पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५७१

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छुरित १६४६. छुछा वह नृत्य जिसमें नायक और नायिका दोनों रसपूर्ण हो परस्पर छवाना--क्रि० स० [हिं० का छूना को सक० रूप ] स्पर्श करना । प्रेमप्रदर्शनपूर्वक चबनादि करते हुए नृत्य करते हैं । २. छलाना। उ०--चितई ललचौहैं चखनि डटि घूघट पट बिजली की चमक । ३. कटाव । क्षत (को०)। माहिं । छल सों चली छुवाय के छिनुक छबीली छाँहि ।- छरित-वि. १. खचित । जड़ित । खदा हुआ। २. लेप किया विहारी र०, दो०, १२ । हुमा। पोता हुआ। लेपित (को०)। मिला हुमा (को०)। छुवाव--संक्षा पुं० [हिं० छुवाना] लगाव । संबंध । संसर्ग । ४. कटा हुआ (को०)। यौ०-छबाव लगाव । लगाव छुवाव । छरी-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. काटने या चीरने फाड़ने का छोटा छुवारो.अजवायन--संक्षा खी० [हिं०] दे० 'छुहारी अजवायन'। हथियार जिसमें एक बेट में लोहे का लंबा धारदार टुकड़ा छुहना -मि० अ० [हिं० छुवना] १. छू जाना । २. रंगा जाना। लगा रहता है । इससे नित्य प्रति के व्यवहार की वस्तु जसे, लिपना । पुतना। रंजित होना । उ०-कवि देव कहयो किन फल, तरकारी, कमल आदि काटते हैं। २. लोहे का एक काहू कछ जब ते उनके अनुराग छुही। देव (शब्द०)। धारदार हथियार जिसमें वैट लगा रहता है। संयो० कि०-जाना। मुहा०—छुरी चलना=(१) छुरी की लड़ाई होना । (२) चीरने छुहना- क्रि० स० दे० 'छूना' । उ० - जयमाल गुलाल बनाइ गुही। प्रादि के लिये छुरी का प्रयोग होना । (किसी पर ) छुरी धसि केसर कुंकुम मंडि छुही।-रस र०, पृ०, १७६ । चलाना-घोर कष्ट पहुंचाना । घोर दुःख देना । भारी हानि छुहाना'-कि० अ० [हिं० छोह] ३. 'छोहाना' । पहचाना। घोर अनिष्ट करना । बुराई करना । अहित साधन छुहाना-कि० स० [हिं०छुहना ] सफेदी कराना । पोतवाना। करना । छुरी देना-मारना । गला काटना । (किसी पर) रंगाना । छरी तेज होना=अनिष्ट करने या हानि पहुंचाने की तैयारी छुहारबेर-संझा पुं० [हि० छुहारा] पका हुया बेर । होना । (किसी पर) छरी फेरना=किसी का अनिष्ट करना। छुहारा--- संज्ञा पुं॰ [ सं०क्षुत+हार ? ] १. एक प्रकार का खजर किसी को भारी हानि पहुंचाना। (किसी के) गले पर छुरी जिसका फल खाने में अधिक मीठा होता है। खुरमा। पिंड फेरना-दे० 'छुरी फेरना'। छुरी कटारी रहना=लड़ाई खजूर । खरिक खुरमा झगड़ा रहना । विगाड़ रहना। बैर रहना। (किसी के) विशेष---इसका पेड़ परब, सिंध प्रादि मरु स्थानों में होता है। छुरियाँ कटावन पड़ना=(१) किसी के कारण या उसके वैद्यक में यह पुष्टिकारक, शुक्र और बल को बढ़ानेवाला, तथा द्वारा किसी वस्तु का नष्ट या खर्च होना। कट्ट लगना। मूर्छा और वात पित्त का नाश करनेवाला माना गया है। जैसे,---यहाँ पाम रखे थे, न जाने किसके शुरियाँ कटावन पड़े २. पिंड खजूर का फल । ( अर्थात् न जाने किसने ले लिए या खा लिए)। यह वाक्य विशेष-दे० 'खजूर'। 'प्रायः स्त्रियाँ क्रोध में शाप के रूप में बोलती हैं । (२) रक्ता- छुहारी---सहा स्त्री० [ देश छुहारा ] छोटी और निकृष्ट जाति का तिसार होना । लोहू गिरना । छुहारा । उ०---कोइ कमरख कोइ गुवा छुहारी 1---जायसी छुरीधार--संशा फौ• [ मं० छुरी+धार ] छुरे के आकार का ०, पृ० २४७ । हायीदाँत का एक प्रौजार जिसमें जाली कटी रहती है। छुहारा अजवायन-संक्षा खा[ सं० चौहार+यवानी ] फारस छुलकना-क्रि० अ० [अनु० छुल छुल] थोड़ा थोड़ा करके मूतना। से आनेवाली अजमोदा । छुलकी संघा स्त्री० [अनु० । थोड़ा थोड़ा करके पेशाब करने छुहा - संशा स्त्री० [हिं० छूना] खरिया। सफेद मिट्री।। की क्रिया । छूछ--वि० [हिं०छूछा दे० 'धूछा' । उ०--पाप छुछ औरन छुलछल--संज्ञा पुं० [अनु॰] थोड़ा थोड़ा करके मूतने से निकला व्रत गर, वेद शास्त्र जिन नाहिं उचारे ।-कबीर सा०, पृ० ४६५। हुया शब्द। छुछना--संशा पुं० [हिं० ] दरी आदि की छोर पर निकला छुलछुलाना- क्रि० प्र० [अनु० छुल छुल ] थोड़ा थोड़ा करके हुया लंबा रेशा । मतना । २. थोड़ा थोड़ा करके पानी डालना। ३. इतराना। छछा-वि० [सं० तुच्छ, प्रा०चुच्छ, छू च्छ ] [ वि०सी० छछी ] इठलाना । १. जिसके भीतर कोई वस्तु न हो। खाली। रीता। रिक्त । छुलाना- कि० स० [हिं० छूना ] एक वस्तु को दूसरी वस्तु के जैसे, छूछा घड़ा, छूछी नली, छूछा हाथ । उ०--(क) पैठे इतने पास ले जाना कि एक दूसरे से लग या मिल जाय। सखिन सहित घर सूने माखन दधि सब खाई। छूछी छाडि - स्पर्श कराना । छवाना। मट किया दधि को हँसि सब बाहिर प्राई ।—सूर (शब्द०)। लिक्का-संशात्री० [सं० छुरिका, प्रा० छुरिया ] की तरह का (ख) जब विन प्रान पिंड है छूछा। धर्म लाग कहिए जो - एक अस्त्र । छरी । चाकू । उ०-जमंदड्ढ प्राहार छेदं छुलिक्का। पूछा।-जायसो (शब्द०)। उरा पार फुट्ट हबक्के क्रसका ।-पृ० रा, ६ । १५१ । महा०-छू छा हाथ (१) द्रव्य से खाली हाथ । (२) बिना छवना-क्रि० स० [हिं०] है 'छूना' । हथियार का हाथ । हाथ जिसमें छड़ी या डंडा प्रादि न हो। छुवाछून-संज्ञा स्त्री० [हिं०] १. 'छ्याछूत' । विशेष-इस शब्द का प्रयोग प्रायः छोटी वस्नुपों के लिये होता