पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५३४

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छतगीर ___ छतीसी पंख छता परबस परयो सबा के बुधि नाहिं।-~संतवानी, छतरीबाज--संक्षा पुं० [हिं० छतरी+फा०,बाज.] छत्तरी या पृ०३२। (पराशूट) के सहारे वायुयान से उतरकर प्राक्रमण करने- छतगीर-संमा बी० [हिं० छत+फा० गौर] दे० 'छतगीरी'। वाले सैनिक । छतरी के द्वारा वायुयान से उतरनेवाला । छतगीरी--संशा खौ० [हिं० छत+फा० गीर ] १. वह कपड़ा या छतरीसेना संबा पुं० [हिं०] छत्तरी के सहारे वायुयानों से उतरने- चाँदनी जो किसी कमरे में ऊपर की भोर शोभा के लिये छत वाली सेना। से सटी हुई हँगी रहती है। २. वह ह पड़ा जो. रात को सोने छतलाट - संता बी. [हिं० रात+लोटना] एक प्रकार की कसरत के समय भोस प्रादि से रक्षित रहने के लिये पलंग के ऊपरी जिसमें गच के ऊपर पेट के बल पट, लेटकर लोटते हैं। इससे भाग में उसके पायों के ऊपर चारो पोर चार उड़ें लगाकर तोंद नहीं निकलती। . तान दिया जाता है। छता--संधा पं० [सं० छत्र] १. छाता। २. छत्रसाल 130- छतज-संप पुं० [म० क्षतज] १. रक्त । खून । लह। उ०-- . सीस भयो हर हार सुमेरु छता भयो याप सुमेरु को बासी - रघुनंदन सकंध के काटे मुड कराल । छलक्यौ छतज कबंध मतिराम (शब्द०)। ते फरयो भूमि नभ लाल ।-स० सप्तक, पृ० ३६७ । २. रक्त छति.t-संशा वी० [सं० क्षति हानि । युटि । नुकसान । उ~ . के समान लाल उ० • छतज नयन उर बाहु विसाला। का छति लाभू जून धनु तोरे। देखा राम नए के भोरे ।- हिमगिरि निभ तनु कछु एक लाला -मानस, ६ । ५२। मानस, ११२७२। छतना - संध पुं० [सं० छादा, हिं० छाता, अवछतौना] पत्तों का छतिया@--घा खो हि० छाती ] छाती। वक्षस्थल । उ०- बना हुपा छाता । उ-सोहन सचाई बात करत रचाई दोक सुनहु श्याम तुमको ससि डरपत है कहत ए.सरन तुम्हारी। छवि सों बचाई छट पोर छतनान की --रसकुसुमाकर . सूर श्याम विरुझाने सोए लिए लगाइ छतियाँ महतारी।- सूर (शब्द०)। छतनार-वि० [हिं० छाला या छतना] छाते की तरह फैला हुपा। छतियाना-कि- स० [हिं० छाती] १. छाती के पास ले जाना। दूर तक फैला हुआ । विस्तृत। २. बंदुक छोड़ने के समय कुदे को छाती के पास लगाना। विशेष--इस शब्द का प्रयोग प्रायः वृक्षों के लिये होता है। 'बंदूक तानना। छतर --संज्ञा पुं० [म० छत्र] दे० 'छत्र' । उ०--खाक रोबी सब छतिवन----संचा० [सं०सप्तपर्ण, प्रा. सत्तपरायण, सत्तवरणसत्तिवएण, सूबेहतर था मुझे । ना छतर हो तन्त यो अफसर मुझे। सत्तिवन्न छ तिवरण छत्तवरण ] एक पेड़ जो भारत के प्रायः -दक्खिनी०. पृ० १८८।। सभी तर प्रदेशों में थोड़ा बहुत मिलता है। सप्तपर्णी । सप्तच्छद।। छतरना--कि० स० [सं० स्तरण ] दे छितरना'। 30-बाहर विशेष-इसके एक एक पते में सात सात छोटी छोटी पत्तियो । स्टेशन की तरफ नील फूल की लता चढ़ाई हुई सारे स्टेशन होती हैं । इसका पेड़ बड़ा होता है और इसकी टहनियों के . की दीवार पर छतार रही है। काले०, पृ०३७ । तोड़ने से दूध निकलता है। इसकी छाल वृष्य, कृमिनाशक, . छत्तरिया विष--संप पुं० [ सं० छन+हिं० इया (प्रत्य०+)विष ] पुष्टिकारक, ज्वरन पर संकोचक होती है। इसका दूध फोड़े एक प्रकार की खुमी जो बहुत विषैली होती है। पर लगाया जाता है और तेल में मिलाकर दर्द दूर करने के छतरी--संज्ञा पुं० स्त्री० [सं० छन] १. छाता। २. पत्तों का बना लिये कान में डाला जाता है । इसकी लकड़ी साफ, पलमारी हुप्रा छाता । उ०--लं कर सुधर खुरुपिया पिय के साथ। मादि बनाने के काम में प्राती है। दशमूल नामक काड़े में छइव एक छतरिया बरखत पाथ। --रहीम (शब्द०)। ३. इसको छाल पड़ती है। मंडप । ४. राजानों की चिता या साधु महात्माओं की समाधि छतीस -4 मंशा पुं० [हिं०] दे० 'छ तीस'। के स्थान पर स्मारक रूप से बना पा छज्जेदार मंडप । ५. छतीश -संघा हि ] दे० 'छसीस'। उ०-सप्तस्वर सो कवतरों के बैठने के लिये बांस की फट्टियों का बना हुमा टट्टर गाम बंजा" सब रागरागिनी पुष वधुन सहीत छत्तीश |--- जो एक ऊँचे बांस के सिरे पर बंधा रहता है । ६. कहोरों की अकवरी०, पृ० १०५। .. डोली के ऊपर छाया के लिये रखा हुमा बांस की फट्टियों छतीसा--विहि . छत्तीस].[वि.क्षी छत्तीसी] १. जिसे छत्तीस का रट्टर जिसपर कपड़ा डालते हैं। ७. बहल या इसके मादि ... बुद्धि हो। चतुर । सयाना। चालाक । उ०- (क) पीसी के ऊपर का छाजन । ५. जहाज के ऊपर का भाग। ९. . ' खुमी । कुकुरमुत्ता । १०. छोटा छाता । ११. एक प्रकार का . है मनोज की सी छूटेगी छतीसी छटी सुरत उड़ी सी भरी . गुब्बारा या छाता जिसके सहारे व्यक्ति वायुयान से कूदकर .: भाग को नदी सी है ।- रघुराज (गब्द०)। (ख) पाए जमीन पर पा सकता है। पैराशूट। हो पठाए वा छतीसे छलिपा के इस वीस बिस ऊधी: बीरबावन छतरीदार-वि० [हिं० छतरी+फा० दार] जिसके ऊपर उत्तरी कलोंच ह।-रत्नाकर, भा० १, पृ० १४५ । २..मक्कार। - लगी हो । छतरी से युक्त ।' : धूर्त । जैसे,-नाई. की-जाति बड़ी छतीसी होती है। - यौ---छतरीधारी- देखें 'छत्तरीयाज. ..: छतीसापन-संचा पुं० [हिं० छतीसा+पन] मक्कारी। चालाकी। 'छतरीनुमा-वि० [हिं० छतरी+फा: नुमह) छतरी के प्राकार- ... धूर्तता । ... वाला ! छतरी जैसा ! :

छतीसी-वि० वी० [हिं०] दे० 'छत्तीसी'।

.. तो ..