पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५७५

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छेड़वाना १६५३ छेवर में शब्द या गति उत्पन्न करने के लिये उसे छूना। वाद्ययंत्र फारण से) किसी वस्तु में मुछ दूर तक पड़ा हो। बिल । में क्रिया या शन्द उत्पन्न करने के लिये स्पर्श करना। दरज । खोखला। विवर । कुहर । ३. दोर। दूषण । ऐच । वजाने के लिये वाजे में हाथ लगाना । जैसे, सितार छेड़ना, क्रि० प्र०-ढना।-मिलना । सारंगी छेड़ना । ७. छेद करना । ८. नश्तर से फोड़ा चीरना। छेदक-वि० [सं०] १. छेदनेवाला । काटनेवाला । २. नाश करनेवाला । छेड़वाना- क्रि० स० [हिं० छेडना का प्र० रूप] छेड़ने का काम ३. विभाजक । भाजक । छेद । . कराना। छेदकर-संज्ञा पुं० [सं०] १. लकड़ी काटने वाला । बड़ई [को०] । छेड़ा-संज्ञा पुं० रस्सी । साँट ।-(लश०)। जैसे, वारीक छेड़।। छेदन-संज्ञा पुं० [सं०] १. काटने या प्रारपार चमाने की क्रिया छतर --संज्ञा पुं० [सं० क्षेत्र] दे० 'क्षेत्र' । उ०-राजस तामस या भाव । काटकर अलग करने का काम । चीरफाड़। . सातुकी, छेतर तीनहिं भांति । छेवक प्रातम देव है सबको क्रि० प्र०--फरना ।—होना । महिं ये क्रांति ।-चरण० बानी, भा०२, पृ० २२० । २. नाश । ध्वंस । ३. छेदक । काटने या छेदने का प्रस्त्र । ५. छतरनाल-क्रि० स० [सं० छि/दिर् (=विदारण, छेत्त.)] १.दुःख वह औषध जो कफ आदि को छांटकर निकाल दे। देना । पीड़ा पहुँचाना । उ०---(क) हित विरण प्यारा सज्जरणा, छैदनहार-वि० [हिं० छेदन + हार (प्रत्य॰)] छेदने या काटने- छल करि छतरियाह । पहिली लाड लडाइ करि, पाछ। वाला। परिहरियाह । -ढोला०, २०४७१। (ख) प्रावि विदेसी छेदना'-क्रि० स० [सं० छेदन] १. किसी वस्तु को सुई काटे, भाले, वल्लहा छल करि छेतरियाह ।-ढोला०, दू० ४१८ । (ग) बरछी मादि से इस प्रकार दवाना कि उसमें पारपार छेद सोहणा, थे मने छेतरी वीजी भीजी खेल ।-ढोला०, हो जाय । सुई, कील या और कोई नुकीली वस्तु एक पावं दू०५११ । से दूसरे पार्श्व तक चभाकर किसी वस्तु को छिद्रयुक्त करना। छती-संक्षा श्री० [प्रा० छित्ती] १. विच्छेद । बिलगाव । रुकाव । वेधना । भेदना । उ०-तीरभूमि निहारि हिय तें जाति जड़ता चेति । द्रवित संयो० कि०-डालना।-देना । श्रानंदधन निरंतर परति नाहिन छेति ।-घनानंद, विशेष-यदि कैची से कतरकर, या और किसी ढंग से किसी पृ०४६२ । २. अंतर । फासला । दूरी । उ०-मर विच वस्तु में छेद बनाए जाए तो यह कार्य उस वस्तु को 'छेदना' छेती घणी पाते गयउ जिहाज । चारण ढोल इ सामुह उ, प्राइ नहीं कहलाएगा। कियउ सुम राज 1- ढोला० दू० ६४३ । २.क्षत करना । घाव करना । जैसे,-तीरों ने उसका सारा छत्ता-वि० [सं० छेतृ] १. काटनेवाला । छेदन करनेवाला । २. नष्ट शरीर छेद डाला। ३ काटना । छिन्न करना। करनेवाला। निवारण करनेवाला । दूर करनेवाला । (भ्रभादि) छेदना'-संज्ञा पुं० वह प्रौजार जिससे छेद किया जाय । जैसे, स प्रा, ३. लकड़ी काटनेवाला [को०] । सुतारी, आदि। छत्र-संज्ञा पुं० [सं० क्षेत्र] दे० 'क्षेत्र। छेदनिहार -वि० [हिं] दे० 'छेदनहार'। उ०--सहसबाह भ न छेद- 'छेत्रका--संज्ञा पुं० [सं० क्षेत्रज्ञ] दे० 'क्षेत्रज्ञ२ उ०--राजस तामस निहारा । परसु विलोकु महीपकुमारा।-मानस, ११२७२ । सातुकी छेतर तीनहि भांति । छेत्रक पातमदेव है, सबको महि । छेदनीय-वि० [सं०] छेदने के योग्य । छेद्य । ये क्रांति ।-चरण वानी, भा॰ २, पृ० २२० । छेदा--संज्ञा पुं० [हिं० छेदना] १. घुन नाम का कीड़ा। २. अन्न में छेद-संश्था पुं० [सं०] १. छेदन | काटने का काम । २.नाश । ध्वंस । वह विकार जो इस कीड़े के कारण पैदा होता है। धन द्वारा जैसे, उच्छेद, वंशच्छेद । ३. छेदन करनेवाला । ४. गणित खाए जाने के कारण अनाज के खोखला होने का दोष । ३. में भाजक । ५. खंड । टुकड़ा। ६. श्वेतांबर जैन संप्रदाय के छेद । सुराख । छिद्र ।। ग्रंथों का एक भेद । ७. विराम । अवसान । समाप्ति (को०)। छेदि-वि० [सं०] १. काटने या छेदन करनेवाला । २. तोड़नेवाला। ६. कोई परिचयात्मक चिह्न । लक्षण (को०)। ६. कटने का नष्ट करनेवाला (को०] । घाव या चिह्न (को०)। छेद-संधापुं० [सं० छिन] १. किसी वस्त में वह खाली स्थान जो छेदि---संक्षा पुं० १. बढ़ई। २. इद्र का वच्च कोलका फटने या सुई, कोटे हथियार आदि के भारपार चमने से छेदित--वि० [सं०] काटा हुआ। विभक्त । छिन्न बोला होता है । किसी वस्तु में वह शन्य या खुला स्थान जिसमें छेदा-वि० [सं० छादन्] १. काटनेवाला। विभाजन करनेवाला होकर कोई वस्तु. इस पार उस पार जा सके । सूराख । छिद्र। २. नष्ट करनेवाला । हटानेवाला (को०। रंध्र । जैसे, छलनी के छेद, कपड़े में छेद, सुई का छेद। छदापस्थानिक चारित्र-छा पुं० [सं०] गणाधिप के दिएडा प्राय . जैसे,-दीवार के छेद में से बाहर की चीजें दिखाई पड़ती हैं। तपातादि पाच महायतों का पालन । छेदोपस्पानीय क्रि० प्र०—करना ।-होना। छेद्य'-वि० [सं०] छेदन करने योग्य । छेदनीय । २. वह खाली स्थान जो (खदने, कटने, फटने या और किसी छेद्य-संशा पुं० १. परेवा । कबूतर । २. वैद्यक में प्रांत के रोगों को