पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५५३

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'छानबीन.. छापना २.घोड़, गदहे अादि के पैरों को रस्सी से जकड़कर बांधना। - उ--कवीर प्रगटहि राम कहि छाने राम न गाय । फूस के जोड़ी दूर करु बहु रि न लागे लाय |--कबीर (शब्द०)। . (ख) बहि चलत भयो है मंद पौन । मनु गदहा को छान्यो ..पैर ।- भारतेंदु ग्रं० भा० २, पृ० ३७५ ॥ छानबीन-पंचा औ• [हिं० छानना+बीनना] १. पूर्ण अनुसंधान या 'अन्वेपण । जांच पड़ताल । गहरी खोज । . पूर्ण विवेचना । विस्तृत विचार । पूर्ण समीक्षा । कि० प्र० करना । होना। छानवे---वि० [सं० षण्णवति, प्रा० छ र गवइ, अप०छाणथई-हिं० छानबे] जो संख्या में नव्वे और छह हो । नब्बे से छह अधिक । . छान ... संक्षा पुं० छानबे को संख्या या अक जो इस प्रकार लिखा जाता है। ६६ __छाना'-क्रि० स० [सं० छादन] १.किसी वस्तु के सिरे या ऊपर के भाग पर कोई दूसरी वस्तु इस प्रकार रखना या फैलाना ...जिसमें वह पूरा ढक जाय । ऊपर से आच्छादित करना । . संयो॰ क्रि० - देना ।-लेना। २.पानी, धूप आदि से बचाव के लिये किसी स्थान के ऊपर कोई वस्तु तानना या फैलाना । जैसे,-छप्पर छाना, मांडप - छाना, घर छाना । उ०—जायसी (शब्द०)। -- (ख) ऊपर राता. चंदवा छावा। श्री भुइ सुरंग बिछाव विछावा ।—जायसी (शब्द०)। विशेष-इस क्रिया का प्रयोग प्राच्छादन और आच्छादित दोनों · के लिये होता है । जैसे छप्पर छाना, घर छाना । संयो॰ क्रि०-डालना ।-देना।-लेना। ३. बिछाना । फैलाना। उ०-मायके की सखी सों में गाय फूल मालती के चादर सों ढापे छाय तोसक पहल में । -रघुनाथ . (शब्द०)। ४. शरण में लेना। रक्षा करना । उ०-छत्राहिं अछत, प्रछ बहिं छावा । दूसर नाहिं जो सरिवरि पावा ।- . जायसी (शब्द०)। छाना कि० अ० १. फैलना । पसरना । विछ जाना । भर जाना । जैसे, बादल छाना, हरियाली छाना । उ०-(क) फूले कास सकल 'महि छाई ।-मानस, ४।१६। (ख) बरषा काल । मेष नभ छाए। गर्जत लागत परम सुहाए ।-मानस, ४११३ ।। (ग) कैसे धरों धीर वीर दीर पावस प्रबल आयो, छाई हरियाई छिति, नभ वग पाती है । -घासीराम (शब्द०)। संयो॰ क्रि०-उठना ।--जाना । .. २.डेरा डालना । वसना। रहना । टिकना । उ०-(क)जव '. सुग्रीव भवन फिरि भाए। राम प्रवर्षन गिरि पर छाए- मानस, ४११२। (6) हम तो इतने ही सचु पायो। सुंदर स्याम कमलदल लोचन बहुरी दर स दिखायो। कहा भयो जो लोग कहत हैं कान्ह द्वारिका छायो। सुनि के विरह दसा गोकुल की प्रति आतुर हघायो ।-सर० १०४२६६ । शाना:-वि० [सं० छन प्रा० छण] [वि० को छानी] छिपा हुआ । गुप्त । उ०—(क) सुदर छाना क्यों रहै जग मैं जाहर होइ। -सुदर ग्रं॰, भा॰ २, पृ० ६८६ । (ख) फस्तुरी कपूर छिपा कैसे छानी रहै सुबास ।--सुदर पं०, भा०१, पृ० १५६ । यो--छाने छाने गुप्त रूप से । चुपके । लुक छिपकर।। छानि@, छानी-पना स्त्री० मि० छादन, हिं० छान] १. ईख के रस की नांद के ऊपर का ढक्कन जो सरकंटे या बाँस की पतली फट्टियों का बनता है । २. छान । छप्पर । उ०-(क) फलि मैं नामा प्रकट ताकि छानि छयावै । -सूर०, ११४। (ख) या घर में हरि.सो विसरे सु तू वारि दे वाधरु धार ते बोरे । छानि बरेडि प्रो पाट पछीनि मयारि कहा किहि काम के कोरे। अकबरी०, पृ० ३५४ । छाप-संशा स्त्री० [हिं० छावना] १. वह चिह्न जो किसी रंग पुते हुए साँचे को किसी वस्तु पर दबाकर बनाया जाय । खुदे या उभरे हुए ठप्पे का निकान । जैसे, चंदन या गेरू की छाप, • बूटी की छाप, हथेली की छाप । २. प्रसर । प्रभाव । क्रि० प्र०-डालना । - पकना ।-लगना।—लगना । ३. मुहर का चिह्न । मुद्रा । उ०-दान किए बिनु जान न पैहो । मांगत छाप कहा दिखरामो को नहिं हमको जानत । सूर श्याम तब कह्यो ग्वारि सों तुम मोकों क्यों मानत । -सूर (शब्द०)। क्रि० प्र०-पड़ना।—लमना।—लगाना । ४.शंख, चक्र आदि के चिह्न जिन्हें वैष्णव अपने अंगों पर गरम धातु से अंकित कराते हैं । मुद्रा । उ०-(क) द्वारका छाप लगे भुज मूल पुरानन गाहिं महातम भीन हैं। --(शब्द॰) । (ख) मेटे क्यों हूँ न मिटति छाप परी टटकी । सूरदास प्रभु की छवि हृदय मों अटकी।-सूर (शब्द०)। ५. वह निशान जो सांचे में अन्न की राशि के ऊपर मिट्टी डालकर लगाया जाता है। चाँक । ६.एक प्रकार की अंगठी जिसमें नगीने की जगह पर अक्षर प्रादि खुदा हुआ ठप्पा रहता है। उ०--विद् म अगुरि पानि चर रंग सुदरता सरसानो। झाप छला मुदरी झलके, दम पहुंची गजरा मिलि मानो। --गुमान (शब्द०)। ७.कवियों का उपनाम । छापर संज्ञा स्त्री० [सं० क्षेप (खेप)] १. कौटे या लकड़ी का बोझ जिसे लकड़िहारे जंगल से सिर पर उठाकर लाते हैं । २.वांस की बनी हुई टोकरी जिससे सिंचाई के लिये जलाशय से पानी उलीचकर ऊपर चढ़ाते हैं। छापना-क्रि० स० [सं० चयन] १. किसी ऐसी वस्तु को जिस: पर स्याही, गीला रंग आदिपुता हो, दूसरी वस्तु पर रखकर या छुलाकर उसकी प्राकृति चिह्नित करना । २. किसो सांचे को किसी वस्तु पर इस प्रकार दवाना कि उसकी, अथवा उसपर के खुदे या उभरे हुए चिह्नी की प्राकृति स वस्तु पर उतर भावे । ठप्पे से निशान डालना। मुद्रित भरना । अफित करना । जैसे,—पुस्तक छापना. अखबार छापना। ४.टीका लगाना (विशेपतः चेचक का)। सकल ..