पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५२६

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चौहड़ ... च्युतषड़ज . चौहड़ + संशा पुं० [हिं० चोहन] छोटा जलाशय । जोहड़। समझ उनमें काटे चुभा दिए। इसपर च्यवन ऋपि ने ऋद्ध चौहत्तर-वि० [सं० चतुःसप्ततिः, प्रा० चौहत्तरि] जो सतार से होकर राजा शर्याति की सारी सेना पौर अनुचर वर्ग का . चार अधिक हो । जो गिनती में सत्तर और चार हो । मलमूत्र रोक दिया । राजा ने घबराकर च्यवनप्रापि से क्षमा : चौहत्तर-संघा पुं० तिहत्तर के बाद की संख्या । सत्तर से चार अधिक मांगी और उनकी इच्छा देख अपनी कन्या सुकन्या का उनके - की संख्या जो अंकों में इस प्रकार लिखी जाती है-७४ । साथ व्याह कर दिया । सुकन्या ने .भी. उस वृद्ध ऋषि से . चौहद्दी'-संपाली[सं० चातुर्भद्र, प्रा० चाउहद्द +ई (प्रत्य०) ] एक विवाह करने में कोई प्रापत्ति नहीं की। विवाह के पीछे एक अवलेह जो जायफल, पिप्पली, काकड़ासिंगी और पुष्करमूल दिन अश्विनीकुमारों ने प्राकर सुकन्या से कहा-'बूढ़े पति को पीसकर शहद में मिलाने से बनता है। .. को छोड़ दो, हम लोगों से विवाह कर लो। पर जब वह किसी चौहद्दी-संथाली हिं० चौ+अ०हद+हिं० ई (प्रत्य०)] चारों प्रकार संमतब हुई, तब अश्विनीकुमारों ने प्रसन्न होकर च्यवन । पोर की सीमा। ऋषि को बूढ़े से सुंदर युवक कर दिया। इसके बदले में च्यवन . चौहा'---वि० [हिं० चौ (=चार)+हर (प्रत्य॰)] १. जिसमें चार ऋषि ने राजा शर्याति के यज्ञ में अश्विनीकुमारों को सोमरस फेरे या नहें हों। चार परतवाला । जैसे, चौहरा कपड़ा।१२. प्रदान किया। इंद्र ने इसपर प्रापत्ति की। जब इन्होंने नहीं : . चौगुना। जो चार बार हो। उ०-दोहरे, तिहरे, चौहरे माना, तब इंद्र ने इनपर वज्र चलाया। च्यवन ऋषि ने इसपर भूपन जाने जात ।-बिहारौं र०, दो ६८०। ३. चार क्रुद्ध होकर एक महा विकराल मसुर उत्पन्न किया, जिसपर .. लड़वाला । उ.-हीरा लाल जवाहिर घर के मानिक इंद्र भयभीत होकर इनकी शरण में पाया।। मोती चौहरा । कौन बात की कमी हमार भरि भरि राष च्यवनप्राश-संज्ञा पुं० [सं०] प्रायुर्वेद में एक प्रसिद्ध अवलेह जिसके - भौहरा। सुदर ग्रं०, भा० २, पृ० ६१४।। विषय में यह कथा है कि च्यवन ऋषि का वृद्धत्व और अंधत्व .. चौहरा-संका पुं० [हिं० चौघड़ा] वह पत्ता जिस में पान के वीड़े नाश करने के लिये अश्विनीकुमारों ने इसे बनाया था..... - लपेटे हों। चौपड़ा। विशेष - इसका वर्णन इस प्रकार है-पके हुए बड़े बड़े ताजे ५००. . चौहनका-संक्षा पुं० [हि. चौ:(=चार)-+-१० हलका ? ] गलीचे औवले लेकर मिट्टी के पात्र में पकाकर रस निकाले और उस की बुनावट का एक प्रकार । रस में ५०० टके भर मिस्री डालकर चाशनी बनावे ।. यदि . . . चौहान-संज्ञा पुं॰ [देश॰] अग्निकुल के अंतर्गत क्षत्रियों की प्रसिद्ध शाखा। संभव हो तो इसे चांदी के बरतन में रखे नहीं तो. उसी मिट्टी . विशेष- इसके मूल पुरुप के संबंध में यह प्रसिद्ध है कि उसके के पात्र में ही रहने दे। फिर उसमें मुनक्का ; अगर,..