पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/६१

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खराई . १७ खराबी . .' मान होना । मन डिगना । बुरी नीयत होना । खरे प्राए = · खराद'- संज्ञा पुं० [अ० पति, फा० खरदि] एक प्रौजार । घरमा। अच्छे मिले । अच्छे आए (व्यंग्य)। . खरसान । उ-मानों खराद चढे रवि फी किरणों गिरी ३. सेंककर कड़ा किया हुआ। करारा ... • प्रानि सुमेरु के ऊपर ।-पजनेर०, पृ०१३ । . . " महा.-कान खरा फरना - कान गरम करना । कान मलना। विशेष इसपर चढ़ाकर लगड़ी, धात आदि की सतह चिकनी ४. जो झुकने या मोड़ने से 'टूट जाय । चीमड़फड़ा। ५.जिसमें और सुडौल की जाती है । चारपाई के पावे, डिविया, खिलौने किसी प्रकार की वेईमानी न हो। जिसमें किसी प्रकार का प्रादि बढ़ई खराद ही पर चढ़ाकर सुटोल और चमकीले फरते . - धोखा न हो। जो व्यवहार में सच्चा और ईमानदार हो। हैं। ठठेरें भी बरतनों को चिकना करने और चमकाने के लिये उन्हें खराद पर चढ़ाते है। .

साफ 1 छल -छिद्र -शून्य । जैसे,-खरा मामला । खरा पादमी।

मुहा०-खराब पर उतरना या चढ़ना = (१) ठीया होना। "महा-खरा असामी= दे० 'खरा आदमी' । खरा प्रादमी = लेन दुरुस्त होना। सुधरना (२) लौशिक व्यवहार में कुशल . देने में सफाई रखनेवाला आदमी । व्यवहार में सच्चा मनुष्य । होना। अनुभव प्राप्त होना । सराद या खराद पर ईमानदार । खरा खेल - साफ मामला । शुद्ध व्यवहार । खरा खेल फर्रुखाबादी- फर्रुखाबाद के रुपए की तरह शुद्ध उतारना या चढ़ाना- ठीक करना मुधारना । दुरुस्त करना । संवारना 130-चि खराद चढ़ाये नहीं न सुन्दार के ढारनि' प्रोर सञ्चा व्यवहार। मध्य डराए-सरदार (शब्द०)। विशेष फर्रुखाबाद की टकसाल के रुपए किसी समय मैं खराद-संवा स्त्री०१. खरादने का भाव । १. परादने की दिया। • बहुत खरा और चोखा समझा जाता था। .. .३: ढंग । वनावट । गढ़न। ६. नकद (दाम) । उ०-मगर 'खरी मजदूरी और चोखो खरादना- क्रि०स० [हिं० [द+ना (प्रत्य॰) । १. खराद पर . काम । हमारे वतन में बागा रोजं के रोज उजर पाते - चढ़ाकर किसी वस्तु को साफ और सुडौल करना। २. काट ... है।—फिसाना०, भा० ३४०३१४। छोटकर सुडोल बनाना। महा-रुपए खरे होना- रुपए मिलने का निश्चित होना। खरादो-संपाहि खराद] जो परादने का काम करे । खरादने- जैसे-तुम्हारे रुपए तो खरे हो गए। अब हमारा इनका . वाला। मामला रह गया। खरापन-संज्ञा पुं० [हिं० खरा+पन] १. खरा का भाव । २. '७. उचित बात कहने या करने में शील संकोच न करनेवाला । . सत्यता। सच्चाई । - लगी लिपटी न कहनेवाला । स्पष्टवक्ता । जैसे, खरा कहेया। महा.-सरापन बघारना= सच्चाई की डौंग मारना । बहुत ८. (बात के लिये) यथातथ्य । सच्चा । अप्रिय सत्य । जैसे, अधिक सच्चा बनना।. . . खरी बात। ३...उन्मत्तता। मुहा०-खरी सुनाना, खरी खरी सुनाना - सच्ची बात कहना, खराब-[अ० सराब] १. बुरा । निकृष्ट । हीन । अच्छा का उलटा। . चाहे किसी को बुरा लगे चाहे भला । उ०-मैं लगी लिपटी जो बहुत दुरवस्था में हों। दुर्दशाप्रत । जैसे-मुकदमे... - नहीं रखती। खरी खरी कहती हैं। दो टूक । या इधर लड़कर उन्होंने अपने पापको खराव कर दिया। ६. पतित । '. या उधर |--सर०, पृ०२६। . . . मर्यादाभ्रष्ट । दुश्चरित्र । ६. बहुत । अधिक । ज्यादा। उ०-(क) अरे रेखों को कर, महा.-(किसी को ) खराब करना=(१) (कित्ती परस्त्री के... .. तुही मिलोक विचार । कहि नेर केहि सर राखियो खरे बढ़े साथ) कुकर्म करना । (२) किसी को कुरेराह ले जाना। '. पर पार |-बिहारी (शब्द॰) । (ख) रस के उपजावत पुंज बदचलन या दुश्चरित्र बनाना । खराब होना = दुष्टचरित्र - खरे पिय लेत परे रस के चसके।-द (शब्द०)। " होना । वदचलन होना । खराई-संज्ञा स्त्री० [हिं० ' खरा+ई (प्रत्य॰)] 'खरा' का भाव। ४. विध्वस्त । बरबाद (को०)। ५. निर्जन । बीरान (को०)। . खरापन । ......खराबा--संज्ञा पुं० [110 सरावह.] १ निर्जन या भन्न-जल से राहत खराई-संक्षा खी० [देश॰] सबेरे अधिक देर तक जलपान या भोजन स्थान । वोरान । २.खंडहर । उजाद [को०] 1. . आदि न मिलने के कारण जुकाम होना, गला बैठना :या - खरावात-संज्ञा पुं० [फा० ख रावात) १. मधुशाला । मदिरालय । प्रकृति में होनेवाली इसी प्रकार की और कुछ गड़बड़ो। २. जुमा खेलने का अहा । धुतगृह ३. 'फुलटा स्त्रियों का अड्डा । चकला (को०] । खराऊ- संज्ञा खो० [हिं०] दे० 'खड़ाऊँ'। . खराबाती-वि० [फा० सरावाती] १. हर समय नशे में मस्त । खराकहैया-वि० [हिं० खरा+कहना+ऐया (प्रत्य०)] खरा रहनेवाला । मदमस्त । उ०-मेरे शोखे खरावानी को कैफियत कहनेवाला । स्पष्टवक्ता।-(बोल०)। न कुछ पूछो। बहार हुस्न को दो आव उसने 'जय चरस . खरागरी-संज्ञा स्त्री० [सं०] देवताड़ का. वृक्ष । देवताड़क । जीमूत । खींचा।- कविता को०, भा०४,५०४९।२.जुगा खेलने खराज-संक्षा पुं० [अ० खराज] खिराज । राजकर । राजस्व । का पादी । जुमाड़ी (को०)। . .. ३०-बहुत से हिंदू राजामों से केवल खरराज लेकर वह संतुष्ट खराबी-संवा स्त्री॰ [फा० खराबी] १. बुरापन । दोष। अवगुण" . हो गए ।- हिंदु० सभ्यता, पृ० ५०४।. २. दुर्द था । दुरवस्था ३. विध्वंस । बरबादी (को०) 1