पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५०३

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.. चैलाशक १५८२ चैलाशक-संसा पुं० [0] एक प्रकार का छोटा कीड़ा जो कपड़े में चोच-संशही[सं० चच] १. पक्षियों को मुहका अगला भाग .... लगनेवाले कौड़ों को खाता है । जो हड्डी का होता है पौर जिसके द्वारा वे कोई चीज उठाते, चैलिक - संज्ञा पुं० [सं०] कपड़े का टुकड़ा । तोड़ते और खाते हैं। पक्षियों के लिये यह सम्मिलित हाय, चैली-संका सी० [हिं० चला] १. लकनी का छोटा टुपड़ा जो होंठ और दाँत का नाम देती है। टोंट। तुट। २. मुहै। छीलने या काटने से निकलता है। २. जमे हुए खून का टुकड़ा (हास्य या व्यंग्य में)। जैसे, ...बहुत हुमा, पद अपनी चोंच या लच्छा जो गरमी के कारण नाक से निकलता है। बंद करो। क्रि० प्र०-गिरना।-पड़ना ।। महा.--चोंच खोलना=बात कहना। उ०-जब ब नरूर दो चलेंज-संशा पुं० [अं० ] किसी प्रकार लड़ने, झगड़ने अथवा देखें तो क्या कहती हो। जरा चोंच तो खोलो।---फिसाना मुकाबला या वादविवाद प्रादि करने के लिये दी हुई लदकार। भाग ३, पृ० ५८६। दो दो दोंचे होना कहा सुनी होना । .. बिनीती । चुनौती। कुछ लड़ाई झगड़ा होना । चौंच बंद करना या कराना = भय -क्रि०प्र०-ग्ना-देना ।—मिलना। से चुप रहना या भय दिखाकर चुन करना। चो-यव्य० [फा०] क्यों। 30-'चना के लडुप्रा ची लायो, चोचला। संश पुं० [हिं० नोवता] दे० 'चोचला। मेरे पीहर में जलेबी रसदार --पोद्दार अमि००, पृ० ।

  • चोंचाल-वि० [हिं० चंचल या चोचना ] चंचल । चपल ! नटवट

चों को संज्ञा ली० [?] वह चिन जो चुबन में दाँत लग जाने के कारण गाल पर पड़ जाता है। उ० चहचही चुभके भी चोटना@--क्रि० स० [हिं० चिकोटी या अनु०] नोवना तोड़ना। प हैं चोक चवन की लहलही लांमी नटें लटकी मुलक पर । - 3o-इत निकसि कुत्र कोर रुचि, काइत गौर भुजमूल । 'पद्माकर (शब्द०) मनु लुटि गौ लोग्नु चड़त चौटत ऊँचे फूल 1---बिहारी २०, चोकना-क्रि० स० [हिं० चौंका से नामिक धातु ] १. सन मुह दो०६६। से लगाकर दूध पीदा। २. पानी पीना।' चोटली-संहा मी० [?] सफेद घुघची। चोकर सं० [हिं० चोकर दे० 'चोकर'। चोंडा--संहा पुं० [म० चूटा] १. स्त्रियों के सिर के बाल । चोका संक्षा पुं० [ पण या देश०] १. चूमने की क्रिया या भाव। जूड़ा । झोंटा। २. गाय या भैस के स्तन को दबाकर उससे दूध की धारा मुहा०-चौड़े पर (कोई पाम करना)-सिर पर चढ़कर

फोड़ कर मुह में डालना।

या सामने होकर (कोई काम करना)। मुहा०-चोंका पीना (१) बच्चों का मां के स्तन में मुंह २.सिर । माथा । मस्तक । लगाकर दूध पीना। () गाय या भैम के स्तन से धार चोड़ा-संशा पुं० [सं० चुण्टा (-छोटा कुप्रौ)] वह छोटा बच्चा फोड़कर मुंह में डालना। कुना जो खेत के प्रासपास सिंचाई के लिये बोद लिया चौ कूटा -वि० हिं० चौखूटा] चौबूटा । चतुष्कोण । उ०- जाता है। ..किए पश्या एकठे चोकूटै अरु गोल । रीते हाधिन व गए सु चोतरा-मंथा ० [हिं० चौतरा] दे॰ 'चबूतरा' । २०--अपने

हरि दोलो हरि बोल ।-सुंदर००, भा०१ पृ० ३१५

बोतरा पर बैठे हतो!--दो सौ बावन०, मा०१, पृ०३००। चोख-वि० [हिं० घोसा दे० 'चोया' । उ० अब तो पियह चोंड चोथ-संज्ञा पुं० [अनु०] गाय पैस यादि के उलने गोवर का ढेर ... मद मेरा । होड की पूर्ज कारजतोरा ।-ट्रा०, पृ०७६ जितना हगते समय एक बार गिरे । चोखना-क्रि० स० [हिं०] दे० 'चोखना। मुहा०-चोंच लगाना हगफर गृह फा ढेर लगाना। चागा-मंशा पुं० [हिं० चुगी| बांस की वह खोखली नती या पोर चोय-शा सी० [हिं० होयना चौयने की क्रिया या भाय । - . जिसका एक सिरा गांठ के कारण बंद हो और दूसरा सिरा चोथनाई-किस० [अनु०] १ किसी चीज में से उसका कुछ " खुला हो। सोनार आदि इसमें प्रायः अपने श्रीज्ञार रखते हैं। अंश बुरी तरह फाष्ट ना या नोबना । चीयना। २. हाथापाई २. इस प्रकार की कागज श्रादि की बनी हुई नली जो कोई में दुरी तरह घायल पारना । नोचना फोटना। ३. किसी ' चीज़ रखने के लिये बनाई जाय। का धन जबरदस्ती ले लेना। चोगार-वि० [हिं०] प्रनाथी । मूर्य । वेवफ। चोधना-कि० स० [हिं० चौघना] दे० 'नोंघना'। चोगी--संहा पीहि घोंगा का ही अल्पा० ] 'भाची में की वह चोधर-वि० [हिं० चौधियाना] १. जिसकी पांखें बहुत छोटी ... नली जिसके द्वारा होकर हवा निकलती है। हो। २. मूख । नावदी।। चाधना स० [हिं० च गनादेगाना। उ-पाचिरा चोधरा-वि० [हिं० चौधर] देव चौधर'। टुपा टुगः चौघता, पल पल गई रिहाय । जीव जंजालों परि चोप-संश पुं० [हिं० चोप] २० कोप'। रहा, दिया दमामा पाप ।-पबीर (शब्द)। चोप-संहारी [हिं चोब] दे० 'चौव' । चोघा--वि० [हिं०] देवकूफ, । मूर्ख । नासमझ । चोहका-संशपुं० [हिं० बोफा] दे० 'बोका।