पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५७९

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छोटापन छोड़ना को सुखाकर और चूर्ण करके सौप के काटे हुए स्थान पर लगाते और उसका काढ़ा करके २४ घटे में डेढ़ पाव तक पिलाते हैं । छोटापन-संक्षा पुं० [हिं० छोटा-+पन (प्रत्य॰)] १. छोटा होने का - भाव । छोटाई । लघुता । २. बचपन । बालपन । लड़कपन । छोटा पाट--संहा पु० [हिं० छोटा+पाट] रेशम के कीड़े का एक भेद । • छोटा पील-संज्ञा पुं० [हिं० छोटा+पील] रेशम के कीड़े का एक भेट। छोटिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] अंगूठा तथा मध्यमा अंगुली को परस्पर मिलाकर ध्वनि करना । चुटकी [को०] । छोटी-संज्ञा पुं० [सं० छोटिन्] मछली फंसानेवाला । मछुमा [को०] । छोटी--वि० श्री० [देशी० छुट्ट] दे० 'छोटा'। .. यी०= छोटी जात, छोटी जाति समाज की निम्न जाति । नीची कौम । छोटी बात-पोछी बात । अभद्र वार्ता । छोटी इलायची संज्ञा पी० [हिं० छोटी+इलायची ] सफेद या गुजराती इलायची। वि० दे० 'इलायची'। छोटी मैल-संक्षा खी० [देश॰] एक प्रकार की चिड़िया। . छोटी रकरिया=संज्ञा स्त्री० [हिं० छोटी+रकरिया ] एक घास जो पंजाब के हिसार मादि स्थानों में मिलती है। यह पाँच चार साल तक रहती है और इसे घोड़े चाव से खाते हैं । छोटी सहेली-संज्ञा स्त्री० [हिं० छोटी+सहेली] एक छोटी चिड़िया ___ का नाम जो देखने में बड़ी सुंदर होती है। छोटी हाजिरी-संशा स्त्री० [ हिं० छोटो+हाजिरी ] भारत में रहनेवाले अग्रेजों या यूरोपियनों का प्रातःकाल का कलेवा . (खानसामा)। छोड़- वि० [सं० छोरण, हिं० छोड़ना ] ( प्रायः समासांत में ) ' छोड़नेवाला । त्यागनेवाला । जैसे,= रणछोड़ राय का मंदिर' में 'छोड' शब्द । छोड़चिट्टी--संघात्री० [हिं० छोड़ना+चिट्ठी] वह लेख या कागज जिसके कारण कोई व्यक्ति किसी प्रकार के भरण या बंधन से मुक्त समझा जाय। फारखती। छोड़ छुट्री-संक्षा श्री० [हिं० छोड़ना+छुट्टी] नाता टूटना या संबंध- त्याग । . क्रि० प्र०—करना । -- बोलना |--- होना । __ छोड़ना-क्रि० स० [सं० छोरण] १. किसी पकड़ी हुई वस्तु को पृथक् करना। पकड से अलग करना । जैसे,—हमारा हाथ क्यों पकड़े हो; छोड़ दो। संयो० कि० - देना। २. किसी लगी या चिपकी हुई वस्तु का उस वस्तु से अलग हो जाना जिससे वह लगी या चिपकी हो। उ०--बिना आँच • दिखाए यह पट्टी चमड़े को न छोड़ेगी। ३. किसी जीव या - व्यक्ति को बंधन प्रादि से मुक्त करना । छुटकारा देना। रिहाई देना । जैसे, कैदियों को छोड़ना, चौपायों को छोड़ना । ४. दंड प्रादि न देना । अपराध क्षमा करना । मुनाफ करना। जैसे, = (क) इस वार तो हम छोड़ देते हैं। फिर कभी ऐसा नकारना । (ख) जज ने अभियुक्तों को छोड़ दिया। ५. न ग्रहण करना न लेना। हाथ से जाने देना। जैसे,—मिलता हुमा धन क्यों छोड़ते हो। ६. उस धन को दयावश या और किसी कारण से न लेना जो किसी के यहाँ वाकी हो । देना। मुनाफ करना । ऋणी या देनदार को ऋण से मुक्त करना । छूट देना । जैसे,=(क) महाजन ने सूद छोड़ दिया है, केवल मूल चाहता है । (ख) हम एक पैसा न छोड़ेंगे सब वसूल करेंगे । ७. अपने से दूर या अलग करना । त्यागना । परित्याग करना । पास न रखना। जैसे,-"वह घर बार, लड़के वाले छोड़कर साधु हो गया । ८. साथ न लेना। किसी स्थान पर पड़ा रहने देना। न उठाना या लेना । जैसे,—(क) तुम हमें वहाँ अकेले छोड़कर कहाँ चले गए । (ख) वहाँ एक भी चीज न छोड़ना, सब उठा लाना । संयो० क्रि०-जाना । मुहा०-ध्यान (घर, गांव, नगर आदि ) छोड़ना स्थान से चला जाना या गमन करना । जैसे, हमें घर छोड़े आज तीन दिन हुए। ६. प्रस्थान कराना । गमन कराना। चलाना । दौड़ाना । जैसे,- गाडी छोड़ ना,घोड़ा छोड़ना,सिपाही छोड़ना, सबार छोड़ना। मुहा०=किसी पर किसी को छोड़ना=किसी के पीछे किसी को दौड़ाना । किसी को पकड़ने,तंग करने या चोट पहुंचाने के लिये उसके पीछे किसी को लगा देना । जैसे,-हिरन पर ते छोड़ना, चिडिया पर वाज छोडना । मादा (पशु) पर नर (पश) छोड़ना=जोड़ा खाने के लिये नर को मादा के सामने करना। १०. किसी दुर तक जानेवाले अस्त्र को चलाना या फेंकना । क्षेपण करना । जैसे,-गोली छोडना, तीर छोड़ना । विशेष वंदूक, पडाके आदि के संबंध में केवल शब्द करने के अर्थ में भी इस क्रिया का प्रयोग होता है। ११. किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान से आगे बढ़ जाना। जैसे- उसका घर तो तुम पीछे छोड़ आए। संयो• क्रि०--जाना । १२. किसी काम को बंद कर देना। किसी हाथ में लिए हुए कार्य को न करना। किसी कार्य में अलग होना। त्याग देना। जैसे,--काम छोड़ना, पादत छोड़ना, अभ्यास छोड़ना, पाना जाना छोड़ना । जैसे,—(क) सब काम छोड़कर तुम इसे लिख डालो। (ख) उसने नौकरी छोड़ दी। १३. किसी रोग या व्याधि का दूर होना । जैसे,---बुखार नहीं छोड़ता है। १४. भीतर से वेग के साथ बाहर निकलना । जैसे,-ह्वल अपने मुद से पानी की धार छोड़ती है । १५. किसी ऐसी वस्तु को चलाना या अपने कार्य में लगाना जिसमें से कोई वस्तु करणों या छोटों के रूप में वेग से बाहर निकले। जैसे,-पिचकारी छोड़ना, फौवारा छोड़ना, प्रातशवाजी छोड़ना । १६. बचाना । शेष रखना । बाकी रखना । व्यवहार या उपयोग में न लाना। जैसे-(क) उसने अपने आगे कुछ भी नहीं छोड़ा, सब खा गया । (ख) उसने किसी को नहीं छोड़ा है; सबकी दिल्लगी