पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५३७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

• छैन छनना . धारण करनेवाला । अपना असली रूप छिपानेवाला। छनी। किस किस की माताएँ जेबों में पैसे छमकाएँ।-बंदन०, कपटी। पृ० ६२ । छन'-संवा पुं० [सं० क्षण] १. पर्व का समय । पुण्यकाल। छनकाना-क्रि० स० [हिं० छनकना (==शंका करना)] चौंकाना । उ०-सागर उजागर की बहु वाहिनी को पति छन दान प्रिय चौकाना करना। भड़काना। चौकाता करत . किधौं सूरज. अमल है।-केशव (पाब्द०)। २. उत्सव । छनकार--संवा स्त्री० [हिं० छनकना] १. छन् छन् की आवाज । ३. नियम । नेम । ४. मुहुर्त । उ०-छन उत्सब छन नेम पुनि छनछनाहट । २. वर्षा की रिमझिम 1 उ०-बिंदुओं की छनती छन मुहूर्त कहियंत ।-अनेकार्थ ०, पृ० ५३ । ५. काल । समय । छनकार, दादुषों के वे दुहरे स्वर ।-पल्लव, पृ० २१। ... क्षरण । उ०-सो को कबि जो छवि कहि सके ता छन जमना छनछनाना'-कि० अ० [अनु०] १. किसी तपी हुई धातु (जैसे . तीर-भारतेंदु ग्रं०, भा० १, पृ० ४५५ । गरम तवा) पर पानी आदि पड़ने के कारण छन छन शब्द छन-संशा स्त्री० [अनुध्व०] जलती या तपती वस्तु पर पानी पड़ने होना । २. खोलते हुए घी, तेल आदि में किसी गीली वस्तु .. से उत्पन्न शब्द । छनक । (जैसे, पाटे की लोई, तरकारी आदि) के पड़ने के कारण छनकना -क्रि० स० {अनु०] किसी वस्तु को वेग से फेंकना। छन् छन् शब्द होना। छन्न छम्न शब्द होना। ३.झनझनाना। . . . सनकाना। उ०-(क) करषि मुट्ठी कम्मान । तानि क्रन बान झनकार होना ।।४. जलन होना । चुन चुनाना । लगना । . छनंकिय ।-पृ० रा०, १ । ६३६ । छनछनाना--क्रि० स० १.छन छन का शब्द उत्पन्न करना। छनंकना -कि०म० छन छन शब्द करना । छनकना । उ०-- २.मनकार करना। खनंकत सेल बखत्तर तोर । छनंकत तेग जंजीरन मोर छनछवि -संज्ञा स्त्री० [सं० क्षणछवि क्षणप्रमा। बिजली। सुदन (शब्द०)। उ०-केसीदास ऐसे प्रीति छिपावति छलनि में जैसे छनछवि छट छिप जाइ घन में -केशव ग्रं०, पृ०७८ । छनक'--संवा बी० [अनु॰] छन छन करने का गन्द । झनझनाहट झनकार । उ०-कवि मतिराम भूषननि की छनक सुनि चाँद । छनछेप--संक्षा पुं० [सं० संक्षेप] थोड़े में कोई बात कहना । सारांश । निष्कर्ष । समास । उ०-गीता पुरान का बेद भने छनछेप में भो चपल चित रसिक रसाल की।--मतिराम (शब्द०)। २. चीत चैतन्य हुमा ।-सं० दरिया, पृ० ६६ । ". जलती या तपती हुई वस्तु पर पानी प्रादि पड़ने के कारण कम छनदा -संवा श्री० [सं० क्षणदा] १. रात । रात्रि । उ०-तज • छन छन होने का शब्द । छनकर--संझा श्री० [मं० । डा या हिं० सनक] किसी आशंका से संक सकुचतिन चित, बोलति वाकु कुबाकु । छिन छनदा छाकी चौककर भागने की क्रिया । भड़क । रहत, छुटत न छिन छबि छाकु ।-बिहारी र०, दो० २१८ । छनक ---संथा पुं० [म. क्षण, हिं० छन-+-एक] एक क्षण । उ०- २. बिजली। विद्युत् । उ०-नभमंडल ह्र छितिमंडल ह, छनदा की छटा छहरान लगी।--मतिराम (शब्द०)। अरि छोटो गनिए नहीं, जातें होत विगार । तृन समूह को छनक. में, जारत तनिक अंगार |--वृद (शब्द०)। छननमनन -संशा पुं० [अनु०] कड़ाह के खौलते घी या तेल में किसी तली जानेवालो गीली वस्तु के पड़ने का शब्द । छनकना--क्रि० प्र० [अनु० छन् छन् ] १. किसी तपती हुई धातु कि०प्र०--करना।--होना। (जमे गरम तवा) पर से पानी प्रादि की वूदका छन् छन् मुहा०-छनन मनन होना= कड़ाह में पूरी कचौरी आदि शब्द करके उड़ जाना । उ० मैं ले दयो लयो सु कर, छबत निकलना। पूरी, पकवान प्रादि बनना। छनिक गो नीर । लाल तुम्हारो अरगजा उर व लग्यो छनना-क्रि० अ० [सं० क्षरण] १. किसी चूर्ण (जैसे पाटा) या अवीर ।--बिहारी (शब्द०)। २. छन छन शब्द करना।। द्रव पदार्थ (जैसे, दूध, पानी ग्रादि) का किसी कपड़े या जाली झनकार करना । झनझनाना। के महीन छेदों में से होकर इस प्रकार नीचे गिरना कि मैल, झनकना । जैसे--यह गाय पास जाते ही छनकती है। खूद, सीठी प्रादि अलगहोकर ऊपर रह जाय । छलनी से साफ छनकना'-क्रि० स० [सं० शगुन ] चौकन्ना होकर भागना । भड़कना । जैसे,—यह गाय पास जाते ही छन कती है। होना ।। २. छोटे छोटे छेदों से होकर पाना । जैसे,पेड़ की ..छमक मनक-संघा मी० [अनु०] १. गहनों के बजने का शब्द । पत्तियों के बीच से धूप छनछनकर पा रही है । ३. किसी नथे का पिया जाना । जैसे,-भांग छनना, शराब छनना । . .आभूषणों की झनकार । २.साज बाण । ठप्तक । जैसे-न्योते __ में स्त्रियां बड़ी छनक मनक से जाती हैं। ३. दे० 'छगन मगन'। मुहा०-गहरी छनना=(१) खूब मेल जोल होना। गाढी छनकाना'-क्रि० स० [हिं० छनकना] १. पानी को आंच पर मैत्री होना (२) परस्पर रहस्य को बातें होना । खूब घुट रखकर भाप बनाकर उड़ाना जिससे उसका परिमारण कुछ घुटकर बाद होना । (३) प्रापस में चलना। बिगाड़ होना । कम हो जाय । २.तपे हुए बरतन में पानी या और कोई लड़ाई होना । एक दूसरे के विरुद्ध प्रपल होना । जैसे-उन द्रव पदार्थ डालकर गरम करना। बलकाना। ३. फेंकना। दोनों में आजकल गहरी छन रही है। छोड़ना । छटकाना । ४. पैसे रुपए जैसी वस्तु को हिला. ४. बहुत से छेदों से युक्त होना ।स्थान स्थान पर छिद जाना। ... इलाकर छन छन् . झन् झन शब्द उत्पन्न करना । उ-जाने छलनी हो जाना । जैसे,-इस कपड़े में अब क्या रगया हैद,