पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५१४

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१५६३ चौकी कैती धौवा दारि, चौकलिमाई धि गई।-पौद्दार अभि० • किसी स्थान को लीपकर उसमें ग्राटे से रेखाएं पारना । इस , . स्थान पर पवित्र कार्य या विवाह प्रादि होता है । १३. कुलाच चौकस-वि० [हिं० चौ (चार)कस+ (कस-कसा हुमा)]१. भरना । ज०- हमारी कुम्मत घोड़ी जुते हुए खेत में चौका सावधान । सचेत । चौकन्ना । होशियार। खवरदार । २. चलती है। ज्ञान०, पृ० ६६ ठीक । दुरुस्त । पूरा । जैसे,-चौकस माल । चौकाल-वि० [?] चौगुना । उ०-मुएक से खुशबू में रेशम से चमक चौकसाईल:-संज्ञा स्त्री० [हिं० चौफसी) ६० 'चौकसी') में ये चौकाले हैं । जुल्फ के फंदे तुम्हारे सवसे यार निराले हैं। चौकसी--संज्ञा स्त्री० [हिं० चौकस+ई (प्रत्य॰)] सावधानी । होशि- -भारतेदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ० २०२ 1 । यारी । निगरानी। निगहबानी । खबरदारी। . क्रि० प्र०-फरना ।-रखना । होना। - चौकिया सोहागा-संक्षा पुं० [हिं० चौकी+सोहागा) : छोटे छोटे चौका-संक्षा पुं० [सं० चतुष्फ, प्रा० चउपफ] १. पत्थर का चौकोर टुकड़ों में कटा हुआ सोहागा जो प्रौपध के लिये विशेष टुकड़ा । चौखूटी सिल । २. काठ या पत्थर का पाटा जिसपर उपयुक्त होता है। . . .: ... रोटी वेलते हैं। चकला । ३. सामने के चार दांतों की चौकी-संवा स्त्री० [सं० चतुष्की] १. काठ या पत्थर का चौकोर पंक्ति । उ०-नकु हंसोही बानितजि लख्यो परत मुहु नीठि। पासन जिसमें चार पाए लगे हों। छोटा तत्त । 30--चौक चौका चमकनि चौंधि में परति चौंधि सी डीठि -बिहारी में चौकी जराय जरी जिहि 4 खरी बार वगारतं सौधे । (शब्द०)1४. सिर का एक गहना । सीसफूल । ५. वह -पनाकर (शब्द०)। २. कुरसी। मुहा०-चौकी देना= बैठने के लिये कुरसी देना। कुरसी ई जिसकी लंबाई चौड़ाई बराबर हो। ६. वह लिपा पूता पर बैठाना। स्थान जहाँ हिंदू लोग रसोई' बनाते खाते हैं । (इस स्थान पर ३. मंदिर में मंडप की ओर के खंभों के ऊपर का वह घेरा वाहरी लोग या विना नहाए घोए घर के लोग भी नहीं जिसपर उसका शिखर स्थित रहता है। ४. मंदिर में जाने पाते । )। ७. मिट्टी या गोवर का लेप जो सफाई के मंडप के खंभों के बीच का स्थान जिसमें से होकर मंडप , लिये किसी स्थान पर किया जाय । मिट्टी या गोबर की तह जो लीपने या पोतने में भूमि पर चढ़े। में प्रवेश करते हैं । ५. पड़ाव या ठहरने की जगह । टिकांन । ' क्रि० प्र०-देना ।-फेरना ।-लगाना । अड्डा। सराय । जैसे-चले चलो। आगे की पौकी पर .. डेरा डालेंगे। . यो०-चौका बरतन चौका बासनवरतन मांजना और रसोई- . घर की सफाई तथा लिपाई पुताई करना । उ०-कुछ दिनों. मुहा०-चौको जाना=कसब कमाने जाना । खरची परं जाना। से नौकर हटाकर घर का काम धंधा करना शुरू कर दिया है, . ६. वह स्थान जहाँ आसपास की रक्षा के लिये थोड़े से सिपाही चौका बासन भी करती है ।-सुनीता, पृ० २२ । चौकाचार- मादि रहते हों । जैसे, पुलिस की चौकी । ७. किसी वस्तु .. चौके चूल्हे का प्राचार । उ-चौकाचार विचार राग की रक्षा के लिये या किसी व्यक्ति को भागने से रोकने के . . अनुरागेऊ1-जग० श, पृ० ६१ । चौके की राड़ जो लिये रक्षकों या सिपाहियों की नियुक्ति । पहा । खवर- विवाह के तुरंत बाद ही विधवा हो गई हो। . दारी। रखवाली। उ०-करिके निसंक तट वट के तटे .. मुहा०-चौका बरतन करना=बरतन मांजने और रसोई का तू बास चौंके मत चौकी यहाँ पाहरू हमारे की ।- कविंद घर लीपने पोतने का काम करना । चौथा धोलना. . चौका लगाना' । चौका लगाना=(१) लीप पोतकर बराबर .. यौ--चौकी पहरा। .... . .. करना । (२) सत्यानाश करना । चौपट करना । उ०-कियो महा-चौकी देना=पहरा देना। रखवाली करना । चौकी ... तीन तेरह सबै चौका चौका लाय ।--हरिश्चंद्र (शब्द०)। बना पहरा बठना या निगराना क लिय, सिपाहा तनात ८. एक प्रकार का जंगली बकरा जिसे सींग होते हैं। होना । चौकी बैठाना-पहरा बैठाना । खबरदारी के लिये - विशेष-यह प्रायः जलाशय के आसपास की झाड़ियों में रहता . पहरा बैठाना । चौकी मरना-पहरा पूरा करना । अपरी.. है। रंग इसका बादामी होता है । यह २ फुट ऊंचा और बारी के अनुसार पहरा देना। १४,५ फुट लंबा होता है। बचपन ही से यदि यह पाला : ८.वह भेंट या पूजा जो किसी देवी देवता, ब्रह्म, पीर। जाय तो रह सकता है। इसके बाल पतले और रूखे होते हैं। मादि के स्थान पर चढ़ाई जाती है। .... . इसे चौसिघ भी कहते हैं। मुहा०-चौकी भरना=किसी देवी या देवता के दर्शनों को मन्नत एक ही स्थान पर मिला या सटाकर रखी हुई एक ही प्रकार के अनुसार जाना । ६ जादू । टोना । १०. तेलियों के कोल्हू की चार वस्तुओं का समूह । जैसे, अंगोछे का चौका, चुनरी ... में लगी हुई एक लकड़ी। ११. गले में पहनने का एक का चौका, चौकी का चौका, मोतियों का चौका । १०. ताश गहना जिसमें चौकोर पटरी होती है। एक प्रकार की जुगनी । .. .. का वह पत्ता जिस में चार बूटियाँ हों। जैसे, ईट का चौका । पटरी । उ०—(क) चौकी बदलि परी प्यारे हरि ।-हरिदास - ... ११. एक प्रकार का मोटा कपड़ा जो फर्ज या जाजिम बनाने । ".. (शब्द०) (ख) मानो लसी तुलसी हनुमान हिए. जग, जीत " के काम में पाता है। १२. एक वरतन का नाम। १३, जराय के च की।--तुलसी (शब्द०) १२. रोटी बेलने का