पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५३२

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छैटकनी १६११ छठी छटकना-क्रि० अ० [अनु० या हिं० छूटना] १. किसी वस्तु का ..महा.-छटाफ भर=(१) तौल में पाव फा चौथाई भाग। : दाव या पकड़ से वेग के साथ निकल जाना । पैग से पलग (२) बहुत थोड़ा । स्वल्प । फम। . हो जाना । सटकना । जैसे, हाथ के नीचे से गोली छटक गई। छटा -मंचा स्त्री० [सं०] १. दीप्ति। प्रकाश। प्रभा । झलक । २. मुट्टी में से मछली छटक गई । २. दूर दूर रहना। अलग शोभा । सौदयं । छथि । ३. बिजली । उ०-चमकहि खड्ग छटा अलग फिरना । जैसे, वह कई दिनों से छटका छटका फिरता सी राजे |-रघुनाथ (गन्द०)। ४. न टूटनेवाली परंपरा या . है। ३. वश में से निकल जाना । बहक जाना । दांव से । शृखला । लड़ी (को०)। ५. ढेर। पुज | राशि। संघात (को०)।. निकल जाना । हत्थे न चढ़ना । हाथ न माना जैसे, देखना, छटाफल- ० [सं०] सुपारी का पेड़ । पूग का वृक्ष या फल । उसे दम दिलासा देते रहना; छटकने न पावे । ४. कूदना। छटाभा-संहा बी० [सं०] १.विय त् । क्षणप्रभा । २. बिजली की .. उछलना। चमक । २.चेहरे की फांति। छटका--संघा पुहि० छटकना] मछलियों के फंसाने का एक छटी -संधाoffz० सांटी (छडी)ी छड़ी। उ०-नितंति गड्ढा जो दो जलाशयों के बीच तंग में पर खोदा जाता है। देवनटी छवि जटी । लटक जनु कि छटन की छठी।-नंद उ०-छटका पर छटकि कहाँ जइहो मीन वझा है जाले। ग्रं०, पृ० २२७ । । -सं० दरिया, पृ० १०६॥ । छट दौ-संज्ञा पुं० [देश०] राजस्व या कर के रूप में लिया जानेवाला विशेष यह गड्ढा चार छह हाथ लंबा और हाथ दो हाथ 'प्राय का छठा भाग । उ-टू'द (बिरान) वास्तविक चौड़ा तथा दो तीन हाथ गहरा होता है। मछलियाँ एफ प्राय के छठे हिस्से की दर से लगाई और वरावर छहमाही । जलाशय से दूसरे में जाने के लिये कूदती हैं और इसी गड्ढे .. किस्तों से अदा की जायगी।-राज०, पु० १०४५ . में गिरकर रह जाती हैं। यह गड्ढा प्रायः धान के खता झटका-वि० हिं०+रका छह एकड़ों में विभक्त ! क्षत- की मेंड़ पर पानी सूखने के समय खोदा जाता है। विक्षत । 30- लाल तिहारे नन सर भनिरज करत अचूक । । क्रि० प्र०-लगाना। .. बिन कंचक छेदै कर छाती छेद छटूक 1-मति 20 छटकाना-क्रि० अ० [हिं० छटकना] १. छटक जाने देना । किसी पृ०४५३ । वस्त को दाव या पकड़ से बलपूर्वक निकल जाने देना। रेल-विहिं० टनाटा हा । २. चालाक। छटकाना-कि० स०१. बलपूर्वक झटका देकर पकड़ या बंधन से छट्ट-संडा बी० [सं० षष्ठ] है 'छ' । छुड़ाना । छुड़ाना । जैसे, हाय छटकाना । उ०--रिसि करि - छट्ठी-संशा श्री. [सं० षष्ठी] दे० 'छी' 1 खीभिखीमि लट झटकति श्याम भुजनि छटकाए दीन्हों।- यो०-छठी बरही दे० 'छठी बारही। सूर (शब्द०)। २.खोलनर । मुक्त करना। छोड़ देना । छठ-संज्ञा स्त्री० [सं० पष्ठ, प्रा० छट्ट] पखवारे का छठा दिन। जैसे, गाय का बंधन छटकाना! ३ पकड़ या दबाव में प्रति पक्ष की छठी तिथि । रखनेवाली वस्तु का बलपूर्वक अलग करना बंधन को जोर छ ई-वि० प्र० [हिं० छठयां] दे० 'छठा' । करके दूर करना । जैसे.-रस्सी छटकाना । छठयां, छठवां--वि० पुं० [सं० पाठक] दे० 'छठा' । उ०--गरी छठी छटना-क्रि० अ० [हिं०] दे० 'छंटना'।। छठय दित राती । नगरी सकल भई रंगराती।--रस र०, . छटपट'- संज्ञा पुं० [अनु॰] छटपटाने की क्रिया । बंधन या पीड़ा के कारण हाथ पैर फटकारने की क्रिया । उ०-गजराज पृ० २१। . पंक में फंसा हुमा । छटपट करता था फंसा हमारी साकेत छठा--वि० [म० पष्ठक] [वि० . ली. छठी] जो क्रम में पौन पृ० १५६ । .पौर वस्तुपों के उपरांत हो। गिनती के क्रम से जिसका . .. क्रि०प्र०- करना । ... स्थान छह पर हो। . .. छटपटा-वि. चंचल । चपल । नटखट । . मुहा०- छठे छमासे-कभी कभी । बहुत दिनों पर। छटपटाना-कि० अ० [अनु॰] १.बंधन या पीड़ा के कारण प छठी--संशा श्री० [सं० षष्ठी, प्रा० छठी] १. जन्म से छठे दिन की . । हाथ पैर फटकारना । तड़फड़ाना। तड़फना । जैसे,—(क) पूजा । छठी 1 30--काजर रोरी पान (मिलि) करौ छठी : देखो बछड़े का गला फंस गया है, वह छटपटा रहा है। को चार । ऐपन की सी पूतरी सब सखियनि कियां सिंगार - (ख) वह दर्द के मारे छटपटा रहा है। २. बेचैन होना। . --सूर०, १०४०। व्याकुल होना । विकल होन। । अधीर होना। ३.किसी वस्त. के लिये प्राकुल होना । अधीनतापूर्वक उत्कंठित होना। यौ---छठी बरही जन्म से छठे और बारहवें दिन का उत्सव : छटपटो-संवा खौ [अनु०] १. घबराहट । व्याकुलता। बेचैनी। . उ०--छठी बारही लोक वेद विधि करि सुविधान विधानी। अधीनतो। २. किसी वस्तु के लिये प्राकुलता । गहरी उत्कंठा। राम लखन रिपुदवन भरत धरे नाम ललित मुनि ज्ञाना। क्रि० प्र०--पड़ना। होना। - तुलसी (शब्द॰) । घटॉक-संज्ञा स्त्री० [हिं० छ+टांक, टक] एक तौल जो सेर का क्रि० प्र०-करना । उ०--करी छठी छठ ये दिन राती। . - सोलहवां भाग है। पाव भर का चौथाई । .: . रस र०, पृ०२१। पूजना--पूजना।