पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४९१

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चूतड़ ..यो---चूड़ाकरण। चूडाकर्म । चूडामणि। चूणारत्न । धारण करना। चूड़ियाँ पहनना=स्त्रियों का वेश धारण २. मोर के सिर पर की चोटी । ३. छाजन यादि में वह सबसे ऊंचा करना । औरत वनना (व्यंग्य और हास्य में) । जैसे,—जब तुम भाग जिसे मंगरा कहते हैं। ४. कुना। ५. घुघची। ६. इतना भी नहीं कर सकते, तो चूड़ियां पहन लो। (किती पर ...मस्तक । ७. प्रधान (नायक या नायिका)। अनश्रेष्ठ । ८. या किसी के नाम की) चूड़ियां पहनना स्त्री का किसी को बांह में पहनने का एक प्रकार का अलंकार । ६. चूड़ाकरण अपना उपपति बना लेना रात्री का किसी के घर बैठ जाना। नाम का संस्कार । १०. पर्वतशिखर । पहाड़ का शृग (को०)। चूड़ियाँ पहनाना=विधवा स्त्री से अथवा विधवा स्त्री का विवाह -सका पुं० [सं० चूड़ा (= बाहुभूपण)] १. ककरण । कड़ा । कराना । चडियां बड़ाना--चूड़ियां उतारना । चूड़ियों को बलय । २. हाथों में पहनने के लिये छोटी बड़ी बहुत सी हाथों से अलग करना । (चूड़ियों के साथ 'नतारना' शब्द का .'चूड़ियों का समूह जो किसी जाति में नववधू और किसी किसी प्रयोग स्त्रियों में अनुचित और अशुभ समझा जाता है।) जाति में प्रायः सब विवाहिता स्त्रियाँ पहनती हैं। २. वह मंडलाकार पदार्थ जिसकी परिधि मात्र हो और जिसके विशेष--चूड़े प्रायः हाथी दांत के बनते हैं। उनमें की सबसे मध्य का स्थान बिल्कुल खाली हो । वृत्ताकार पदार्थ । जैसे, छोटी चूड़ी पहुँचे के पास रहती है और बीच की चूड़ियां मशीन की चूड़ी ( जो किसी पुरजे को खसकने से बचाने के गावदुम रहती हैं। लिये पहनाई जाती है।। ३. फोनोग्राफ या ग्रामोफोन बाजे चूड़ा-या पुं० [हिं० चुहड़ा] दे० 'चुहड़ा। का रेकार्ड जिसमें गाना भरा रहता है अथवा भरा चूड़ा-संज्ञा पुं॰ [हिं० चिउड़ा दे० 'चिंउड़ा' । जाता है। चूड़ाकरण-संज्ञा पुं० [सं० चूडाकरण] किसी बच्चे का पहले पहल विशेप-पहले पहल जब केवल, फोनोग्राफ का आविष्कार हुआ - सिर मुड़वाकर चोटी रखवाना । मुंडन । था, तब उसके रेकार्ड लंबे और कुंडलाकार बनते थे और विशेष-हिंदुओं के १६ संस्कारों में से यह भी एक संस्कार है। उक्त बाजे में लगे हुए एक लवे नल पर चढ़ाकर वजाए जाते यह बच्चे की उत्पत्ति से तीसरे या पांचवे वर्ष होता है। थे। उन्हीं रेकार्डों को चूड़ी कहते थे । पर अाजकल के ग्रामो- . चूडाकर्म-संज्ञा पुं० [सं० चूडाकर्मन्] चूडाकरण। फोन के रेकाडों को भी, जो तवे के आकार की गोल पटरियाँ चूड़ामणि-संघा पुं० [सं० च दामगि] १. सिर में पहनने का होती है, चूड़ी कहते हैं। - शीशफूल नाम का एक गहना । वीज । २. सर्वोत्कृष्ट व्यक्ति । ४. चड़ी की प्राकृति का गोदना जो स्त्रियां हाथों पर गोदाती सब में श्रेष्ठा सरदार | मुखिया । अग्रगण्य । ३. घुघची। हैं। ५. रेशम साफ करनेवालों का एक औजार। मुंजा। विशेप यह चंद्राकार मोटे कड़े की शकल का होता है और चूडाम्ल-संशश पुं० [सं० च डान्ल] इमली। मकान की छत में बांस की एक कमानी के साथ बंधा रहता बहार-वि०..[सं० च डार] १. जिसके मस्तक पर चूडा हो। है। इसके दोनों ओर दो टेकुरियां होती हैं। बाईं ओर की (मनुष्य)। २. (पक्षी) जिसके मस्तक पर कलंगी हो । [को०] । टेकुरी में साफ किया हुआ और दाहिनी ओर की टेकुरी में

हाल -संहा पुं० [सं० च डाल] सिर [को०] ।

उलझा हुया रेशम लपेटा रहता है। डाल --वि० दूडायुक्त [को०) । वडी-- संशा स्त्री० [हिं० च ड़ा] वे छोटी छोटी मेहरावें जिसमें कोई बाला--संक्षा श्री [सं० च डाला] १. सफेद घुघची। २. नागर- बड़ी मेहराव विभक्त रहती है। , मोथा । ३. एक प्रकार की घास जिसे निविपी भी कहते हैं। चूड़ीदार वि० [हिं०चू टी+फा० दार (प्रत्य॰)] जिसमें चूड़ी चूड़िया--संका पुं० [हिं० चूडी-1 इया (प्रत्य०)] एक प्रकार का । या छल्ले अथवा इसी प्रकार के घेरे पड़े हों। धारीदार कपड़ा। यौ०-च डीदार पायजामा=तंग और लंवी मोहरी का एक पुड़ा-संवा मी० [हिं० छडा १. हाथ में पहनने का एक प्रकार प्रकार का पायजामा जिसमें चूस्तऐंठन के कारण पैर के पास का वृत्ताकार गहना जो लाख, कांच, चांदी या सोने चूड़ी के आकार के धेरै या शिकनें पड़ी रहती हैं। - आदि. फा बनता है। विशष-भारतीय स्त्रियाँ चुडी को सौभाग्य चिह्न समझती हैं। भासी चूड़ो-संह पुं० [हिं० चू हड़ा] दे० चहुड़ा। है चून'-संशा पुं० [सं०] ग्राम का पेड़ । और प्रत्येक हाथ में कई कई चूड़ियाँ पहनती हैं। पहनी हुई। चौ०-च तकलिका। चूतमंजरी। च तलतिका । चू तांकुर । हा का टूट जाना अशुभ समझा जाता है। युरोप, अमेरिका च ताप्टिग्राम की शाखा या डाल । प्रादि की स्त्रियाँ केवल दाहिने हाथ में और प्रायः एक ही बापहनती हैं पर अव विदेशों में भी चडी पहनने का रवाज चूत-संडा पो [ सं च्युति (नग) ] स्त्रियों की भटिया चोनि । भग। ०प्र०--उतारना।-चढ़ाना ।-पहनना । . पहनाना। यौ०-च तसलामी- मुसलमानों की एक रस्म और उसमें सुहाग-

मुहा०- ड़ियाँ ठही करना या तोड़ना=पति के मरने के समय

के समय रात को पति द्वारा पत्नी को दिया जानेवाला उपहार। सी का अपनी चूड़ियां उतारना या तोड़ना । वैधव्य का चिह्न चूतड़-संज्ञा पुं० [सं०१. प्राम का पेड़ । २. मेटा नया को हो गया है। या