०)। सूखती हुई पपड़ी। खुरंड । उ०—तिय निज हिय जो लगि . खरगनाडिका- संज्ञा स्ली० [सं० क्षण + नाडिका धर्म घड़ी (डि०)। चलत पिय नखरेख खरोट । सूखन देति न सरसई खोंटि खोंटि खतंग'-संचा पुं० [देश॰] एक प्रकार का कबूतर जिसका रंग कुछ . खतखोट । -विहारी (शब्द०)। . मलापन लिये हुए होता है। खतना-संज्ञा पुं० [अ० खतनह ] मुसलमानों की एक रस्म, जिसमें खतंगर.-वि० [सं० हाताङ्ग] १. अंग में क्षत या घाव करनेवाला। उनके लिंग के अगले भाग का बढ़ा हुमा चमड़ा काट दिया . चुभनेवाला उ०-(क) वूठा चाँण दुहू दला छूटा मूट जाता है । सुन्नत । मुसलमानी ।। खातंग।-रा०1०, पृ० ८३ । (ख) खूनी न रही काय खतम-वि० [अ० खत्म] १. पूर्ण । उ०-तुमहि कोरान खतम । सातंगा जंजना की न०, भा०३, पृ० ३२ । २. घायल ... खतमाना।-घरनी०, पृ०१८ । २. समाप्त ।। ३. परम। क्षतांग । उ---जित गहक सूर · सातंग --रधु० रू०, .. अत्यंत ! हद । उ०-खतम खुसी अनखुट खजाना, निरमल ... पृ० २२३ । . चंदमुखी ग्रह नार।-रघु रू०, पृ० २२॥ खतंगर@-- विदेशः सातंग+र (प्रत्य०)] अंग में क्षत मुहा०-खतम करना = मार डालना । जैसे, एक को तो यही करनेवाला । तेज । तीधण। उ-राघव उमंग हंस हंस ... खतम कर डाला है। एक बचा है सो देखा जायगा । खतम रहै खेल खगा खरंगरो --रघु० 5०, पृ०.४७॥ . .... होना= मर जाना। प्राण निकल जाना। ....