पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५१५

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चौकीदार.. चौगान . . छोटा.चकला। १३. भेड़ों और बकरियों का रात के समय मुहा०---चौखट लांघना-घर के अंदर या बाहर जाना । किसी खेत में रहना। चौखटा-संश पुं० [हिं० चौखट]: १. 'चौखट' । २. चार लकड़ियों विशेष-खाद के लिये किसान प्रायः भेड़ों को खेत में रखते हैं, का ढांचा जिसमे मुह देखने का या तसवीर का शीशा जड़ा '.. जिनके मल मूत्र से खाद होती है। जाता है। प्राइना, तसबीर आदि का फेम। १४. मेलों के अवसर पर निकलनेवाली देवमूर्तियों की सवारी। चोखटा'-क्रि० स० [हिं० सं० घोपण, चोखना] चखना । कि० प्र०-उठना !-चलना । - पहुँचना । प्रास्वादन करना । उ०-माने परिस धन सुनिबारे चोखतह

चौकीदार-संक्षा पुं० [हिं० चौकी+फा० दार] १. पहरा देनेवाला।

.....२.गोईत । ३.. वह टा जो महतो की बगल में भांज की चौखना-वि० [हिं० चौ+सं० खण्ड>हि० खन (जैसे, सतखन)] डोरी फंसाने के लिये गड़ा रहता है । (जुलाहे)। चार खंड का । चौमंजिला (मकान)। चौकीदारा--संका पुं० [हिं० . चौकीदार-1-मा (प्रत्य॰)] चौकीदार चौखा-संज्ञा पुं० [हिं० चौ. खाई] वह स्थान जहाँ चार गांवों की

रखने का चंदा। चौकीदारी।

सीमा मिलती हो। - चौकीदारी संभ पौ• [हिं० चौकीदार+ई (प्रत्य॰)] १. पहरा चौखाना:-वि०, संक्षा पुं० [हिं० चारखाना) दे० 'चारखाना'। देने का काम । रखवाली । पहरेदारी। २. चौकीदार का चौखानिए-संवा भी [हिं० ची ( =चार)+खानि (वाति, पद । ३. वह चंदा या कर जो चौकीदार रखने के लिये प्रकार)] अंडज. पिंडज, स्वेदज, उद्भिज प्रादि चार प्रकार के दिया जाय। जीव । उ०-मानुष ते वड़ पापिया, अक्षर गुरुहि न मानि । • चौकीदौड़-संवा श्री [हिं० चौको+दौड़ प्रतियोगिकात्मक दौड़ बार वार मन कुकुही गर्भ घरे चौखानि ।-कबीर (शब्द०)। E... का एक प्रकार जिसमें दौड़नेवालों के लिये चौकियां रखी चौखट-संक्षा पुं० [हि० चौ+खूट] १. चारो दिशा । २. ...... रहती है। भूमंडल | चौकुर संश पुं० [हिं० चौ (चार) + कूरा ] फसल की बटाई चौखटर-कि० वि० चारो ओर । जिसमें से तीन चौथाई असामी और एक चौथाई जमींदार चौखट-वि० दे० चौखटा। लेता है। . .. चौखटा-[वि० हिं० चौ+खू] जिसमें चार कोने हौं । चौकोना । 1: चौकोना-वि० [सं० चौ+कोन] दे० 'चौकोना'।। चतुष्कोण। चौकोना-वि० [सं० चतुष्कोण, प्रा० चउकोण] [ी० चौकोनी ] चौगड़ा-संज्ञा पुं० [हिं० चौ---गोड़ (=पर)] १. खरहा। खरगोश। वि० चौकोनियाँ ] जिसके चार कोने हों। चौखू टा। ।' पान चौगड़ा-वि० चार परोंवाला। 1 . चतुष्कोण। चौगड़ा-संशा पुं० [हिं० चौघड़ा] दे॰ 'चौघड़ा'। - चौकोर-वि० [सं० चतुष्कोण, प्रा. चंउक्कोण ] १. जिसके चार चौपड्डा -संज्ञा पुं० [हिं० चौ+गड्ड (= मेल)] १. वह स्थान कोने हों। चौखटा। चतुष्कोण। २. क्षत्रियों की एक जहाँ चार गावों की सीमा मिली हों। चौहद्दा । चौसिंहा। . नाति या शाखा । बौखा । २. चार चीजों का समूह।। चोक्ष-वि० [सं०] १. पवित्र । निर्मल । स्वच्छ । २. सुदर । चौगड्डी-संवा स्त्री० [हिं० चौ+ गड्ढा] वाँस की फट्टियों का वह लुभावना। यानंददायक । ३. चोखा [को०1। ढांचा जिसमें जानवर फंसाते है। | चखिंड-संवा पुं० देश०] [वि. चौखंडी] १. वह घर जिसमें चार चौगान-संज्ञा पुं० [फा०] १. एक खेल जिसमें लकड़ी के बल्ले . खंड हों। चौमंजिला मकान। २. वह घर जिसमें चार प्रांगन

.'.

से गेंद मारते हैं। यह घोड़े पर चढ़कर भी खेला जाता है। या चौक हों। । यह खेल हाकी या पोलो नामक अंगरेजी खेलों के ही समान 1: पोखंड-वि० चार खंडोंवाला। उ०-मासन बासन मानुस अंडा। होता है । उ० (क) ते तव सिर कुंदुक सम नाना । खलिहहिं 1 . भएं चौखंड जो ऐसे पखंडा--जायसी (शब्द०)। भालु कीस चौगाना -मानस६।२। (ख) श्री मोहन खेलत चोखंडा'- संदा पुं० वि० हि चौखंड+मा (प्रत्य)] दे० 'चोखंड' । चौगान । द्वारावती कोट कंचन में रच्यो रुचि र मैदान । खिंडा-संवा पुं० [हिं० चखौड़ा ] डीठा । अनख । काला बिंदु 1 . जिसे स्त्रियां बच्चों के सिर में इसलिये लगा देती है जिससे यादव दीर बराइ वटाई इक हलघर इक माप ओर । निकसे .:. उन्हें नजर न लगे। डिठौना । उ०-पुनि नैनन महं काजर सबै फुचर प्रसवारी उच्चश्रया के पोर । लीले सुरंग, कुर्मत श्याम तेहि पर दै सव मन रंग ।-सूर (शब्द०)। २. चौगान . कीन्हा । दिष्टिनेवार चौखंडा दीन्हा ।--चित्रा०, पृ० १६७ । खेलने की लकड़ी जो आगे की भोर टेढ़ी या झुकी होती है। चखिंडी-संभा पुं० [हिं० चोखंड] चौपाल । वैठक । उ-ता ऊपर ७०-(क) कर कमलनि विचित्र चौगाने खेलन लगे खेल !....जो कृदन मंडी। सो चित्रावलि की चौखंडी।-चित्रा०, .... पृ०.६०1... रिझए । -तुलसी (शब्द॰) । (ख) ले चौगान वटा करि आगे पाखट-संझा ० [हिं० चौ (-चौर)+काठ! १. द्वार पर लगा प्रभु पाए जब बाहर । सूर श्याम पृछत सव ग्वालन खेलेंगे केहि '..हुमा चार लकड़ियों का ढांचा जिसमें किवाड़ के पल्ले लगे ठाहर ।-सूर (शब्द०)। ३. चौगान खेलने का मैदान । रहते हैं । २: देहली। डेहरी । दहलीज ।' --अंतः पुर चौगान लौं निक्सत कसमस होइ । नरनारी - चार पाडत] ० "चोमल) ] १. वह