चंदन : चार हाथ थे और उसकी उत्पत्ति राक्षसों का नाश करने के कमलगट्टा, इलायची, हड़ का छिलका, काकोली, क्षीरकाको जी, लिये वशिष्ठ जी के यज्ञकुड से हुई थी। प्रायः एक ऋद्धि, वृद्धि, मेदा, महामेदा, जीवक, ऋषभक, गुरच, .. हजार वर्ष पहले मालवे और राजपूताने में इस जाति के काकड़ासिंगी, पुष्कर मूल, कचूर, अडूसा, विदारीकंद, बरियारा, राजाओं का राज्य था और पीछे इसका विस्तार दिल्ली जीवंती, शालपर्णी, पृष्ठपर्णी, दोना, कटियाली, वेल की गिरी, तक हो गया था। भारत के प्रसिद्ध अतिम सम्राट पृथ्वीराज अरलू. कुभैर और पाठा-ये सब चीजें टके टके भर मिलावे ... .इसी चौहान जाति के थे। कुछ लोगों का यह भी अनुमान है भौर ऊपर से मधु ६ टके भर, पिप्पली २ टके भर, तज - कि इस जाति के मूल पुरुष माणिक्य नामक एक राजा थे, जो २ टक, तेजपात २ टंक, नागकेशर २ टंक, इलायची २ टंक . लगभग ईस्वी सन ८०० में अजमेर में राज्य करते थे। इस और बंसलोचन २ टंक इन सबका चूर्ण कर डाले। फिर जाति के क्षत्रिय प्रायः सारे उत्तरीयभारत में फैले गए हैं। सनको मिलाकर रख ले । इससे स्वरभंग, यक्ष्मा, शुक्रदोष चीहैं-क्रि० वि० [देश॰] चारों ओर । चारों तरफ । उ० -राम प्रादि दूर होते हैं और स्मृति, कांति, इंद्रियसामर्थ्य, बलवीयं. कहै चकित चरैल चह' मल्ल त्यों मबी सकरि भल्ले चौहैं आदि की अत्यंत वृद्धि होती है। .... चकित मसान को 1- रामकवि (शब्द०)। . .... च्यार वि०, संशा पुं० [हिं० चार] दे० 'चार' । . च्यवन-संज्ञा पुं० [सं०] १. चूना। करना। टपकना। २. एक ऋषि का नाम च्यवन-संज्ञा पुं० [सं०] १. चुपाना । २. मिकाल देना। विशेष--इनके पिता भूगु और माता पुलोमा यीं । इनके विषय च्यावना -क्रि० स० [सं० च्यावन] चुपाना । उ०-पूरन इंदु सी : कुदन सी मृदु मंद हँसी रस दनि च्यावै । चंपक फूलनि पीत । में कथा है कि जब ये गर्भ में थे, तब एक राक्षस इनकी । माता को अकेली पाकर हर ले जाना चाहता था। यह देख दुकूलनि पी गल मैं भुजमूलनि ल्याणै।-देव ग्रं॰, पृ०७२. : च्युत-वि० [सं०] १. टपका हुना। गिरा हुमा । चुमा हुमा । झड़ा. च्यवन गर्भ से निकल पाए और उस राक्षस को उन्होंने अपने हुमा । २. गिरा हुआ । पतित । ३. भ्रष्टं । ४. अपने स्थान । तेज से भस्म कर डाला । ये मापसे पाप गर्भ से गिर पड़े थे, से हटा हुआ । ५. विमुख । पराङ्मुख । जैसे, कर्तब्य से च्युत । । इसी से इनका नाम च्यवन पड़ा। एक बार एक सरोवर के क्रि० प्र०-फरना।होना । .. किनारे तपस्या करते करते इन्हें इतने दिन हो गए कि इनका यौ॰—च्युतात्माकुटिल । च्युताधिकार पद से हटाया हुआ। सारा शरीर वल्मीक (बिमोट मा दीमक की मिट्टी) से ढके च्युतमध्यम-संवा पुं० [सं०] संगीत में एक विकृत स्वर 'जो पीति । गया, केवल चमकती हुई आँखें खुली रह गई । राजा शर्याति नामक श्रुति से प्रारंभ होता है । इसमें दो श्रुतियां होती हैं। .:. की कन्या सुकन्या ने इनकी आँखों को कोई अद्भुत वस्तु व्युतषड़ज-संवा पुं० [सं० च्युतषडज] संगीत में एक विकृत स्वर ..