पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५७२

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छुछि है, मकान आदि की बड़ी वस्तुओं के लिये नहीं; पर कहीं कहीं निःसंकोच कही जाय । वह उक्ति जो बिना शिष्ट ता मादि मकान के लिये भी इसका प्रयोग प्राप्त होता है। का विचार किए किसी पर कही जाय । गाली गलौज । २. जिसके भीतर कुछ तत्व या सार न हों । निःसार । ३. जिसके क्रि० प्र०--चलना । —होना । पास रुपया पैसा न हो । निर्धन । जैसे,-छुछ को कौन पूछे ?। ८. टेत, फेंकैत बंकत प्रादि की वह लड़ाई जिसमें जहाँ जिसे छुछि -वि०सी० [हिं०] निष्फल । कोरा । वेकार । उ०-प्रब दाँव मिले वह बेधड़क बार करे। सुठि मरी छूछि ग पाती पेम पियारे हाथ । भेंट होत दुख क्रि० प्र०-लड़ना। रोइ सुनावत जीउ जास जौं साय ।--जायसी ग्र० (गुप्त), ९. स्त्री पुरुष का परस्पर संबंधत्याग । तिलाफ । १०. वह स्थान पृ० २७१ । जहाँ से कबूतरबाज शातं बदकर कबूतर छोड़ें। ११. बौछार । छुछी--संज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'छुच्छी' । छींटा । १२. मालखंभ की एक कसरत जिसमें कोई पकड़ करके छू-संझ पुं० [अनु॰] मंत्र पढ़कर फूक मारने का शब्द । मंत्र हाथों के थपेड़े देकर नीचे कूदते हैं। की फक। विशेष-यह दो प्रकार की होती है, एक 'दो हत्यी' दूसरी क्रि० प्र०-फरना । 'उलटी' । दो हत्थी में दोनों हायों से देत पकड़ते हैं फिर मुहा०--छू बनना या होना-चलता बनना । चंपत होना । मायब जिस प्रकार उहान की थी उसी प्रकार पैरों को पीठ के पास होना। उड़ जाना । जाता रहना । न रहना । छू छू बनाना= ले जाकर उलटा उतारते हैं। उल्लू बनाना । बेवकूफ बनाना। छू मंतर मंत्र की फूक । छूटछुटाव-संज्ञा पुं० [हिं०] संबंधविच्छेद। छु मंतर होना=चट पट दूर होना। मिट जाना। गायब छटहार-वि० [म०/(= छेव), प्रा० छुट्टण, हिंछूटन+हार होना । जाता रहना । न रहना । जैसे, दर्द का छू मंतर होना। (प्रत्य॰)] छूटनेवाला । उ०-तातें यह प्रव्य दिए पापुन विशेष--द्रजालिक या बाजीगर प्रायः मंत्र पढ़ते हुए छू कहकर छूटनहार नहीं ।-दो सौ बावन०, भा० १, पृ० २०२। ___ वस्तुओं को गायब कर देते हैं। छूटना-क्रिप्र० [सं० छु (=बंधनादि काटना)] १. किसी बंधी, छूचक --संक्षा पुं० [सं० सूतक ] १. अशीच । सूतक । २. वच्चा । लगी, फंसी, उलझी या पकड़ी हुई वस्तु का अलग होना । उत्पन्न होने पर छह दिन का काल । लगाव में न रहना । संलग्न न रहना। दूर होना । जैसे, छूछा--वि० [हिं०] [ वि०सी० खूछौ ] दे० 'छूछा' 1 30--नृप (खूटे से) घोड़ा छूटना, छिलका छूटना, ( चिपका हुपा ) ने सशंक जो कुछ पूछा, बस उत्तर हुमा वही छछा ।- साकेत, टिकट छूटना, गाँठ छूटना, (पकड़ा हुपा) हाथ छूटना, प्रादि । पृ० १५७ । (ख) तेरी बात लगत मुहि छछी।--ह. रासो, उ०-सखि, सरद निसा विधुवदनि बधूटी। ऐसी ललना पृ० ११५ । सलोनी न भई, न है होनी। रतिह रची विधि जो छोलत छु'--वि० [सं० तुच्छ, हिं० छूछा] भूर्ख । जड़ । अहमक । छवि छटी।-तुलसी (शब्द०)। क्रि० प्र०---बनना ।-बनाना । संयो० कि०-जाना। छूछू-संशा श्री० [अनु॰] बच्चों को खेलानेवाली स्त्री। दाई। महा०-शरीर छूटना=मृत्यु होना । प्राण छूटनामृत्यु । छट-संशाधी० [हिं० छुटना] १. छटने का भाव । छटकारा । होना । साहस या हिम्मत छूटना=साहस न रहना । त्रि० प्र०-देना ।-पाना--मिलना 1--होना।। छूट पडना=किसी पकड़ी या बंधी हुई वस्तु का अलग होकर २. अवकाश । फुरसत । नीचे गिर जाना । जैसे,—गिलास हाथ मे छूट पड़ा और क्रि० प्र०-देना ।--पाना ।—मिलना ।-लेना ।—होमा । फूट गया। ३. देनदारों या असामियों के ऋण या लगान की माफी। उस २. किसी बांधने या पकड़नेवाली वस्तु का ढीला पड़ना या अलग रुपए या धन को अपनी इच्छा से छोड़ देना जो किसी के यहाँ होना । जैसे, रस्सी छूटना, बंधन छूटना। ३. किसी पुती चाहता हो। होती। ४. किसी कार्य या उसके किसी अंग या लगी हुई वस्तु का अलग होना या दूर होना । जैसे,-. को भूल से न करने का भाव । किसी कार्य से सबंध रखनेवाली रंग छूटना, मैल छूटना । किसी बात पर ध्यान न जाने का भाव । उ०-करि स्नान संयो॰ क्रि०--जाना। अन्न दै दाना । एको तास नाम वखाना । यहि के माहिं . ४. किसी बंधन से मुक्त होना । छुटकारा होना । रिहाई होना। छूट जो होई । एकादसि बिसरावा सोई ।-सबल (शब्द॰) । किसी ऐसी स्थिति से दूर होना जिसमें स्वच्छद गति यादि क्रि० प्र०-देना ।-मिलना ।--पाना । का अवरोध हो । जैसे,---कैद से छूटना। . ५. वह धन या रुपया जो किसी के यहाँ चाहता या वकाया हो संयो॰ क्रि०-जाना। पर किसी कारण से जमींदार या महाजन जिसे छोड़ दे। ५. प्रस्थान करना। रवाना होना । चल पड़ना । चला जाना । .. वह देना जो माफ हो जाय। ६. स्वतंत्रता । स्वच्छता । जैसे,-चोरों को पकड़ने के लिये चारों ओर सिपाही छूटे हैं । . आजादी । ७. वह उपहास की बात जो किसी पर लक्ष्य करके ६. किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान का प्रपने से दूर पड़ जाता।