पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५३०

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छकड़ी . छगना छकड़िया । ३. चारपाई बुनने का एक प्रकार जिसमें छह चिरत पड़ें। यही दांव दो, या दस, या चौदह कौड़ियों के वित्त । बाध उठाए और छह वैठाए जाते हैं । पड़ने पर भी माना जाता है। छकड़ी-वि० जिसमें छह अवयव हो । छह से बना हुमा । 'मुहा०-छयका पंजा-दावपेच । चालबाजी। छपका पंजा छकना'---क्रि० प्र० [म० चकन (-तृप्त होना] [संचा छाफ] १. भूलना-युक्ति काम न करना। चाल न चलना । वर्तव्य खा पीकर अधाना । तृप्त होना अफरना । जैसे,-उसने खूब न सुझाई पड़ना । बुद्धि का काम न करना। छककर खाया । १० --मबासो, हुजूर वह खूब छफकर खा ३.पासे का एक दांव जिसमें पासा' फेफने से छह विदियाँ पर पड़ें। चुकी।—फिसाना०, भा० ३, पृ०६१। संयो० क्रि०-जाना। . फि०प्र०-डालना।- पहना।-फेंकना। ४. जुमा । चू त । . २. तृप्त होकर उन्मत्त होना । मद्यमादि पीकर नशे में चूर होना । फि० प्र०-सेतना।-फेंकना ।-- डालना। .... उ०-(क) ते छकि नव रस केलि फरेहीं । जोग लाए धरन ५. वह ताज जिसमें छह बूटियां हो । ६. पाच ज्ञानेंद्रियों और रस लेहीं।- जायसी (शब्द०) (ख) केशवदास घर घर छठे मन का समूह । होश हयास । सुध। संग्रा । पौसान । नाचत फिरहिं गोप एफ रहे छकि ते भरेई गुनियत हैं।- मुहा०-छपके छूटना=(१) होश हवास जाता रहना । होच केशव (शब्द०)। उड़ ना । बुद्धि काम न करना। स्तब्ध होना। उ०- , छकना-क्रि० स० [सं० चक (=भ्रांत)] १, चकराना । अचंभे में सुननेवालों के छक्के छूट जाते --प्रेमधन०, भा०२, पृ०३४०। पाना । २. हैरान होना । तंग होना । दिक होना । जैसे-वहाँ (२) हिम्मत हारना । साहस एटमा । घबरा जाना । जैसे, जाकर हम खूब छके, कहीं कोई नहीं था। नई सेना के प्राते ही शत्रपों के छक्के छूट गए । छक्के छुड़ानो छकरो–सम वी० [हिं०] 20 'छकड़ी'। छकाछक-वि० [हिं० छकना] १.तृप्त । अघाया हुप्रा । संतुष्ट । (१) चकित करना । विस्मित करना । हैरान करना । (२) - साहस छुड़ाना । प्रधीर फरना । घबरा देना ! पस्त करना। २.परिपूर्ण । भरा हुमा। . पैर उखाड़ देना । जैसे,-सिखों ने काबुलियों के छक्के छुड़ा क्रि० प्र०--करना। ३. उन्मत्त । नशे में चूर । मदमत्त । , दिए । उ०-घोड़े पर इस तरह सवार होते हैं जैसे किसी छकाना'-क्रि० स० हि० छकना] १. खिला पिलाकर तृप्त ने मेख गाड़ दी, मगर टट्ट ने इनके भी छक्के छुड़ा दिए ।


फिसाना०, भा०३, पृ० २३।।

करना । खूब खिलाना पिलाना । छग-संबा पुं० [सं०] [श्री छगी छोग । बकरा। संयो० कि०-देना। छगड़ा-संथा भी० [मं० छ गल या छगलक] [षी० छगडी] बकरा । २. मद्य आदि से मदमत्त करना। उ० - (क) एक छगड़ी या गडा लीलिपि नौ मम लीसिसि छकाना- कि० स० [सं० चक्र (भ्रांत)] १. अचंभे में डालना। केराव । बारह भंसां सरसों लीलिसि मो चौरासी गांव । ७३कर में डालना । २. हैरान करना। दिक करना । तंग . यावीर (शब्द०)। (ख) ना मैं छगड़ी ना मैं भंडी ना मैं - करना । जैसे, तुमने तो कल हमें खूब छकाया। छुरी गंडास में ।-कबीर श०, भा० १, पृ० १०२। । . संयो० कि०--बालना। . छगण-संवा पुं० [सं०] सूखा गोबर । कंदा। किहारी- संग्राम्ही हि० छाफ-हारी (प्रत्य०)] छाक ले जाने' टन ..iendart • छान' ... संशा पुं० [सं० चङ्गट (=एक छोटी मछली) या चिगट ' वाली। उ० . जित तित छकिहारी जुरि चलीं। लगति (झींगा मछली)] छोटा बच्चा। प्रिय बालक । रवानी अज की गली ।-घनानंद, पृ० २१७ । छगन-वि० बच्चों के लिये एक प्यार का शब्द । उ०-कहत मल्हाई छकीला-वि० [हिं०/छ=ईला (प्रत्य॰)] छका हुा । मस्त । लाइ उर छिन छिन गन कबीले छोटे छया ।-तुलसी में०, . , उ०- रंगनि ढरीले हो छकीले मद मोह तें।-घनानंद, पृ० २७७। . . पृ०११२। यी०- छगनं मगन, छगना मगना= छोटे छोटे बच्चे। प्यारे । छकौंही ए-वि० [हि० /छक+औंही (प्रत्य०) १. मस्त यमचे । हँसते खेलते बच्चे । (बच्चों के लिये प्यार का शब्द)। करनेवाली । छका देनेवाली। २.छकी हुई । मस्त । . उ०-(क) बछह-छबीलो छगन मगन मेरे . कहति मल्हाइ छकुर-- संशा पुं० [हिं० छ+ कूरा फसल की यह बंटाई जिसमें मल्हाई । सानुज हिय हुलसति तुलसी के प्रभु की ललित .. उपज का छठा भाग जमींदार पाता है। .लरिफाई ।-तृलेसी ग्रं०. पृ० १७७ १९ख) गिरि गिरि परत.. छक्क -वि० [सं० चकवर्ती] दे० 'चवक' । उ---अनंगपाल घुटुरुवनि रेंगत खेलत है दोउ छगना मगना । -सूर० १०॥ छक्कवं बुद्धि जो इसी रकिल्लिय ।--पृ० रा० (उ०, . ११२ । (ग) कहा काज मेरै छगन, मगन को नृप मधुपुरी. ___ वुलायो । सुफलक सुत मेरे प्राण हतन को काल रूप ह प्रायो। छक्का -संशा । [सं० पटक या पदक, प्रा. छरफो| १. छह · का -गूर (ब्द०)। -- समूह या वह वर.तु जो छह अवयवों से बनी हो । २. ए. का छगना--कि० [सं० चकन, हि० छकना] तृप्त होकर उन्मत्त ' एक दांव जिस में कौड़ी या चित्ती फेंकने से, छह कौड़ियां " होना। भर जाना । छकना । उ० -- चहुमान कन्ह मार्ग सुबर .